चुराचांदपुर: मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में जोमी और हमार जनजातियों के बीच मंगलवार देर रात फिर से हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें कई लोग घायल हो गए। यह घटना दोनों समुदायों के शीर्ष नेताओं के बीच शांति समझौते के कुछ ही घंटों बाद हुई है।

एक अधिकारी ने बताया कि चुराचांदपुर शहर में देर रात उस समय झड़पें शुरू हुईं, जब कुछ लोगों ने शहर में जोमी उग्रवादी संगठन का झंडा उतारने की कोशिश की। इसके बाद, लाठियों से लैस भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे और हवा में कई राउंड फायरिंग की।

अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों को भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने कई संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। भीड़ में कुछ लोगों ने अपने विरोधियों पर गोलियां भी चलाईं। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि गोलियां किसने चलाईं।

सुरक्षा बलों ने फ्लैग मार्च किया, लोगों से घरों में रहने की अपील

स्थिति को काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों ने शहर में फ्लैग मार्च किया और लोगों से घरों में रहने की अपील की। पूरे जिले में कर्फ्यू लागू है और सुरक्षा बल सतर्क निगरानी रख रहे हैं। हिंसा के विरोध में जोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन ने जिले में तत्काल प्रभाव से बंद का ऐलान किया है।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ने एक बयान में कहा, "चुराचांदपुर की स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण है, ऐसे में आपातकालीन बंद आवश्यक हो गया है। सभी सामान्य गतिविधियां निलंबित रहेंगी।" उन्होंने लोगों से घरों में रहने और सभी शैक्षणिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को बंद रखने की अपील की।

दूसरी ओर, जिला प्रशासन ने चुराचांदपुर के निवासियों से सभी हिंसक गतिविधियों को बंद करने और अधिकारियों के साथ सहयोग करने की सार्वजनिक अपील की। जिला मजिस्ट्रेट धरुन कुमार एस ने एक बयान में कहा, "इस संघर्ष से दोनों पक्षों को काफी पीड़ा और नुकसान हुआ है। शांति बहाली और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति या समूह कानून को अपने हाथ में नहीं ले सकता, ऐसा करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।"

धरुन कुमार ने सभी पक्षों से आगे किसी भी हिंसा में शामिल होने से बचने का आग्रह करते हुए कहा, "किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं है और ऐसे किसी भी कृत्य पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।" उन्होंने सभी से अधिकारियों के साथ सहयोग करने और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना देने का आग्रह किया और सामुदायिक नेताओं से मुद्दों को शांतिपूर्वक हल करने के लिए जिला प्रशासन और कानून प्रवर्तन के साथ बातचीत करने के लिए कहा।

हमार-जोमी समुदाय के बीच क्यों बढ़ा तनाव?

गौरतलब है कि मंगलवार को ही हमार इनपुई और जोमी काउंसिल ने बंद हटाने और जिले में सामान्य जीवन को बाधित करने वाली सभी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। क्योंकि रविवार 17 मार्च को दोनों जनजातियों के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं।

रविवार देर शाम हमार जनजाति के नेता रिचर्ड हमार पर कुछ अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया। रिचर्ड अपनी गाड़ी चला रहे थे, जब उनकी गाड़ी एक दोपहिया वाहन से टकराने से बाल-बाल बची। इस मामूली घटना के बाद रिचर्ड और दोपहिया वाहन पर सवार युवकों के बीच कहासुनी हो गई, जो जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई। विवाद के दौरान दूसरे पक्ष ने रिचर्ड पर हमला कर दिया, जिससे इलाके में तनाव फैल गया। इसके 

घटना के अगले दिन, क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया। घटना के विरोध में हमार विलेज वॉलंटियर्स (एचवीवी) ने फेरजावल और जिरिबाम जिलों में पूर्ण बंद लागू कर दिया था। आक्रोशित हमार समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी शुरू कर दी। हालात को काबू में करने के लिए सुरक्षाबलों को आंसू गैस के गोले छोड़ने और हवा में फायरिंग करने पर मजबूर होना पड़ा। बिगड़ती स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पूरे इलाके में कर्फ्यू लागू कर दिया, ताकि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जा सके।

फेरजावल में हमार जनजाति की बहुलता है, जबकि जिरीबाम में कई जातीय समुदाय हैं, जिनमें मैतेई बहुसंख्यक हैं। हालांकि मंगलवार को दोनों के बीच एक समझौता हुआ जिसके तहत हमलावर के परिवार शुरू में रिचर्ड हमार के इलाज के लिए 2 लाख रुपये का भुगतान करेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें और पैसा देंगे। दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए थे कि भविष्य में एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा नहीं होनी चाहिए।

गौरतलब है कि मई 2023 से मैतेई और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में मणिपुर में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों बेघर हो गए हैं। केंद्र ने 13 फरवरी को एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था। राज्य विधानसभा को निलंबित रखा गया है, जबकि उसका कार्यकाल 2027 तक है।