चेन्नई: हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती (HR&CE) अधिनियम का जिक्र करते हुए मद्राह हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें एक कॉलेज में नियुक्ति के संबंध में जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी। इस नोटिस कहा गया था कि केवल हिंदू उम्मीदवार इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने (HR&CE) अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि मंदिरों द्वारा स्थापित और संचालित कॉलेजों में केवल हिंदुओं को ही नियुक्त किया जा सकता है।
जस्टिस विवेक कुमार सिंह ने एक हालिया आदेश में कहा कि कॉलेज मंदिर द्वारा शुरू किया गया था और यह HR&CE अधिनियम के प्रावधानों द्वारा शासित एक धार्मिक संस्थान है। उन्होंने कहा, ‘अधिनियम की धारा 10 के अनुसार, कॉलेज में किसी भी नियुक्ति के लिए हिंदू धर्म को मानने वाला व्यक्ति ही नियुक्त किया जाएगा।’
ए सुहैल ने दी थी नियुक्ति नोटिफिकेशन को चुनौती
यह पूरा मामला चेन्नई के अरुलमिगु कपालीश्वर आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज की नियुक्तियों से जुड़ा है। ए. सुहैल नाम के शख्स ने इस कॉलेज में ऑफिस असिस्टेंट पद के लिए आवेदन की कोशिश की थी। हालांकि, केवल हिंदू उम्मीदवारों को पात्र मानने वाले नोटिफिकेशन के कारण उसे इंटरव्यू में शामिल होने का मौका नहीं मिला।
सुहैल ने अपनी याचिका में कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 16(1) और 16(2) का उल्लंघन है, जो धर्म के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को रोकता है। सुहैल ने यह भी तर्क दिया था कि संविधान के तहत रोजगार में समानता के अधिकार से भी वह वंचित हुआ है। सुहैल ने कहा था कि कॉलेज एक शैक्षणिक संस्थान है, इसलिए नियुक्ति प्रक्रिया में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
मद्रास हाई कोर्ट ने क्यों की याचिका खारिज
मद्रास हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि कॉलेज संविधान के अनुच्छेद 16(1) और 16(2) के प्रावधानों के तहत नहीं आता है, जो शिक्षा और रोजगार में समान अवसर और भेदभाव से संबंधित है। जस्टिस विवेक कुमार सिंह कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 16(5) के तहत आता है।
कोर्ट ने कहा कि कॉलेज पूरी तरह से मंदिर के फंड से चलाया जाता है। इसलिए इसे हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम की धारा 10 के तहत धार्मिक संस्थान माना जाएगा।
इससे पहले तमिलनाडु सरकार ने अक्टूबर 2021 में हाई कोर्ट को दिए अपने जवाब में बताया था कि मंदिर फंड से संचालित किसी भी कॉलेज या संस्थान में केवल हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति की जा सकती है। तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट को बताया था कि HR&CE अधिनियम गैर-हिंदुओं की नियुक्ति की अनुमति नहीं देता है।