इंफाल: मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की खबरों के बीच इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को मंगलवार (10 सितंबर) से रविवार (15 सितंबर) को दोपहर 3 बजे तक पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। पिछले सप्ताह एक मिसाइल हमले में एक व्यक्ति की मौत के बाद हिंसा की कुछ घटनाओं के बाद मणिपुर में दो दिनों यानी 9 और 10 सितंबर के लिए स्कूल और कॉलेज भी बंद कर दिए थे। शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी, निजी और केंद्रीय स्कूलों को 9 और 10 सितंबर को बंद रखने का आदेश दिया था।

इससे पहले सुरक्षा कारणों से स्कूल 7 सितंबर को भी बंद कर दिए गए थे। पिछले साल मई से इम्फाल घाटी में मैतेई समुदाय और आसपास की पहाड़ियों में कुकी समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से अधिक लोगों की जान चली गई है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।

बहलहाल, मणिपुर के तीन जिलों - इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। इससे पहले इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम के जिला मजिस्ट्रेटों ने मंगलवार सुबह 5 बजे से 10 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी थी। हालांकि, एक आधिकारिक बयान के अनुसार, बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण छूट को रद्द करना पड़ा और सुबह 11 बजे से कर्फ्यू फिर से लागू कर दिया गया।

रिटायर्ड सैनिक का शव मिला

पिछले हफ्ते जिरीबाम जिले में हुई हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से हालात बिगड़ने लगे थे। इसी बीच मणिपुर के शांतिपुर इलाके में आठ सितंबर को संदिग्ध उग्रवादियों द्वारा अगवा किए गए सेना से सेवानिवृत्त एक जवान का शव तलाशी के बाद सोमवार को मिला। लिमलाल माटे का शव सोमवार को इंफाल पश्चिम और कांगपोकपी जिलों के बीच एक सीमांत क्षेत्र में मिला।

मारे गए पूर्व सैनिक के बेटे थांगमिनलुन माटे ने कांगपोकपी जिले के गमनोम सापरमेना पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसमें दावा किया गया कि उनके पिता का संदिग्ध उग्रवादियों ने उस समय अपहरण कर लिया, जब वह रविवार को शांतिपुर में घरेलू सामान खरीदने गए थे।

कुकी समुदाय के स्थानीय लोगों ने बताया कि सेना के पूर्व हवलदार माटे कांगपोकपी जिले के मोटबुंग गांव के निवासी थे और रविवार को गलती से कार चलाते हुए बफर जोन पार कर सेकमाई क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे। संदेह जताया जा रहा है माटे की हत्या की गई है।

दो समुदायों के बीच लड़ाई

मणिपुर में पिछले साल मई में बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा भड़कने के बाद से दोनों समुदायों के बीच झड़पों को रोकने के लिए मैतेई समुदाय के प्रभुत्व वाली घाटियों और कुकी समुदाय के निवास वाले पहाड़ी क्षेत्रों पर केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है।

पिछले वर्ष तीन मई को जातीय संघर्ष शुरू होने के बाद से दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के क्षेत्रों में प्रवेश करने से बचते रहे हैं। कुकी समुदाय के ज्यादातर लोग पहाड़ों पर रहते हैं जबकि मैतई समुदाय घाटी में रहता है। ऐसे में एक इनके इलाकों के बीच एक सरहद सा बन गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन इलाकों में दोनों समुदाय के लोगों ने अपने लिए बंकर तक बना लिए हैं। इसके अलावा इनके पास भारी मात्रा में हथियार भी अब मौजूद हैं।

मणिपुर में एक सितंबर से हिंसा बढ़ गई है। इस दौरान महिलाओं और बुजुर्गों सहित कम से कम 10 लोग मारे गए हैं और 20 से अधिक घायल हुए हैं।

असम राइफल्स, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और मणिपुर पुलिस के संयुक्त सुरक्षा बलों ने भी आतंकवादियों को पकड़ने के लिए राज्य भर में अपने आतंकवाद विरोधी अभियान तेज कर दिए हैं। मणिपुर सरकार ने 6 सितंबर से हवाई गश्त करने के लिए एक सैन्य हेलिकॉप्टर को सेवा में लगाया है और उग्रवादियों के ड्रोनों को रोकने के लिए ड्रोन रोधी प्रणाली तैनात की है।

मणिपुर में बढ़ती हिंसा के विरोध में हजारों महिलाएं, छात्र और विभिन्न नागरिक समाज संगठन कुछ दिनों से विरोध रैलियां भी कर रहे हैं।