इंफालः मणिपुर में राष्ट्रपति शासन हटाने और लोकप्रिय सरकार के गठन की माँग लेकर एनडीए के 10 विधायकों ने बुधवार को राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की। इन विधायकों ने दावा किया कि उन्हें 44 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
इन विधायकों में भाजपा के युमनाम राधेश्याम सिंह, ठोकचोम राधेश्याम सिंह, लोउरेम्बम रमेश्वर मेइती, थंगजम अरुणकुमार, केएच रघुमणि सिंह, कोंगखम रोबिन्द्रो सिंह और पाओनाम ब्रोजन सिंह शामिल हैं। इसके अलावा नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के शेख नूरुल हसन और जांघेमलिउंग व स्वतंत्र विधायक सपाम निशिकांत भी इस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे। इन 10 में से 9 विधायक मैतेई-बहुल घाटी क्षेत्र से हैं, जबकि पानमेई एकमात्र नागा समुदाय से आते हैं।
#WATCH | Manipur: 10 MLAs, including 8 BJP, 1 NPP, and 1 Independent MLA met Manipur Governor Ajay Kumar Bhalla at the Raj Bhavan in Imphal, to stake claim to form a government in the state. pic.twitter.com/BMM82tdy50
— ANI (@ANI) May 28, 2025
राष्ट्रपति शासन अंतिम विकल्पः MLA राधेश्याम सिंह
राज्यपाल से मुलाकात के बाद ठोकचोम राधेश्याम सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "हमने 44 विधायकों की राय पेश की। मौजूदा हालात और जनता के बढ़ते दबाव को देखते हुए, हमने राज्यपाल से आग्रह किया कि यह एक लोकप्रिय सरकार बनाने का सही समय है। राष्ट्रपति शासन एक आपातकालीन कदम है, जिसे अंतिम विकल्प के तौर पर ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अगर नई सरकार विफल होती है तो दोबारा राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।"
उन्होंने बताया कि जिन 44 विधायकों का समर्थन बताया गया है, उनमें 10 कुकी-जो विधायक और कांग्रेस के 5 विधायक शामिल नहीं हैं। मणिपुर विधानसभा की कुल 60 सीटों में से एक सीट इस समय खाली है। सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा 31 है।
विधायक पीएम और गृहमंत्री को लिख चुके हैं पत्र
इससे पहले 29 अप्रैल को 21 एनडीए विधायकों ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राज्य में लोकप्रिय सरकार बनाने की माँग की थी। इन विधायकों में न तो पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह शामिल थे और न ही उनके करीबी माने जाने वाले विधायक। बुधवार को राज्यपाल से मिले 10 विधायक उसी 21 विधायकों के समूह में से हैं जिन्होंने पहले भी पत्र लिखा था।
पत्र में कहा गया था- 13 फरवरी से लागू राष्ट्रपति शासन के बाद से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के कोई ठोस प्रयास नहीं दिखे हैं। लोकप्रिय सरकार की स्थापना ही राज्य में स्थायित्व और समाधान का रास्ता है।
कौन होगा मुख्यमंत्री चेहरा?
राधेश्याम सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित नहीं किया है कि हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह अपनी पसंद से नेतृत्व तय करे। हमारी एक ही माँग है, जनता की भावनाओं का सम्मान हो और राज्य को एक निर्वाचित सरकार मिले। उन्होंने बताया कि राज्यपाल के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा हुई है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि इस मामले पर विचार करेंगे।
वहीं दूसरी ओर, बीरेन सिंह के करीबी माने जाने वाले विधायक एल. सुसींद्रो मेइती ने इस घटनाक्रम से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने कहा कि मुझे इस राजनीतिक घटनाक्रम की कोई जानकारी नहीं है। आमतौर पर यह दायित्व पार्टी के विधायक दल के नेता का होता है, न कि किसी समूह विशेष का। फिर भी हम यह मानते हैं कि उन्होंने राज्य की मौजूदा समस्याओं को उजागर किया है, यह सराहनीय है।
मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है
गौरतलब है कि मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले, 9 फरवरी को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा सरकार का नेतृत्व कर रहे बीरेन सिंह पर पिछले डेढ़ साल से राज्य में जारी जातीय हिंसा को काबू में न ला पाने का भारी दबाव था।
मणिपुर में 3 मई, 2023 को जातीय हिंसा भड़की थी। बहुसंख्यक मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित "आदिवासी एकजुटता मार्च" के बाद हिंसा भड़की थी।
तब से, हिंसा में 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, सैकड़ों लोग घायल हुए हैं जबकि 1,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। हिंसा के चलते 70,000 से ज्यादा लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए, और 6,000 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। हजारों विस्थापित ने राज्य भर में राहत शिविरों में शरण ली है। इस गंभीर स्थिति को लेकर विपक्षी दल लगातार एनडीए सरकार पर सवाल उठा रहे हैं और राज्य में कानून व्यवस्था की विफलता के लिए केंद्र को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।