लखनऊ: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने धर्मांतरण की घटनाओं को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि जिन धार्मिक सभाओं में धर्मांतरण हो रहा है, उन्हें रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसी सभाओं की अनुमति दी गई तो देश की ‘बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी।’
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार हाई कोर्ट ने एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। जमानत याचिका कैलाश नाम के एक शख्स की ओर से दायर की गई थी। कैलाश पर आरोप है कि वह यूपी के हमीरपुर से लोगों को धर्मांतरण के लिए दिल्ली ले जाता था। दिल्ली में लोगों को एक धार्मिक सभा में ले जाया जाता था।
धर्मांतरण से जुड़ा क्या है मामला?
कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि एफआईआर के मुताबिक कैलाश दरअसल रामकली प्रजापति के भाई रामफल को दिल्ली ले गया था। इसके बाद रामफल कभी घर नहीं लौटा। एफआईआर के अनुसार रामफल मानसिक बीमारी से जूझ रहा था। कैलाश ने ऐसे में उसके परिवार को भरोसा दिलाया कि रामफल का इलाज दिल्ली में एक सभा में हो जाएगा।
कैलाश ने यह भी कहा कि एक हफ्ते में रामफल ठीक होकर घर लौट आएगा। हालांकि, कई दिनों तक जब रामफल नहीं लौटा तो रामकली प्रजापति ने इस बारे में बार कैलाश से पूछा। कई बार पूछने के बावजूद रामकली प्रजापति को संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा था।
एफआईआर में यह भी कहा गया है कि हमीरपुर से कई लोगों को दिल्ली ले जाया जाता रहा है। इन्हें धार्मिक सभा में ले जाकर इनका धर्मांतरण किया गया। इन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया। बाद में कैलाश को अपहरण और यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम- 2021 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया।
कोर्ट में बहस, किसने क्या कहा?
मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के वकील अतिरिक्त महाधिवक्ता पीके गिरि ने अदालत को बताया कि ऐसे आयोजनों में बड़ी संख्या में लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है। उन्होंने कुछ गवाहों के बयानों का जिक्र किया। गवाहों ने दावा कहा था कि कैलाश गांव के लोगों को धर्मांतरण के लिए ले जा रहा था। बदले में उसे पैसे मिल रहे थे।
वहीं, कैलाश के वकील साकेत जयसवाल ने कहा कि रामफल ने ईसाई धर्म नहीं अपनाया है। कैलाश के वकील के अनुसार रामफल केवल एक ईसाई सभा में शामिल हुआ था। वकील ने तर्क दिया कि सोनू पास्टर इस तरह की सभा आयोजित कर रहा था और उसे जमानत दी जा चुकी है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा?
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने अपने आदेश में कहा कि संविधान का अनुच्छेद-25 अंतरात्मा की स्वतंत्रता और धर्म के स्वतंत्र अभ्यास और प्रचार की अनुमति देता है, लेकिन एक धर्म से दूसरे में परिवर्तन का प्रावधान नहीं करता है।
आदेश में कहा गया- ‘प्रचार’ शब्द का अर्थ प्रचार करना है, लेकिन इसका मतलब किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है।’
India’s Majority Population Would Be In Minority One Day If Conversions In Religious Congregations Not Stopped: Allahabad HC https://t.co/u5ZVVXr8TX
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) July 1, 2024
अदालत ने कहा कि यह साफ है कि रामफल गांव नहीं लौटा। साथ ही कई गवाहों ने कैलाश पर लोगों को धर्मांतरण के लिए ले जाने का आरोप लगाया है।
‘बहुसंख्यक आबादी फिर अल्पसंख्यक हो जाएगी’
अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘अगर ऐसा चलता रहा तो इस देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी। ऐसे धार्मिक जमावड़े को तत्काल रोकना चाहिए जहां धर्मांतरण हो रहा है और भारत के लोगों का धर्म बदला जा रहा है।’ साथ ही कोर्ट ने कैलाश को जमानत देने से भी इनकार कर दिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि कई मामलों में इस न्यायालय के संज्ञान में आया है कि एससी/एसटी जातियों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों सहित अन्य जातियों के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की गैरकानूनी गतिविधि पूरे उत्तर प्रदेश राज्य में बड़े पैमाने पर चल रही है।