लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ में त्रिवेणी के जल की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों का विधिवत जवाब दिया। सीएम योगी ने संगम के जल में फेकल बैक्टीरिया (मल जीवाणु) पाए जाने की रिपोर्टों को खारिज करते हुए इसे धार्मिक आयोजन को बदनाम करने की साजिश बताया। उन्होंने जोर देकर कहा कि संगम का जल न केवल स्नान बल्कि आचमन के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त है।
राज्य विधानसभा में सीएम योगी ने विपक्ष को 2013 के कुंभ की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि तब का कुंभ अव्यवस्था, गंदगी और अराजकता का प्रतीक बन चुका था। उस समय की स्थिति की कल्पना कीजिए, जब मॉरीशस के प्रधानमंत्री कुंभ में आए थे, लेकिन गंगा में फैली गंदगी, कुप्रबंधन और जल प्रदूषण देखकर उन्होंने स्नान करने से इनकार कर दिया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025 में जब हम यहां पहुंचे हैं, तब तक 56 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं और अभी भी एक सप्ताह शेष है। कुंभ की सफाई और जल संरक्षण को लेकर सरकार ने व्यापक प्रबंध किए हैं। उन्होंने कहा कि संगम के आसपास के सभी पाइप और नालों को टेप कर दिया गया है और केवल शुद्धिकरण के बाद ही जल छोड़ा जा रहा है। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल की गुणवत्ता पर लगातार नजर रख रहा है।
त्रिवेणी के जल की गुणवत्ता पर उठे सवालों का सीएम योगी का जवाब
विधानसभा में बोलते हुए सीएम योगी ने एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की कथित रिपोर्ट का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कुछ समाचार पत्रों और रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि संगम के जल में फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा अधिक है। यह खबर एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के हवाले से प्रसारित की जा रही है जो पुरानी है।
#WATCH | Lucknow: In the UP assembly, CM Yogi Adityanath says, "While we are participating in the discussion here, at that time more than 56.25 crore devotees have already taken their holy dip in Prayagraj... When we make any baseless allegations or snow fake videos against… pic.twitter.com/VYNnzPn4w1
— ANI (@ANI) February 19, 2025
सीएम योगी ने कहा कि गंगा, यमुना या त्रिवेणी—हर जगह जल को ट्रीटमेंट के बाद ही छोड़ा जा रहा है। पानी की गुणवत्ता का आकलन दो प्रमुख मानकों पर किया जाता है- बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) – इसका स्तर 3 या उससे कम होना चाहिए। और दूसरा डीओ (डिजॉल्व ऑक्सीजन) रूप जिसकी मात्रा 5 से अधिक होनी चाहिए।
सीएम योगी ने कहा कि आज की रिपोर्ट के अनुसार, संगम के पास बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर 3 से कम है और घुलित ऑक्सीजन 8-9 के बीच है। इसका मतलब है कि संगम का जल न केवल स्नान बल्कि आचमन के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त है।”
उन्होंने फेकल कोलीफॉर्म का भी जिक्र किया और कहा कि सामान्यतः फेकल कोलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2,500 यूनिट प्रति 100 मिलीलीटर होती है। इस संदर्भ में यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि जल में इसकी मात्रा बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे: सीवेज लीकेज और कई बार गाय, भैंस इत्यादि के प्रवेश और उनके गोबर आदि के कारण भी इसकी मात्रा तेजी से बढ़ती है।
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज के संदर्भ में 12, 16, 20, 25, 30 जनवरी और 5, 10, 13 फरवरी को जल के नमूने लिए गए थे। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, संगम नोज पर फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा निर्धारित मानकों के अनुरूप पाई गई है, और यह 2,000 एमपीएन/100 एमएल से कम है। इसके अतिरिक्त, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट, जिसके आधार पर यह खबर चलाई गई, उसमें 12, 13 और 15 जनवरी के जल नमूनों में भी फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2,500 एमपीएन/100 एमएल से कम दर्ज की गई थी।
‘महाकुंभ समाज का आयोजन, सरकार सिर्फ सहयोगी’
सीएम योगी ने महाकुंभ को किसी पार्टी या सरकार का नहीं, बल्कि समाज का आयोजन बताया। उन्होंने कहा, “इस आयोजन को कोई सरकार या पार्टी नहीं कर रही, बल्कि यह समाज का उत्सव है। हम केवल सहयोगी हैं। अभी महाकुंभ के सात दिन और बाकी हैं, और अब तक 56 करोड़ 26 लाख श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर चुके हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि हमारी सरकार को इस सदी के महा कुम्भ से जुड़ने का अवसर मिला।”
29 जनवरी को हुई भगदड़ और अन्य दुर्घटनाओं का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने मृतकों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम उन सभी श्रद्धालुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने अपनी जान गंवाई। हम उनके परिवारों के साथ खड़े हैं, लेकिन इस तरह की घटनाओं का राजनीतिकरण करना उचित नहीं है।”
सीएम योगी ने महाकुंभ के आलोचकों पर हमला बोलते हुए कहा, “जब हम सनातन धर्म, मां गंगा या महा कुम्भ के खिलाफ झूठे आरोप लगाते हैं या फर्जी वीडियो फैलाते हैं, तो हम 56 करोड़ लोगों की आस्था से खिलवाड़ कर रहे होते हैं।”