महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में भीषण जलसंकट, टंकियों में पानी बंद करके रख रहे लोग, बच्चे पी रहे कीचड़ भरा पानी

ग्रामीणों का आरोप है कि इगतपुरी के विधायक हिरामन खोसकर और नासिक के सांसद राजभाऊ वाजे इस गंभीर समस्या पर पूरी तरह से मौन हैं। न कोई टैंकर, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था- गांवों में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।

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सांकेतिक तस्वीर। Photograph: (Freepik)

महाराष्ट्र के अकोला और नासिक जिलों के गांव इस समय भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। एक ओर जहां अकोला जिले के उग गांव के लोग पानी की टंकियों में ताला लगाकर पानी की चोरी से बचाव कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नासिक के इगतपुरी तालुका के आदिवासी गांवों में बच्चे और महिलाएं पहाड़ों से उतरकर कीचड़ भरा पानी पीने को मजबूर हैं।

अकोला में हर बूंद की पहरेदारी

अकोला जिले के उग गांव में पानी की स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि लोगों को घर के दरवाजों की बजाय पानी की टंकियों में ताला लगाना पड़ रहा है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, गांव में पानी की सप्लाई कभी पंद्रह दिन में, कभी महीने भर में, तो कभी दो महीने बाद आती है। ऐसे में लोग डेढ़-डेढ़ महीने तक पानी जमा करके रखते हैं।

यह क्षेत्र खारे पानी की पट्टी में आता है, जहां भूजल खारा है और पीने योग्य नहीं। ‘84 खेड़ी योजना’ के तहत प्रशासन ने जल आपूर्ति की योजना तो बनाई, लेकिन इसका क्रियान्वयन विफल रहा। मजबूर होकर ग्रामीणों को 600 रुपये प्रति टैंकर की दर से पानी खरीदना पड़ रहा है। इसका असर सामाजिक जीवन पर भी दिख रहा है- शादी-ब्याह तक टल रहे हैं। विपक्ष के नेता सचिन बहाकर ने इस संकट पर प्रशासन से कार्यवाही की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

नासिक के गांवों में पीने को नहीं साफ पानी, टैंकर प्रस्ताव भी अधर में

इगतपुरी तालुका की अवलखेड़ ग्राम पंचायत के तहत आने वाले आदिवासी गांवों में हालात और भी भयावह हैं। स्कूल की लड़कियां, महिलाएं और बच्चे तीन किलोमीटर तक पहाड़ी नालों से उतरकर गंदे कुएं से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। एल्गार कष्टकरी संगठन की सुवर्णा मढे के अनुसार, कुएं के पानी की जांच में वह पीने योग्य नहीं पाया गया है।

10 अप्रैल को प्रशासन को टैंकर सेवा का प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन अभी तक टैंकर नहीं पहुंचा। लोग मजबूर होकर अपने मवेशी तक बेचने की सोच रहे हैं, क्योंकि उन्हें भी पीने को पानी नहीं मिल रहा।

ग्रामीणों का आरोप है कि इगतपुरी के विधायक हिरामन खोसकर और नासिक के सांसद राजभाऊ वाजे इस गंभीर समस्या पर पूरी तरह से मौन हैं। न कोई टैंकर, न कोई वैकल्पिक व्यवस्था- गांवों में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर दिख रहा है। गंदा पानी पीने से कई ग्रामीण बीमार हो चुके हैं। अकोला हो या नासिक, ग्रामीण इलाकों में जल संकट ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। दोनों जिलों के ग्रामीणों ने जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू करने की मांग की है। 

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