नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा, जो कि 12 अगस्त तक चलेगा। इसकी जानकारी संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को दी। यानी कि 23 दिन तक संसद के मानसून सत्र में इस बार कई अहम बिलों और मुद्दों पर चर्चा होगी।   

संसद के मानसून सत्र पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "हमने संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई को बुलाने का फैसला किया है और यह 12 अगस्त तक चलेगा। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने तारीख तय कर ली है और हम दोनों सदनों को बुलाने के लिए राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजेंगे।"

 जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर उन्होंने कहा, " इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के संबंध में मैंने राजनीतिक दलों के साथ चर्चा शुरू कर दी है। अधिकांश प्रमुख राजनीतिक दलों को पहले ही बता दिया गया है और हमने एक सहयोगात्मक प्रयास की मांग की है, जहां सभी राजनीतिक दल एक साथ आएं और संयुक्त रूप से प्रस्ताव पेश करें।"

इससे पहले भारत सरकार के सूत्रों ने जानकारी दी थी कि संसद के मानसून सत्र में केंद्र सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। केंद्र सरकार ने संसद के मानसून सत्र की तारीख का ऐलान ऐसे वक्त में किया है, जब विपक्ष की ओर से लगातार पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की जा रही है।


इससे पहले संसद का बजट सत्र दो हिस्सों में आयोजित किया गया था। पहला सत्र 31 जनवरी को शुरू हुआ था और 13 फरवरी तक चला। वहीं संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू हुआ था और चार अप्रैल को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया था।

केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने दी जानकारी

इससे पहले कांग्रेस समेत 16 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त चिट्ठी लिखी थी। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था कि इंडिया गठबंधन के 16 राजनीतिक दलों की एक अनौपचारिक बैठक हुई, जिसमें कांग्रेस पार्टी की तरफ से शामिल हुआ। इंडिया गठबंधन के नेताओं ने संयुक्त रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तुरंत संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग रखी है। जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ तब कांग्रेस पार्टी और तमाम विपक्षी दलों ने देश के सशस्त्र सैन्य बलों और सरकार को जवाबी कार्रवाई करने के लिए अपना पूर्ण समर्थन दिया।

उन्होंने बताया था कि जब अमेरिका द्वारा सीजफायर की घोषणा की गई, उसके बाद विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग उठाई। ताकि सभी सांसद और सभी दल संसद के माध्यम से एकजुटता के साथ अपने सशस्त्र बलों के शौर्य का धन्यवाद कर सकें और सरकार संसद में हर पहलू पर बिंदुवार ढंग से अपनी बात रखे।

(आईएएनएस इनपुट क साथ)