कोलकाता: पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट में कथित गड़बड़ियों के आरोपों के बीच एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बांग्लादेश में 2024 में हुए छात्रों के विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाला एक शख्स पश्चिम बंगाल के साउथ 24 परगना जिले के काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र में पंजीकृत मतदाता है। शख्स की पहचान न्यूटन दास के तौर पर हुई है।
TV9 बांग्ला की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट के बाद यह मामला सुर्खियों में आया। काकद्वीप सुंदरबन के करीब स्थित है, जिसकी सीमा बांग्लादेश से लगती है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि न्यूटन दास पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का सक्रिय कार्यकर्ता भी है।
पिछले साल पड़ोसी बांग्लादेश में व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था। इस प्रदर्शन में न्यूटन दास के हिस्सा लेने की कई तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं। इस बीच दास ने खुद कहा कि वह भारत का नागरिक हैं। हालांकि, उसने इस बात से भी इनकार नहीं किया कि वह बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों में सक्रिय रूप से शामिल था।
न्यूटन दास का बांग्लादेश कनेक्शन, दो देशों में वोटर कार्ड!
दास ने एक वीडियो संदेश में कहा, 'मैं 2024 में पैतृक संपत्ति से जुड़े मुद्दों के लिए बांग्लादेश गया था और वहां के आंदोलन में फंस गया। मैं 2014 से काकद्वीप में मतदाता हूं, लेकिन 2017 में मेरा वोटर कार्ड खो गया। 2018 में, मुझे स्थानीय विधायक मंटूराम पाखीरा की मदद से एक नया वोटर कार्ड मिला।'
दास ने इस बात की भी पुष्टि की है कि उसने 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के काकद्वीप विधायक मंतूराम पाखिरा को वोट दिया था। उसने यह खुलासा नहीं किया है कि वह इस समय भारत में हैं या बांग्लादेश में।
वहीं, टीवी 9 बांग्ला की रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यूटन दास पढ़ाई के लिए भारत आया था। बाद में वह बांग्लादेश लौट गया। इस बीच वह पश्चिम बंगाल में वोटर कार्ड बनवाने में सफल रहा।
इस बीच, सोशल मीडिया पर न्यूटन दास की तृणमूल कांग्रेस के नेता सुभाशीष दास के साथ एक तस्वीर सामने आई है। तस्वीर में सुंदरबन के टीएमसी नेता आरोपी का जन्मदिन मनाते नजर आ रहे हैं। टीवी9 बांग्ला से बात करते हुए सुभाशीष दास ने दावा किया कि उन्हें न्यूटन की बांग्लादेशी नागरिकता और 'छात्र विरोध प्रदर्शन' में भाग लेने के बारे में 'कोई जानकारी नहीं' है।
दूसरी ओर दास के एक चचेरे भाई तपन दास ने कहा है कि उसके 'भाई का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और वह दोनों देशों में मतदान के अधिकार का प्रयोग करता हैं।'
काकद्वीप में रहने वाले तपन दास ने पत्रकारों से कहा, 'वह (न्यूटन दास) महामारी के बाद कुछ जमीन बेचने के लिए यहां आया थे और तब से वह यहां नहीं आया है। चूंकि उसका जन्म बांग्लादेश में हुआ है, इसलिए वह बांग्लादेश का मतदाता भी हैं। यह उसकी गलती है कि वह दोनों देशों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।'
भाजपा ने तृणमूल सरकार पर साधा निशाना
न्यूटन दास के मुद्दे को लेकर भाजपा ने भी पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकर पर जमकर निशाना साधा है। भाजपा के मथुरापुर सांगठनिक जिला सचिव संजय दास के अनुसार, 'सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल बांग्लादेशी जिहादियों का वोटर कार्ड बनाकर और उन्हें नागरिकता देकर चुनाव जीतने के लिए इस देश में ला रही है। न्यूटन बांग्लादेश आंदोलन से जुड़ा हुआ है। मैंने यहां के छात्र नेता के साथ उसकी तस्वीरें देखी हैं। वह बांग्लादेश से आया है और इस देश के खिलाफ बातें कर रहा है। उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।'
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई ने भी सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए तृणमूल कांग्रेस की नीतियों पर सवाल उठाए। विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी कहा कि लाखों बांग्लादेशी नागरिक पश्चिम बंगाल में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। अधिकारी ने आगे दावा किया कि आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला के कथित कार्यकर्ता साद शेख का नाम मुर्शिदाबाद जिले की मतदाता सूची में शामिल था। पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस ताजा घटना को 'तथाकथित ईगिये बांग्ला मॉडल' का एक और शानदार उदाहरण बताया।
— Dr. Sukanta Majumdar (@DrSukantaBJP) June 7, 2025
हालांकि, टीएमसी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के पास है और यह अमित शाह के नेतृत्व वाले केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है।
पश्चिम बंगाल में फर्जी वोटरों का खेल
पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट में बाहरी लोगों का नाम शामिल किए जाने के आरोप सत्ता और विपक्ष दोनों की ओर से लगाए जाते रहे हैं। फरवरी 2025 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए कहा था कि दूसरे राज्यों के मतदाताओं के पास पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के समान ही मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) संख्याएँ हैं।
वहीं, भाजपा नेतृत्व ने पलटवार करते हुए कहा था कि सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर बांग्लादेश के लोगों को पश्चिम बंगाल में मतदाता के रूप में नामांकित किया जा रहा है।
इससे पहले मई 2022 में यह बात सामने आई थी कि 2021 में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने वाली तृणमूल कांग्रेस की उम्मीदवार अलो रानी सरकार को लेकर यह आरोप लगे थे कि वह बांग्लादेशी नागरिक हैं। विवाद के बाद कोलकाता हाई कोर्ट ने भी अपने फैसले में कहा था कि सरकार बांग्लादेशी हैं।