मुंबई: शिवसेना-यूबीटी के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को ईरान-इजराइल युद्ध, हिंदी थोपे जाने के मुद्दे और गुजरात बनाम महाराष्ट्र की भाषा नीति पर बड़ा बयान दे दिया। राउत ने ईरान की बहादुरी की तारीफ करते हुए कहा कि जब भी भारत संकट में रहा, ईरान हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा है। उन्होंने कहा, 'ईरान ने जो हिम्मत और स्वाभिमान दिखाया है, उससे हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को सीखना चाहिए। ईरान झुका नहीं, लड़ा और लड़ेगा भी। उनके नेताओं का जज्बा काबिल-ए-तारीफ है। जब ट्रंप ने हमारे बारे में गलत बोला था, तब भारत चुप रहा, लेकिन ईरान ने ऐसा नहीं किया।'

भारत को भी ऐसी नीति अपनानी चाहिए- राउत

संजय राउत ने यह भी कहा, "ईरान ने दुनिया को दिखा दिया है कि एक संप्रभु राष्ट्र कैसे अपने स्वाभिमान के लिए खड़ा रहता है। भारत को भी ऐसी ही स्पष्ट नीति अपनानी चाहिए और देश की प्रतिष्ठा के लिए दृढ़ता से खड़ा होना चाहिए।" बता दें कि ईरान इजराइल के बीच जारी युद्ध को लेकर अमेरीका के तरफ से बड़ा ऐलान किया गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीजफायर का ऐलान करते हुए दोनों देशों के शांति बनाने की अपील की है। 

ट्रंप के गलत बयान पर चुप क्यों रहा भारत?

सांसद संजय राउत ने आगे कहा कि एक देश जो हमसे क्षेत्रफल में छोटा है वो न अमेरिका से डरा न वो ट्रंप से डरा न इजराइल से डरा और न ही यूरोपीय राष्ट्रों से डरा, ईरान किसी से भी नहीं डरा, वो अपने स्वाभिमान के लिए लड़ा, लड़ेगा और जीतेगा। ऐसे देश के साथ हम भी और हमारा देश भी इमोशनली जुड़ा है। घुटने नहीं टेकने चाहिए। जब पाकिस्तान के साथ हमारी आर्मी लड़ रही थी, हम जीतने की कगार पर थे तो पीछे क्यों हटे? ईरान का जज़्बा तारीफ के काबिल है। इजराइल और ईरान के बीच ट्रंप के सीजफायर वाले बयान के सवाल पर संजय राउत ने कहा ये तो अच्छा है कि ईरान चुप नहीं बैठा, हमारे बारे में जब ट्रंप ने गलत कहा था तब हम चुप बैठे।

हिंदी जबरन महाराष्ट्र में क्यों थोपी जा रही है- राउत

भाषा विवाद पर बोलते हुए राउत ने शिंदे और अजित पवार पर तंज कसा और कहा कि उन्हें मोदी से पूछना चाहिए कि हिंदी जबरन महाराष्ट्र में क्यों थोपी जा रही है, जबकि गुजरात में ऐसा क्यों नहीं हो रहा। उन्होंने कहा, “अमित शाह ने कहा था मैं गुजराती हु हिंदी नहीं। हम महाराष्ट्र वाले हिंदी से प्यार करते है। हमारे पास हिंदी का व्यापार है, फिल्म इंडस्ट्री है संगीत है बड़े बड़े अखबार हिंदी के महाराष्ट्र से निकलते है हमें हिंदी सीखने की जरूरत नहीं है। आप जाए और गुजरात में सिखाए।”