नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने एक इंटरव्यू में अपने राजनीतिक करियर को लेकर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन की बिडंबना है कि मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार द्वारा बनाया गया और गांधी परिवार द्वारा ही बर्बाद किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस ने 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया गया होता तो 2014 में पार्टी की बुरी हार नहीं होती।

10 सालों में सोनिया गांधी से सिर्फ एक बार आमने-सामने मिला

अपनी आगामी किताब 'A Maverick in Politics'  पर चर्चा के दौरान पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में अय्यर ने बताया कि 10 साल में उन्हें सोनिया गांधी से आमने-सामने मुलाकात का एक मौका नहीं मिला। राहुल गांधी से सिर्फ एक बार मिला हूं, जबकि मैं प्रियंका गांधी से एक या दो बार ठीक से मिल पाया। हालांकि प्रियंका से मेरी फोन पर बात होती रहती है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि मेरे राजनीतिक जीवन का विरोधाभास यही है कि इसे गांधी परिवार ने बनाया और उन्हीं के कारण यह खत्म भी हुआ।

इंटरव्यू में अय्यर ने राहुल गांधी के जन्मदिन पर एक किस्सा साझा किया। उन्होंने बताया कि जब वह पार्टी से निलंबित थे, तब उन्होंने राहुल को शुभकामनाएं सीधे देने के बजाय प्रियंका गांधी के माध्यम से भेजीं। प्रियंका गांधी, जो उस समय राजनीति में नहीं थीं,  को काफी आश्चर्य हुआ और पूछ बैठीं कि वह राहुल से सीधे क्यों नहीं बात कर रहे। अय्यर ने जवाब दिया, "मैं निलंबित हूं और अपने नेता से सीधे बात नहीं कर सकता।"

अय्यर ने बताया कि उन्होंने राहुल गांधी को एक पत्र लिखा, जिसमें पहले पैराग्राफ में जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और उसके बाद अपनी पार्टी स्थिति पर सवाल उठाए। हालांकि, उन्हें उस पत्र का कोई उत्तर नहीं मिला। बाद में, उसी वर्ष उनका निलंबन रद्द कर दिया गया।

2012 की ‘दो बड़ी समस्याएं’ और 2014 की हार

अय्यर ने कांग्रेस की 2014 की हार पर चर्चा करते हुए कहा कि 2012 में दो बड़े संकट हुए—सोनिया गांधी की तबीयत खराब हुई और मनमोहन सिंह ने छह बाईपास सर्जरी करवाई। उन्होंने कहा, "अगर 2012 में मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाता और प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री, तो शायद हम 2014 के लोकसभा चुनाव में इतने बड़े अंतर से नहीं हारते।" उन्होंने यह भी माना कि कांग्रेस फिर भी हारती, लेकिन 44 सीटों तक सिमटने जैसी "अपमानजनक हार" नहीं होती।

जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित अपनी किताब, ए मेवरिक इन पॉलिटिक्स के दूसरे खंड में, अय्यर ने उस समय को याद किया जब उन्होंने मनमोहन सिंह को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल होने के लिए मनाने की कोशिश की थी। लेकिन मनमोहन सिंह का मानना था कि देश कभी भी किसी सिख को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार नहीं करेगा। अय्यर ने 1998 में डॉ. सिंह को तृणमूल कांग्रेस में शामिल करने का प्रयास किया था और ममता बनर्जी से उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश करने की अनुमति ली थी।

जब क्रिसमस की बधाई पर सोनिया गांधी ने कहा- मैं ईसाई नहीं हूं

अय्यर ने सोनिया गांधी से जुड़ा एक और किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने सोनिया गांधी को "मेरी क्रिसमस" कहा। सोनिया ने जवाब में कहा, "मैं ईसाई नहीं हूं।" इस पर अय्यर चकित रह गए। उन्होंने कहा, "सोनिया खुद को ईसाई नहीं मानतीं। जैसे मैं खुद को किसी धर्म से जुड़ा नहीं मानता। मैं नास्तिक हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं धर्मों का अनादर करता हूं।"