चेन्नईः राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 को लेकर जारी विवाद के बीच सीएम स्टालिन ने बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि राज्य भाषा को लेकर 'एक और युद्ध' के लिए तैयार है। इसके साथ ही स्टालिन ने केंद्र पर शिक्षा का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। इसके साथ ही राज्य से महत्वपूर्ण धनराशि को रोकने का आरोप लगाया है। 

सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को संबोधित करते हुए सीएम ने लोकसभा परिसीमन को लेकर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं के साथ इस विषय पर पांच मार्च को बैठक होगी।  

इससे पहले भी स्टालिन ने नई शिक्षा नीति को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर हस्ताक्षर नहीं करेगा। उन्होंने कहा था भले की केंद्र सरकार इसके लिए वित्तीय सहायता दे। 

2,000 साल पिछड़ जाएगा तमिल समाज

उन्होंने कहा कि "अगर राज्य ने 2,000 करोड़ रुपये के लिए अपने अधिकारों पर हस्ताक्षर कर दिया तो तमिल समाज 2,000 साल पीछे चला जाएगा।" इस दौरान सीएम ने कहा कि नई शिक्षा नीति सामाजिक न्याय को नजरअंदाज करती है। उन्होंने इसे तमिलनाडु और तमिल लोगों के हितों के खिलाफ बताया। 

स्टालिन ने इस बात पर जोर दिया " एनईपी हमारे बच्चों के भविष्य के लिए सीधा खतरा है। हम किसी भाषा का विरोध नहीं करते हैं। लेकिन हम अपने ऊपर एक भाषा को थोपने के किसी प्रयास का हमेशा विरोध करेंगे।"

स्टालिन ने कहा हमारा एनईपी से इसलिए विरोध नहीं है कि वह हिंदी को बढ़ावा देती है। लेकिन यह नीति छात्रों को स्कूल से बाहर करती है। 

बीजेपी ने जताया विरोध

हालांकि बीजेपी की तरफ से स्टालिन के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आई है। भाजपा नेत्री तमिलिसाई सुंदरराजन ने स्टालिन की पार्टी डीएमके पर निशाना साधा है। उन्होंने डीएमके पर आरोप लगाया कि हाल ही में राज्य के कुछ रेलवे स्टेशनों का नाम हिंदी में लिखा गया था लेकिन डीएमके कार्यकर्ताओं ने इसे हटा दिया। 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डीएमके भाषा विवाद पर लोगों को उलझाकर व्यस्त रख रही है और तमिलनाडु के मुख्य मुद्दों को दबा रही है। इससे पहले राज्य का मुख्य विपक्षी दल एआईएडीएमके ने भी स्टालिन पर निशाना साधते हुए कहा कि वह भाषा को लेकर राजनीति कर रहे हैं और इसका इस्तेमाल आने वाले विधानसभा चुनाव में करना चाहते हैं।