पूर्व विधायक अनंत सिंह। फोटो IANS
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मोकामाः बिहार के मोकामा में हुई गोलीबारी की घटना में पूर्व विधायक अनंत सिंह ने शुक्रवार को बाढ़ सिविल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। यहां से उन्हें 14 दिनों के लिए बेउर जेल भेज दिया गया। इस घटना में गैंगस्टर सोनू सिंह और रोशन नाम के व्यक्ति को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। वहीं मोनू फरार है।
मोकामा गोलीबारी मामले में पुलिस ने पूर्व विधायक अनंत सिंह के खिलाफ आर्म्स एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। आरोपों में पुलिसकर्मियों से धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने की बातें शामिल हैं। सुबह से ही पुलिस अनंत सिंह के लदमा स्थित आवास पर छापेमारी की तैयारी कर रही थी। इसके लिए बाढ़ के कई थानों की पुलिस के साथ-साथ पटना से भी अतिरिक्त बल गांव में भेजा गया था।
मोकामा गोलीबारी की घटना
गोलीबारी का यह घटनाक्रम बुधवार तब हुआ जब अनंत सिंह अपने समर्थकों के साथ नौरंगा गांव पहुंचे थे, जहां वह मुंशी मुकेश के घर लगे ताले को खोलने पहुंचे थे। खबरों के मुताबिक, सोनू ने मुकेश के साथ मारपीट की थी और उसके घर पर ताला जड़ दिया था। जिसकी शिकायत अनंत सिंह के पास पहुंची थी।
बुधवार को नौरंग स्थित मुकेश सिंह के घर पर ताला खुलवाने को लेकर अनंत सिंह और गैंगस्टर सोनू-मोनू गैंग के बीच विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद दोनों गुटों के बीच भारी गोलीबारी हुई, जिसमें लगभग 60-70 राउंड गोली चलाई गईं। इस दौरान अनंत सिंह बाल-बाल बच गए। इस मामले में पंचमहला थाने में दोनों गुटों के खिलाफ तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं।
मुकेश सिंह के घर के पास फिर से फायरिंग
शुक्रवार को एक बार फिर उसी गांव में मुकेश सिंह के घर के पास फायरिंग की घटना हुई। ग्रामीणों का कहना है कि मुकेश सिंह के घर पर ताला खुलवाने को लेकर ही विवाद और गोलीबारी की घटना हुई। पुलिस ने शुक्रवार को गैंगस्टर सोनू सिंह को गोलीबारी मामले में गिरफ्तार किया। सोनू सिंह 'सोनू-मोनू गैंग' का सदस्य है। इस गिरफ्तारी पर सोनू और मोनू के पिता प्रमोद सिंह ने आरोप लगाया कि पुलिस ने रात 1-2 बजे उनके घर पर छापा मारा। उन्होंने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, हम इसकी निंदा करते हैं।"
पूर्व विधायक अनंत सिंह
अनंत सिंह, जो गैंगस्टर से राजनीति में आए हैं, बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र से कई बार विधायक रह चुके हैं। उनका उपनाम 'छोटे सरकार' भी है। उनका नाम विवादों से जुड़ा रहा है, और उन्हें जून 2020 में एके-47 राइफल, गोलियां और दो हैंड ग्रेनेड के अवैध कब्जे के आरोप में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य ठहराया गया। हालांकि, अगस्त 2024 में पटना हाई कोर्ट ने उन्हें इन आरोपों से बरी कर दिया और जेल से रिहाई का आदेश दिया।