नई दिल्लीः भारत ने म्यांमार में आए विनाशकारी 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ शुरू किया है। इसके तहत नई दिल्ली ने पड़ोसी देश में दो नौसैनिक जहाज भेजे हैं, जबक इसी दिन बाद एक फील्ड अस्पताल को एयर लिफ्ट कर म्यांमार भेजा जाएगा। इस आपदा में अब तक 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने पुष्टि की है कि म्यांमार में रह रहे भारतीय नागरिकों को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग से बात की और संवेदना व्यक्त करते हुए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "भारत म्यांमार के लोगों के साथ खड़ा है और राहत एवं बचाव कार्यों में हरसंभव सहायता प्रदान करेगा।"
रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस मानवीय सहायता अभियान के तहत दो और भारतीय नौसैनिक जहाज वहां पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि विमान के जरिए भेजी जा रही मानवीय सहायता के अलावा, आगरा से 118 सदस्यों वाला एक फील्ड अस्पताल शनिवार को बाद में रवाना होने की उम्मीद है।
ऑपरेशन ब्रह्मा: भारत की त्वरित प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने इस मानवीय अभियान को 'ऑपरेशन ब्रह्मा' नाम दिया, जो सृजन के देवता ब्रह्मा से प्रेरित है। जयसवाल ने बताया कि पहली राहत उड़ान शनिवार तड़के 3 बजे हिंडन एयरफोर्स बेस से रवाना हुई और सुबह 8 बजे यांगून पहुंची। इस विमान में 15 टन राहत सामग्री भेजी गई, जिसे भारत के म्यांमार में राजदूत ने यांगून के मुख्यमंत्री को सौंपा। इसके बाद, दो और विमान बचाव कर्मियों, विशेष उपकरणों और खोजी कुत्तों के साथ भेजे गए।
भारत की 'फर्स्ट रिस्पॉन्डर' नीति
जयसवाल ने भारत की 'फर्स्ट रिस्पॉन्डर' नीति पर जोर देते हुए कहा कि "भारत हमेशा आपदाओं के समय सबसे पहले मदद करने वाला देश रहा है।" उन्होंने 2015 के नेपाल भूकंप और 2023 के तुर्किये भूकंप के दौरान भारत की त्वरित सहायता का उदाहरण दिया।
उन्होंने यह भी बताया कि म्यांमार में करीब 60,000 भारतीय नागरिक रहते हैं, और भारतीय दूतावास लगातार समुदाय से संपर्क में है। अभी तक किसी भारतीय नागरिक के हताहत होने की सूचना नहीं है।
भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में NDRF की तैनाती
एनडीआरएफ के डीआईजी मोहसिन शाहेदी ने जानकारी दी कि 80 सदस्यीय विशेष टीम को म्यांमार भेजा गया है। यह टीम शहरी खोज और बचाव (USAR) अभियानों में विशेषज्ञता रखती है और अत्याधुनिक कंक्रीट कटर, ड्रिल मशीनें, हैमर और अन्य बचाव उपकरणों से लैस है। प्रशिक्षित खोजी कुत्तों को भी मलबे में दबे लोगों की तलाश के लिए तैनात किया गया है।
शाहेदी ने बताया कि अगले 24 से 48 घंटे बेहद महत्वपूर्ण हैं, जिसे ‘गोल्डन पीरियड’ कहा जाता है। इसी अवधि में सबसे अधिक जीवित लोगों को बचाया जा सकता है। यदि आवश्यकता हुई, तो कोलकाता में रिजर्व टीम भी भेजी जाएगी।
समुद्री रास्ते से भी मदद भेज रहा भारत
भारतीय नौसेना भी सहायता अभियान में सक्रिय भूमिका निभा रही है। कमोडोर रघुनाथ नायर ने बताया कि चार जहाजों को म्यांमार भेजा गया है, जिनमें से दो पहले ही रवाना हो चुके हैं और 31 मार्च तक यांगून पहुंचने की उम्मीद है। शेष दो जहाज अंडमान से रवाना होंगे और पहले दो जहाजों के साथ ही म्यांमार पहुंचेंगे।