महाकुंभनगरः पूर्व बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। अखाड़े की एक अन्य प्रमुख नेता कथावाचक जगतगुरु हिमांगी सखी, ने इस फैसले की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं।
हिमांगी सखी ने ममता कुलकर्णी के फिल्मी करियर और उनके विवादित अतीत को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, “ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े ने केवल प्रचार के लिए महामंडलेश्वर बनाया है। समाज उनके अतीत से भली-भांति परिचित है। वे ड्रग मामले में जेल भी जा चुकी हैं। अचानक वे भारत आती हैं, कुंभ में भाग लेती हैं और उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया जाता है। यह जांच का विषय है।”
हिमांगी ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्ति को महामंडलेश्वर का दर्जा देकर आप सनातन धर्म को किस तरह का गुरु दे रहे हैं? यह नैतिकता का सवाल है। जो व्यक्ति गुरु कहलाने योग्य नहीं है, उसे यह पद दिया जा रहा है।
ममता की नियुक्ति पर अन्य पीठ के प्रमुखों ने क्या कहा?
शंभवी पीठ के प्रमुख स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने भी ममता की नियुक्त करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। मनी कंट्रोल के अनुसार उन्होंने कहा, “किन्नर अखाड़े को मान्यता देने से पिछले कुम्भ में एक बड़ा पाप हुआ है, जो अनुशासनहीनता हो रही है, वह बहुत ही घातक है। यह सनातन धर्म के साथ धोखा है।”
आनंद स्वरूप ने आगे कहा, “मैंने ममता कुलकर्णी से कहा था – इन लोगों के जाल में मत फंसो। महिलाओं के लिए सन्यास का कोई रास्ता नहीं है। कई परंपराएँ हैं जिनमें आप निरंतर बंधनमुक्त रह सकती हो। ऐसे स्थान पर मत फंसो जहां लोग तुम्हारे ऊपर थूकें।” उन्होंने कहा कि लोग किन्नर अखाड़े को मजाक बना रहे हैं।
निर्वाणी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकनंद जी महाराज ने भी कहा, “मैं तपो निधि पंचायात आनंद अखाड़े का आचार्य महामंडलेश्वर हूँ, इसलिए इस पर टिप्पणी नहीं करूंगा। यह अखाड़े की परंपरा है। महामंडलेश्वर का पद अखाड़े से संबंधित है। अखाड़े स्वतंत्र हैं। आप किसी को भी महामंडलेश्वर बनाने के लिए इस तरह नहीं उठा सकते।”
उन्होंने कहा, “हमारे पास 7 शैव अखाड़े हैं। परंपरा इस प्रकार है कि यदि हम किसी को महामंडलेश्वर बनाते हैं, तो पहले उस व्यक्ति का पूरी तरह से जांच की जाती है। उसका पूरा विवरण लिया जाता है। आप यह देखते हो कि वह व्यक्ति कैसा है? उसका आचार-व्यवहार, उसकी दिनचर्या कैसी है?”
बालकनंद जी ने कहा, “वह किस परिवार से आती है? उसका व्यवहार क्या है? उसने कितने दिन पहले सन्यास लिया है? इन सभी बातों की जांच की जाती है। अगर उसने सन्यास नहीं लिया है, तो उसे महामंडलेश्वर नहीं बनाया जा सकता।”
महामंडलेश्वर बनने के लिए कुछ सख्त मानदंड होने चाहिएः यति नरसिंहानंद
महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने कहा, “मैं ममता कुलकर्णी का स्वागत करता हूं। वह एक सरल स्वभाव की महिला हैं। उनका परिवार भी बहुत अच्छा है। हालांकि, वह जीवन में भटक गई थीं और अपराध के दलदल में फंस गई थीं।”
महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में यति ने कहा, “मैं यह अनुरोध करूंगा कि जो लोग ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बना रहे हैं, वे थोड़ा धैर्य रखें। उन्होंने संन्यास का जीवन अभी कुछ ही समय बिताया है, और उनके जीवन और आचरण पर ध्यान देना आवश्यक है। मैं इस पर संदेह नहीं कर रहा हूं, लेकिन यह जरूरी है।”
उन्होंने आगे कहा, “महामंडलेश्वर बनने के लिए कुछ सख्त मानदंड होने चाहिए। मेरी व्यक्तिगत राय है कि ममता कुलकर्णी को इस पद पर तुरंत नियुक्त करना सही नहीं है। संन्यास लेना एक सराहनीय कदम है, लेकिन महामंडलेश्वर बनने के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करना आवश्यक है।”
यति ने जोर देते हुए कहा, “अब तक ममता कुलकर्णी ने सनातन धर्म के लिए कोई उल्लेखनीय योगदान नहीं दिया है। हालांकि, प्रत्येक अखाड़ा अपने मानकों के अनुसार निर्णय लेता है। मैं स्वयं 20 वर्षों तक संन्यास के मार्ग पर था, तब जाकर मुझे महामंडलेश्वर का पद प्राप्त हुआ। ममता को भी पहले सेवा करनी चाहिए और इस मार्ग पर अपने प्रयासों को सिद्ध करना चाहिए। महामंडलेश्वर बनने का मार्ग कठिन होना चाहिए।”
ममता कुलकर्णी ने संगम घाट पर ‘पिंड दान’ किया
शुक्रवार को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया। उन्होंने त्रिवेणी संगम घाट पर ‘पिंड दान’ भी किया और उन्हें आध्यात्मिक नाम ‘यमाई ममता नंदगिरी’ दिया गया। संन्यास धारण करने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह महादेव, महाकाली और मेरे गुरु की आज्ञा थी। उन्होंने यह दिन चुना। मैंने कुछ नहीं किया।
#WATCH | Mamta Kulkarni says, “…This was the order of Mahadev, Maha Kaali. This was the order of my Guru. They chose this day. I didn’t do anything.” https://t.co/YUEbamNrRV pic.twitter.com/vrXAF5gQgV
— ANI (@ANI) January 24, 2025
गौरतलब है कि इस निर्णय की घोषणा किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण ने की। उन्होंने बताया कि ममता कुलकर्णी पिछले डेढ़ साल से किन्नर अखाड़े के संपर्क में थीं और अपनी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनी हुई थीं।
लक्ष्मीनारायण ने कहा, “ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाया जा रहा है। उन्हें श्री यमाई ममता नंदगिरी नाम दिया गया है। जब मैं यहां बोल रहा हूं, सभी धार्मिक अनुष्ठान जारी हैं। वह हमारे साथ जुड़ी रही हैं और उन्हें अपनी कला के माध्यम से किसी भी भक्ति स्वरूप को प्रस्तुत करने की छूट है। हम किसी को उनके कला प्रदर्शन से नहीं रोकते।”
बॉलीवुड से आध्यात्मिकता तक का सफर
ममता कुलकर्णी ने अपने बॉलीवुड करियर के दौरान ‘करण अर्जुन’ और ‘बाजी’ जैसी फिल्मों में अभिनय किया और सलमान खान, शाहरुख खान और आमिर खान जैसे शीर्ष अभिनेताओं के साथ काम किया। 2000 के दशक की शुरुआत में उन्होंने फिल्मी दुनिया से ब्रेक लिया और विदेश चली गईं। इसके बाद उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा शुरू की और अब भारत लौट आई हैं।