जयपुरः बजट सत्र के दिन विधानसभा पहुंचे राजस्थान सरकार में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि "जो हां में हां मिलाता है, उसका रिश्ता लंबा चलता है, लेकिन जो ना कहता है, वह परेशान होता है।" मीडिया से बातचीत में मीणा ने कई अहम मुद्दों पर अपनी राय रखी और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
बजट सत्र के पहले दिन जब उनसे उनकी अनुपस्थिति को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, "यह तो विधानसभा अध्यक्ष से पूछो।" अपने स्वास्थ्य को लेकर उन्होंने कहा कि अब तो "जवानों को भी हार्ट अटैक आ जाता है, इसलिए कुछ भी हो सकता है।"
"हां जी के दरबार में जो ना जी कहेगा, वह मरेगा"
मीणा ने कहा कि कांग्रेस राज में मेरा अपमान हुआ, अब राज में भी मेरा अपमान किया जा रहा है। यह समय समझौतों का है। उन्होंने कहा, हां जी के दरबार में जो ना जी कहेगा तो मरेगा। मेरी हां कहने की आदत नहीं है। लेकिन, जो कहता हूं, सच कहता हूं। मुझे इस बात का दर्द है।
उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष में रहते हुए पांच साल तक संघर्ष किया, लेकिन पार्टी कार्यालय में प्रेस वार्ता तक की इजाजत नहीं मिली। बावजूद इसके, उन्होंने सड़कों पर संघर्ष जारी रखा और सत्ता में वापसी का आधार बनाया।
बजरी खनन और पेपर लीक मुद्दे पर सरकार को घेरा
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मीणा ने बजरी खनन को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बीसलपुर में गाद निकालने के नाम पर रोजाना 7 करोड़ रुपये की बजरी निकाली जा रही है, जबकि वास्तव में गाद हटाई ही नहीं जा रही। उन्होंने इसे सरकार की मिलीभगत करार दिया और कड़ी आपत्ति जताई।
मीणा ने पेपर लीक और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि "युवाओं को उम्मीद थी कि न्याय मिलेगा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वीरांगनाओं का अपमान हुआ और उन्हें भी अपमान सहना पड़ा।
"जब मुद्दे मरते हैं, तो मैं भी मुरझा जाता हूं"
उन्होंने कहा कि जब कोई बड़ा मुद्दा उठता है और उसका समाधान नहीं निकलता, तो वह भी हताश महसूस करते हैं। उन्होंने अपनी भूमिका पर कहा कि "जब विपक्ष में थे, तो मैं अकेला लड़ता था, लेकिन अब सत्ता में रहते हुए भी कई बार असहज महसूस करता हूं।"