मुंबईः भाषा विवाद को लेकर इन दिनों महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है। पिछले दिनों एक दुकानदार की मराठी नहीं बोलने को लेकर मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा पिटाई के बाद मराठी बनाम हिंदी के मुद्दे ने तुल पकड़ लिया है। व्यापारियों द्वारा शनिवार को इस घटना को लेकर निकाले गए मार्च के जवाब में मनसे ने मंगलवार ठाणे के मीरा भयंदर इलाके में एक मोर्चा निकाला। हालांकि प्रशासन ने इसकी इजाजत नहीं दी जिसके बाद काफी हंगामा हुआ।
मनसे कार्यकर्ता मंगलवार सुबह 10 बजे मीरा रोड के बालाजी होटल से प्रदर्शन मार्च निकालने वाले थे, लेकिन पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसके बावजूद, कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद यह जुलूस प्रस्तावित मार्ग पर ही आगे बढ़ा। शिवसेना (UBT) और NCP (SP) के कार्यकर्ता भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान मनसे नेता अविनाश जाधव सहित कई कार्यकर्ताओं को एहतियातन हिरासत में लिया गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
VIDEO | Thane, Maharashtra: MNS workers take out protest march in Mira Bhayander area to counter a protest staged earlier by traders against the slapping of a food stall owner for not speaking in Marathi.#MaharashtraNews#MaharashtraPolitics
— Press Trust of India (@PTI_News) July 8, 2025
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जाधव ने कहा कि यह "राज्य की पहचान का सम्मान करने" से जुड़ा मुद्दा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले का विरोध प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक नरेंद्र मेहता द्वारा राजनीतिक रूप से प्रायोजित था। मनसे ने कहा था कि उनका मार्च कथित मारपीट वाली जगह से शुरू होकर मेहता के कार्यालय पर समाप्त होगा। मराठी एकीकरण समिति ने भी इस विरोध का समर्थन किया है और उन लोगों की आलोचना की है जो महाराष्ट्र में व्यापार तो करते हैं, लेकिन मराठी बोलने में झिझकते हैं।
मोर्चे की अनुमति नहीं दिए जाने पर सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने क्या कहा?
प्रदर्शन मार्च को अनुमति नहीं दिए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि, “महाराष्ट्र एक लोकतांत्रिक राज्य है, जहां कोई भी व्यक्ति अनुमति लेकर मोर्चा निकाल सकता है। लेकिन जब किसी रूट से ट्रैफिक जाम या भगदड़ का खतरा हो, तो पुलिस रूट बदलने का सुझाव देती है। मनसे को भी रूट बदलने को कहा गया, लेकिन वे उसी रूट पर अड़े रहे, इसलिए अनुमति नहीं दी गई।”
फड़नवीस ने आगे कहा कि मैं महाराष्ट्र के मिजाज को जानता हूं। मराठी व्यक्ति सिर्फ महाराष्ट्र के बारे में नहीं, पूरे भारत के बारे में सोचता है। मराठी समाज संकुचित नहीं, बल्कि बड़ा दिल रखने वाला समाज है। इस तरह के प्रयोग महाराष्ट्र में नहीं चलेंगे।
शिवसेना के मंत्री प्रताप सरनाइक ने संक्षिप्त रूप से विरोध स्थल का दौरा किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें घेर लिया और वे मीडिया से बात किए बिना ही चले गए। मनसे नेता नितिन सरदेसाई ने ट्रेन से आते हुए कहा, "आज मराठी मानुस मैदान पर है।"
VIDEO | Mira Bhayandar MNS Morcha: Maharashtra CM Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) says, "Maharashtra is a democratic state. If anyone wants to take out a morcha, they can do so after taking permission. However, the route of the morcha is decided by the police considering issues… pic.twitter.com/tUiGMQJRNk
— Press Trust of India (@PTI_News) July 8, 2025
विवाद की शुरुआत
पूरा विवाद उस वीडियो के बाद शुरू हुआ जिसमें मीरा रोड की 'जोधपुर स्वीट्स' नामक दुकान के मालिक बाबूलाल चौधरी को मनसे कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर हिंदी में जवाब देने पर थप्पड़ मारा और धमकाया। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें सात मनसे कार्यकर्ता दुकान में घुसकर धमकी देते दिखाई दिए। इसके बाद स्थानीय व्यापारियों ने इस घटना के खिलाफ मोर्चा निकाला, लेकिन जब मनसे ने इसका जवाब देने के लिए विरोध मार्च का ऐलान किया तो पुलिस ने उसे अनुमति नहीं दी।
वसई-विरार पुलिस कमिश्नर मधुकर पांडे ने इसपर कहा कि "हाईकोर्ट के निर्देश के आधार पर हमने कहा कि आप अनुमति ले सकते हैं लेकिन रूट बदल दें। हमारे पास कुछ खुफिया इनपुट भी थे, जिसके मद्देनजर हमने यह फैसला लिया। हमने कुछ लोगों को हिरासत में लिया, मैं शहर के लोगों से पुलिस का सहयोग करने की अपील करता हूं। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि यह अफवाह फैलाई जा रही है कि व्यापारियों को हमने मार्च की इजाजत दी थी। हमने उनको भी इजाजत नहीं दी थी। जबरदस्ती करने पर उनके ऊपर एफआईआर भी की गई थी।
निशिकांत दुबे के बयान पर फड़नवीस ने क्या कहा?
इस विवाद में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे भी कूद पड़े और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा, "अगर हिम्मत है तो यूपी, बिहार या तमिलनाडु आओ... तुम्हे पटक पटक के मारेंगे।”
हालांकि मुख्यमंत्री फड़नवीस ने भाजपा सांसदे के बयान से आंशिक असहमति जताई और कहा, “दुबे का बयान पूरी तरह सही नहीं है। उन्होंने आम मराठी लोगों को नहीं, बल्कि उन संगठनों को निशाना बनाया है जिन्होंने यह विवाद खड़ा किया है। महाराष्ट्र का देश के विकास में जो योगदान है, उसे कोई नकार नहीं सकता।”