नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने महाकुंभ में 29 जनवरी को हुई भगदड़ को  'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया जिसमें 30 लोगों को जान चली गई थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता विशाल तिवारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और चिंता का विषय भी, लेकिन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाइए। इस मामले की जांच के लिए पहले से ही एक न्यायिक आयोग गठित किया जा चुका है।"

न्यायिक जांच और पुलिस जांच जारी

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि भगदड़ की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग पहले से काम कर रहा है और इसी विषय पर एक याचिका हाईकोर्ट में पहले से ही दायर है।

भगदड़ की न्यायिक जांच तीन सदस्यीय समिति द्वारा की जा रही है, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश हर्ष कुमार कर रहे हैं। उनके साथ पूर्व पुलिस प्रमुख वीके गुप्ता और सेवानिवृत्त सिविल सेवक डीके सिंह भी इस जांच में शामिल हैं। इसके अलावा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की अलग से पुलिस जांच के भी आदेश दिए हैं।

याचिका में क्या थी मांग?

अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि योगी आदित्यनाथ सरकार महाकुंभ के दौरान, विशेष रूप से मौनी अमावस्या के दिन, भगदड़ रोकने में विफल रही। याचिका में प्रशासनिक चूक का हवाला देते हुए कुंभ मेले में श्रद्धालुओं के लिए एक समर्पित सहायता प्रकोष्ठ (ऐड सेल) बनाने की भी मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने देशभर के राज्यों को भी निर्देश देने की मांग की, ताकि वे अपने भीड़ प्रबंधन नीतियों में सुधार करें। इसके अलावा, उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के समन्वय में विभिन्न राज्यों से चिकित्सा दलों की तैनाती का आदेश देने की भी अपील की थी।

कैसे हुई थी भगदड़?

बता दें कि 29 जनवरी को महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन मेला क्षेत्र में भगदड़ मच गई थी। इस भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 अन्य घायल हो गए। घटना को लेकर सरकार ने बताया कि संगम तट पर पहुंचने की कोशिश में श्रद्धालुओं द्वारा बैरिकेड्स को धक्का दिए जाने के कारण भगदड़ मची। सीएम योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है।