महाराष्ट्र: विधानसभा में रमी खेलने के विवाद के बाद माणिकराव कोकाटे से कृषि मंत्रालय छिना, अब खेल मंत्रालय संभालेंगे

कोकाटे ने तब सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया थी कि वह रमी नहीं खेल रहे थे, बल्कि अपने मोबाइल पर एक पॉप-अप विज्ञापन बंद करने की कोशिश कर रहे थे।

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Photograph: (X)

मुंबई: विधानसभा में कथित तौर पर ऑनलाइन रमी खेलते हुए कैमरे में कैद हुए और किसानों व राज्य सरकार पर अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के बाद विवादों में घिरे महाराष्ट्र के मंत्री माणिकराव कोकाटे को कृषि मंत्री के पद से हटा दिया गया है। अब उन्हें खेल और युवा कल्याण मंत्री बनाया गया है। दत्तात्रय भरणे को महाराष्ट्र नया कृषि मंत्री नियुक्त किया गया है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार यह निर्णय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया। कोकाटे अजित पवार के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) गुट से हैं।

कोकाटे ने तब सभी आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया थी कि वह रमी नहीं खेल रहे थे, बल्कि अपने मोबाइल पर एक पॉप-अप विज्ञापन बंद करने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर आरोप साबित हुए तो वह इस्तीफा दे देंगे। सूत्रों के अनुसार हालांकि इस विवाद से इतर किसानों पर उनकी टिप्पणी से मुख्यमंत्री फड़नवीस खासे नाराज चल रहे थे।

किसान और सरकार की नीतियों पर बयान से हुआ था विवाद

कोकाटे ने कुछ महीने पहले किसानों के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई फसल बीमा योजना के बारे में बात करते हुए एक विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था, 'आजकल भिखारी भी एक रुपया नहीं लेते। हालाँकि, हमने किसानों को एक रुपये में फसल बीमा दिया। कुछ लोगों ने इस योजना का दुरुपयोग किया।'

जब इस पर भारी हंगामा हुआ, तो उन्होंने स्पष्टीकरण देते हुए कहा था कि उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया। उन्होंने सफाई देते हुए कहा था, 'सरकार किसानों से एक रुपया लेती है। लेकिन ये किसानों को एक रुपया भी नहीं देती। सरकार पैसे लेती है। तो भिखारी कौन है? सरकार भिखारी है, किसान नहीं... मेरे बयान का गलत अर्थ निकाला गया।'

इससे पहले, कोकाटे ने यह भी कहा था कि सरकारी योजनाओं के माध्यम से किसानों को दिया जाने वाला पैसा शादी-ब्याह जैसे आयोजनों में इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने कहा था, 'किसान लोन माफी के इंतज़ार में पाँच से दस साल तक कर्ज नहीं चुकाते। कृषि योजनाओं से मिलने वाला पैसा मूल उद्देश्यों पर खर्च न होकर सगाई और शादियों में खर्च होता है। किसान खेती में एक भी रुपया नहीं लगाते।'

सीएम फड़नवीस ने दी थी मंत्रियों को चेतावनी

हाल में मंगलवार को फड़नवीस ने अपने सभी मंत्रियों को कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने मंत्रियों को हिदायत दी थी कि वे बार-बार खुद विवादों में न फँसाएं और उन्हें कार्रवाई करने के लिए मजबूर न करें।

एक सूत्र के हवाले से यह भी जानकारी सामने आई थी कि फड़नवीस ने स्पष्ट संदेश दिया था कि 'अगर ऐसी घटनाएँ होती रहीं, तो सरकार बदनाम होगी। यह आखिरी मौका है, हमें जो भी कार्रवाई करनी होगी, हम करेंगे, लेकिन हम किसी भी तरह की विवादास्पद चीजें बर्दाश्त नहीं करेंगे।'

कोकाटे का विवादों से रहा है पुराना नाता

महाराष्ट्र में किसानों को खुश रखना महायुति सरकार के लिए एक अहम चुनौती रही है। खासकर मराठवाड़ा इलाके में कई मुद्दों पर किसानों के विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं। इसमें फसलों के लिए कम न्यूनतम समर्थन मूल्य, फसल क्षति के लिए देर से मुआवजा और कर्ज जैसे विषय शामिल हैं।

कोकाटे हालांकि अन्य मुद्दों को लेकर भी मुश्किल में रहे हैं। जनवरी में, उन्होंने सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार की थी। उन्होंने कहा था, 'योजना में कुछ अनियमितताएँ हुई हैं, लेकिन किसी भी योजना में दो से चार प्रतिशत भ्रष्टाचार का मतलब यह नहीं है कि उसे बंद कर दिया जाए।'

वहीं, फरवरी में कोकाटे और उनके भाई सुनील कोकाटे को नासिक की जिला और सत्र अदालत ने 1995 और 1997 के बीच सरकारी कोटे के तहत फ्लैट पाने के लिए फर्जी दस्तावेज जमा करने के आरोप में दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। बाद में नासिक की एक कोर्ट ने इस सजा को निलंबित करते हुए दोनों भाईयों को जमानत दे दी थी। फिलहाल मामला कोर्ट में है।

 

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