नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कथित शराब घोटाले के मामले में लंबे समय से जेल में बंद दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सशर्त जमानत दे दी है। कोर्ट ने सिसोदिया को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ दर्ज मामलों में 10 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी है। ऐसे में आम आदमी पार्टी नेता का जेल से बाहर आना अब तय है।
सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 17 महीने की लंबी कैद की अवधि और मुकदमे में देरी के मद्देनजर पीएमएलए का ‘ट्रिपल टेस्ट’ उन पर लागू नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ कहा, ‘हमारे अनुभव के अनुसार ऐसा प्रतीत होता है कि निचली अदालतें और हाई कोर्ट जमानत देने में सुरक्षित भूमिका निभाती नजर आती हैं।’
BREAKING: Supreme Court verdict granting Manish Sisodia bail in Delhi excise policy case
– Bail cannot be denied as punishment
– High time courts below realise ‘bail not jail’ is the rule
– No chance of trial being completed on time
– Sisodia has right to inspect lengthy… pic.twitter.com/3rohMp6DSP
— Bar and Bench (@barandbench) August 9, 2024
मनीष सिसोदिया से जुड़े मामले की पूरी कहानी
सीबीआई ने पिछले साल 26 फरवरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सिसोदिया को गिरफ्तार किया था। वहीं, ईडी ने भी कुछ दिनों बाद 9 मार्च को धन शोधन निवारण अधिनियम (prevention of money laundering act) के तहत उन्हें गिरफ्तार किया था।
इसके बाद मई में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस पर सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 10 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया। हालांकि, साथ ही कोर्ट ने ईडी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए कुछ आरोपों पर संदेह भी जताया था।
ऐसे में अदालत ने मुकदमे की सुनवाई लंबी खिंचने पर सिसोदिया को नई जमानत याचिका दायर करने की भी अनुमति दी थी। इसके बाद इसी साल 4 जून को अदालत की एक अवकाश पीठ ने जांच एजेंसियों द्वारा ये आश्वासन दिए जाने के बाद कि एक महीने के भीतर आरोपपत्र दायर किया जाएगा, सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद ‘आप’ नेता ने अब इस आधार पर जमानत की मांग रखी थी कि मुकदमा शुरू होने में देरी हो रही है।
सिसोदिया को पासपोर्ट जमा कराना होगा
सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी रखी हैं। इसके तहत उन्हें अपना पासपोर्ट जमा कराना होगा। साथ ही उन्हें हिदायत दी गई है कि वे जेल से बाहर आने के बाद गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे। कोर्ट ने यह भी शर्त रखी है कि सिसोदिया जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय नहीं जाएंगे। केजरीवाल भी इसी केस में जेल में बंद हैं। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर सबूतों से छेड़छाड़ की बात सामने आती है तो सिसोदिया को फिर से जेल जाना पड़ सकता है। सिसोदिया को हफ्ते में दो बार- सोमवार और गुरुवार को थाने में हाजिरी लगाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
सुनवाई के दौरान सीबीआई और ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की कि सिसोदिया पर वहीं शर्तें लगाई जाएं, जो अरविंद केजरीवाल पर लागू थी। हालांकि कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का यह कहना कि सिसोदिया की वजह से दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में सुनवाई में देरी हुई, ये सही नहीं है।
सुनवाई में देरी के लिए सिसोदिया को दोषी ठहराने की सीबीआई और ईडी की दलील को कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सुनवाई पूरी होने की उम्मीद में किसी आरोपी को लंबे समय तक जेल में रखना आरोपी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने साथ ही कहा कि मामले में 400 से ज्यादा गवाहों को देखते हुए ट्रायल जल्द पूरी होने की संभावना नहीं दिखती है।
दिल्ली का शराब घोटाला मामला क्या है?
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी 2021-22 को लागू किया था। इस नई पॉलिसी से शराब कारोबार एक तरह से पूरी तरह निजी हाथों में चला गया और सरकार इससे बाहर आ गई थी। दिल्ली सरकार की ओर से तब दावा किया गया था कि नई नीति से इस क्षेत्र में माफिया राज खत्म होगा और सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ेगा। हालांकि, विवाद बढ़ा तो जुलाई, 2022 में अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इसे रद्द कर दिया।
इसी बीच 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने अपनी एक रिपोर्ट में शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दिल्ली के एलजी को लिखे पत्र में पूरे मामले की जांच की सिफारिश भी की। इसी के बाद 2022 के अगस्त में सीबीआई ने केस दर्ज किया। आरोप लगे कि मनीष सिसोदिया और ‘आप’ के कुछ बड़े नेताओं ने गलत तरीके से शराब नीति तैयार की। उस समय मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था।
ऐसे आरोप लगे कि नई नीति में पैसे का लेनदेन हुआ और कुछ शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। यही नहीं, कोविड की बात कहकर मनमाने तरीके से करीब 140 करोड़ रुपये की लाइसेंस फीस भी इन लोगों माफ की गई। पैसे की हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग के भी आरोप लगे। ऐसे में ईडी ने भी मामले में केस दर्ज किया।