NEET-UG 2025: 90 लाख में अपात्र छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने की डील, डॉक्टर और NTA अधिकारी गिरफ्तार

सीबीआई ने अपने प्रेस नोट में कहा है, जहां पिछले वर्ष की अनियमितताओं को तकनीकी खामी या प्रशासनिक चूक बताया गया था, वहीं 2025 की यह घटना स्पष्ट रूप से सक्रिय मिलीभगत और आपराधिक मंशा की ओर इशारा करती है...

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Photograph: (IANS)

मुंबईः महाराष्ट्र में नीट यूजी 2025 में अंकों की हेराफेरी का बड़ा मामला सामने आया है। सीबीआई ने सोलापुर के डॉक्टर संदीप जवाहर शाह और एनटीए (राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी) के कुछ अज्ञात अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इन्होंने अपात्र छात्रों के अंक बढ़ाकर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिलाने की साजिश रची थी।

शाह एक निजी कंपनी ‘इंडी बायोसर्च’ के साझेदार हैं। वे एक समानांतर शैक्षणिक फर्जीवाड़ा चला रहे थे। मुंबई के एक होटल में सीबीआई ने स्टिंग ऑपरेशन कर शाह को रंगे हाथ पकड़ा। 

होटल में स्टिंग ऑपरेशन में रंगे हाथ पकड़ा गया

सीबीआई ने 9 जून को मुंबई के परेल स्थित आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल होटल में एक स्टिंग ऑपरेशन किया था, जहां उसके अधिकारी अभिभावकों के भेष में शाह से मिले। डॉ. शाह ने कथित तौर पर एक अभ्यर्थी के नीट अंकों में सुधार के लिए 87.5 लाख रुपये की मांग की। सौदा 90 लाख रुपये में तय किया गया था, जिसे दो किस्तों में चुकाया जाना था। यह स्कोर परिणाम जारी होने से छह घंटे पहले "अपडेट" करने का वादा किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान दो स्वतंत्र गवाह भी मौजूद थे।

एनटीए अधिकारियों से मिलीभगत का आरोप

सीबीआई की शुरुआती जांच में सामने आया है कि शाह ने एनटीए के कुछ अधिकारियों से संपर्क स्थापित किया और अर्हता प्राप्त न कर सकने वाले छात्रों के स्कोर में हेराफेरी कर उन्हें सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले दिलाने की पेशकश की। इसके बदले प्रति छात्र 90 लाख रुपये तक की रिश्वत ली जा रही थी।

बीते साल भी विवादों में रहा था नीट

नीट यूजी 2024 भी भारी विवादों में रहा था, जहां पेपर लीक और असामान्य रूप से कई छात्रों के 720/720 स्कोर करने पर सवाल उठे थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 1563 छात्रों की दोबारा परीक्षा कराई गई थी, जिसके बाद टॉपर्स की संख्या 67 से घटकर 17 रह गई थी। तब शिक्षा मंत्रालय ने पारदर्शिता और कड़े सुरक्षा उपायों का वादा किया था।

सीबीआई ने अपने प्रेस नोट में कहा है, "जहां पिछले वर्ष की अनियमितताओं को तकनीकी खामी या प्रशासनिक चूक बताया गया था, वहीं 2025 की यह घटना स्पष्ट रूप से सक्रिय मिलीभगत और आपराधिक मंशा की ओर इशारा करती है। अगर एनटीए के अंदरूनी लोगों की संलिप्तता सिद्ध होती है, तो यह एजेंसी की स्वायत्तता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े करेगा।"

 

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