मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में गुरुवार को हुई हाथापाई और अव्यवस्था के बाद विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि एक सप्ताह के भीतर एक नैतिक आचार समिति (एथिक्स पैनल) गठित की जाएगी, जिसे जरूरत पड़ने पर विधायकों की अयोग्यता की सिफारिश करने का अधिकार भी होगा।

स्पीकर ने यह भी स्पष्ट किया कि विधानसभा सत्र के दौरान विधान भवन परिसर में आम नागरिकों या आगंतुकों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह निर्णय सुरक्षा और अनुशासन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

क्या है मामला? 

महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी (एसपी) विधायक जितेंद्र आव्हाड के बीच पुराना विवाद गुरुवार को हिंसक झड़प में बदल गया। दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच जमकर मारपीट, गाली-गलौज और लात-घूंसे चले, जिससे विधानसभा परिसर में भारी तनाव पैदा हो गया।

पूरा विवाद 16 जुलाई से शुरू हुआ, जब विधानसभा परिसर में गोपीचंद पडलकर की गाड़ी का दरवाज़ा गलती से जितेंद्र आव्हाड से टकरा गया। इस छोटी-सी घटना ने देखते ही देखते तीखी बहस का रूप ले लिया। इसके बाद अगली सुबह, यानी गुरुवार को दोनों गुटों के समर्थकों में हाथापाई हो गई।

आरोप है कि भाजपा विधायक गोपीचंद पडलकर कुछ ऐसे लोगों को विधान भवन परिसर में ले आए जो गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी हैं। इन्हीं लोगों ने आव्हाड के करीबी नितिन देशमुख पर हमला करने की कोशिश की, जिससे सदन में भी भारी हंगामा हुआ।

विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने इस पूरी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि "इस तरह की घटनाएं सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।" उन्होंने घोषणा की कि एक सप्ताह के भीतर नैतिक आचार समिति (एथिक्स पैनल) गठित की जाएगी, जो ऐसे मामलों की जांच कर सकेगी और दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश कर सकेगी। साथ ही उन्होंने दोनों नेताओं से सार्वजनिक रूप से खेद जताने को कहा।

जहां पडलकर ने स्पीकर की बात मानते हुए खेद व्यक्त किया, वहीं जितेंद्र आव्हाड ने माफी से इनकार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि स्पीकर ने सदन में झूठी जानकारी दी। आव्हाड ने कहा, "जब झगड़ा हुआ, तब मैं विधान भवन में मौजूद नहीं था और न ही नितिन देशमुख मेरे साथ आए थे।"

इस झगड़े के बाद मुंबई पुलिस ने नितिन देशमुख को हिरासत में ले लिया। जब पुलिस उन्हें वाहन में बैठाकर ले जा रही थी, तो विधायक जितेंद्र आव्हाड खुद पुलिस वाहन के सामने बैठ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। उनका आरोप है कि "देशमुख को जबरन फंसाया जा रहा है, जबकि असली दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही क्योंकि वे भाजपा से जुड़े हैं।" 

मुंबई पुलिस ने विधायक जितेंद्र आव्हाड पर पुलिस कार्य में बाधा डालने के आरोप में मामला दर्ज किया है।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि "इस झगड़े ने सदन और विधायकों की छवि को धूमिल किया है। जनता अब कह रही है कि विधायक सत्ता के नशे में चूर हैं। ऐसे में सभी दलों को मिलकर सदन की गरिमा को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है।"

विधान भवन में प्रवेश को लेकर नए दिशा-निर्देश

स्पीकर ने कहा कि नई समिति के साथ-साथ विधान भवन परिसर में प्रवेश के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) भी तैयार की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब सत्र के दौरान सिर्फ विधायक, उनके निजी सहायक और अधिकृत सरकारी अधिकारी ही भवन में प्रवेश कर सकेंगे।

इसके अलावा, मंत्रियों को भी सत्र के दौरान विधान भवन में बैठकों की अनुमति नहीं होगी। उन्हें मंत्रालय (मंत्रालय भवन) में ही बैठकें आयोजित करनी होंगी, अथवा विधान भवन में बैठक के लिए स्पीकर की पूर्व अनुमति लेनी होगी।