कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी ने मंगलवार को केंद्र सरकार और भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि दूसरे राज्यों में काम करने वाले बंगाली प्रवासी मजदूरों को केवल बंगाली भाषा बोलने के आधार पर 'बांग्लादेशी' करार दिया जा रहा है और उन्हें जबरन बांग्लादेश भेजा जा रहा है।
ममता ने इसे 'भाषा के आधार पर राजनीति' बताते हुए कहा कि ऐसे कई मामले उनके संज्ञान में आए हैं और उनकी सरकार ने कई मजदूरों को वापस भारत लाने का काम किया है।
सीएम ममता ने कहा, “देश में हर भाषा और हर धर्म के लोग रहते हैं। यही हमारी धर्मनिरपेक्ष परंपरा है, लेकिन भाजपा भाषा को लेकर राजनीति कर रही है। बंगाल के लोग जब दूसरे राज्यों में काम के लिए जाते हैं और वहां आपस में बंगाली में बात करते हैं तो उन्हें बांग्लादेशी बता दिया जाता है। कई को तो बांग्लादेश भेज भी दिया गया, जिन्हें हमारी सरकार ने वापस बुलाया।”
राजस्थान में 300 से ज्यादा बंगाली मजदूरों को 'बांग्लादेशी' करार
ममता ने एक ताजा मामले का हवाला देते हुए कहा कि राजस्थान में 300 से 400 मजदूरों को बांग्लादेशी कहकर हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा,"ये लोग बांग्लादेशी नहीं हैं, ये पश्चिम बंगाल के नागरिक हैं। पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है। इनकी पहचान भारतीय है।"
#WATCH | Kolkata: West Bengal CM Mamata Banerjee says, "People from every section live in our country. This is India’s secular tradition... but the BJP is doing politics based on language... The migrant workers from Bengal are taken to other states for work because of their… pic.twitter.com/lrfuL973WR
— ANI (@ANI) June 24, 2025
बांग्लादेशियों को लेकर केंद्र सख्त
उधर केंद्र सरकार ने अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया है। पिछले महीने ही दिल्ली में 121 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर डिटेंशन सेंटर भेजा गया था। ये सभी कथित रूप से सालों पहले भारत में अवैध रूप से दाखिल हुए थे और कबाड़ी या मजदूरी का काम कर रहे थे। साथ ही, पांच भारतीय नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया, जिन पर इन विदेशियों को किराए पर ठहराने का आरोप था।
हाल ही में दिल्ली के भारत नगर इलाके में 36 संदिग्ध बांग्लादेशियों को पकड़ा गया, जिनके पास वैध यात्रा दस्तावेज नहीं थे। उनके पास ऐसे मोबाइल फोन मिले जिनमें प्रतिबंधित मैसेजिंग ऐप्स के जरिए वे बांग्लादेश स्थित रिश्तेदारों से संपर्क कर रहे थे।
बांग्लादेशी घुसपैठ पर टकराव
इसी साल जनवरी में ममता बनर्जी ने बीएसएफ (BSF) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार के इशारे पर सीमा सुरक्षा बल बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा दे रहा है ताकि उनकी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके। ममता ने कहा था, "सीमा की सुरक्षा टीएमसी या पुलिस नहीं, बीएसएफ करती है। वही घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है, अपराधियों को सीमा पार करा रही है और वे हत्या करके वापस भाग जाते हैं।"
बीएसएफ ने ममता के आरोपों पर निराशा जताते हुए कहा था कि इस तरह के बयान उनकी 'मनोबल को चोट' पहुंचाते हैं। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता नीलोत्पल कुमार पांडेय ने कहा था कि बीएसएफ एक जिम्मेदार बल है और अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन कर रहा है।
मार्च 2025 में लोकसभा में ‘इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल’ पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ममता सरकार पर सीधा हमला बोला था। उन्होंने आरोप लगाया था कि पश्चिम बंगाल सरकार बॉर्डर फेंसिंग के लिए ज़मीन नहीं दे रही और घुसपैठियों पर नरमी बरत रही है।
अमित शाह ने कहा था, "450 किलोमीटर बॉर्डर की फेंसिंग अभी बाकी है क्योंकि बंगाल सरकार ज़मीन नहीं दे रही। जब भी फेंसिंग की प्रक्रिया शुरू होती है, टीएमसी कार्यकर्ता हंगामा और धार्मिक नारेबाजी शुरू कर देते हैं।"