मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के बाद क्या अब भारत वापसी संभव? भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि क्या कहती है?

मेहुल चोकसी की कानूनी टीम ने बेल्जियम में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने और भारत प्रत्यर्पण का विरोध करने की तैयारी शुरू कर दी है। चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि अगर चोकसी को भारत लाया गया, तो उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा

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मेहुल चोकसी पर चोकसी पर 13,500 करोड़ रुपये के घोटाले में साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप हैं।

नई दिल्लीः पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में वांछित हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। भारत की जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) की ओर से किए गए प्रत्यर्पण अनुरोध के बाद यह कार्रवाई की गई। चोकसी पर 13,500 करोड़ रुपये के घोटाले में साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप हैं।

कैरिबियन क्षेत्र की रिपोर्टिंग करने वाली वेबसाइट एसोसिएट्स टाइम्स ने मार्च 2025 में एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मेहुल चोकसी बेल्जियम के एंटवर्प शहर में अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने वहां का 'एफ रेजिडेंसी कार्ड' भी हासिल कर लिया है।

वेबसाइट ने यह भी लिखा था कि भारत सरकार ने बेल्जियम सरकार से उनके प्रत्यर्पण की औपचारिक अपील की है। हालांकि, उस समय भारतीय अधिकारियों ने इस पर सार्वजनिक पुष्टि नहीं की थी। बीते महीने बेल्जियम के विदेश मंत्रालय ने भी पुष्टि की थी कि चोकसी फिलहाल यूरोपीय देश में मौजूद हैं।

क्या कहती है भारत-बेल्जियम प्रत्यर्पण संधि और किन मामलों में हो सकता है प्रत्यर्पण ?

भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि वर्ष 2020 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई थी। यह संधि 1901 में ग्रेट ब्रिटेन और बेल्जियम के बीच हुई संधि की जगह आई, जिसे 1958 में भारत तक विस्तारित किया गया था।

इस संधि के तहत, यदि कोई अपराध दोनों देशों के कानूनों के तहत एक वर्ष या उससे अधिक की सजा वाला हो, तो ऐसे अपराधों में आरोपी व्यक्ति का प्रत्यर्पण किया जा सकता है। इसमें वित्तीय अपराध, कर चोरी और भ्रष्टाचार जैसे मामले भी शामिल हैं। चोकसी पर षड्यंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप हैं, जो इस श्रेणी में आते हैं।

हालांकि, प्रत्यर्पण कुछ परिस्थितियों में रोका भी जा सकता है। यदि संबंधित अपराध राजनीतिक प्रकृति का हो, या यदि उसे सैन्य अपराध माना जाए, तब प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। साथ ही, यदि किसी व्यक्ति को धर्म, जाति, लिंग, राजनीतिक विचार या राष्ट्रीयता के आधार पर दंडित करने की मंशा हो, तो भी प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि अभियोजन या सजा की समयसीमा समाप्त हो गई हो, तो प्रत्यर्पण नहीं किया जाएगा। चोकसी के वकील इस मामले को राजनीतिक बता रहे हैं।

संधि के अनुसार, किसी देश के नागरिक का प्रत्यर्पण उस देश की मर्जी पर निर्भर करता है। यह तय किया जाता है कि अपराध के समय व्यक्ति किस देश का नागरिक था।

प्रत्यर्पण का विरोध करेगी चोकसी की कानूनी टीम 

मेहुल चोकसी की कानूनी टीम ने बेल्जियम में उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने और भारत प्रत्यर्पण का विरोध करने की तैयारी शुरू कर दी है। चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने सोमवार को कहा कि अगर चोकसी को भारत लाया गया, तो उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा और उनकी स्वास्थ्य स्थिति को लेकर भी गंभीर चिंता है, क्योंकि वे कैंसर के इलाज के दौर से गुजर रहे हैं।

चोकसी की टीम का कहना है कि वे ल्यूकीमिया (ब्लड कैंसर) से पीड़ित हैं और उन्होंने पहले मुंबई की एक अदालत में हलफनामा देकर भारत आने में असमर्थता जाहिर की थी। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चोकसी ने भारत में मुकदमे का सामना करने में खुद को “स्वास्थ्य की दृष्टि से अनुपयुक्त” बताया था। उन्होंने बेल्जियम के एक डॉक्टर की रिपोर्ट भी दाखिल की थी, जिसमें कहा गया है कि वह यात्रा करने में “100 प्रतिशत अक्षम” हैं।

हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि चोकसी को भारत में विश्वस्तरीय चिकित्सा सुविधा मिल सकती है और उनके इलाज में कोई बाधा नहीं आएगी। सूत्रों के अनुसार, चोकसी की लीगल टीम प्रत्यर्पण प्रक्रिया में उनके स्वास्थ्य को एक मजबूत आधार बनाएगी और जमानत की भी अर्जी दे सकती है।

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि मेहुल चोकसी स्विट्जरलैंड के एक प्रतिष्ठित कैंसर अस्पताल में इलाज कराने की योजना बना रहे हैं। माना जा रहा है कि यह कदम उन्होंने मानवीय आधार पर प्रत्यर्पण से बचने की रणनीति के तहत उठाया है।

क्यों जरूरी है भारत के लिए चोकसी का प्रत्यर्पण?

भारत सरकार मेहुल चोकसी को इसलिए वापस लाना चाहती है क्योंकि 2018 में उनके और उनके भांजे नीरव मोदी पर आरोप लगा कि उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच में झूठे लेटर ऑफ अंडरटेकिंग और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए 13,500 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की। इसके लिए उन्होंने कथित तौर पर बैंक अधिकारियों को रिश्वत दी थी। उसी साल चोकसी एंटीगुआ और बारबुडा भाग गए और वहाँ की नागरिकता प्राप्त कर ली।

हाल ही में बेल्जियम के विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि चोकसी उस देश में मौजूद हैं। दूसरी ओर, नीरव मोदी 2018 में भारत से भागकर ब्रिटेन गए और वहां 2019 में गिरफ्तार किए गए। वे अभी भी ब्रिटेन की हिरासत में हैं और एक प्रत्यर्पण याचिका पहले ही हार चुके हैं।

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