गुवाहाटी: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह ऐलान किया है कि उनकी सरकार 'लव जिहाद' से जुड़े एक नए कानून लाने की योजना बना रही है। सीएम ने कहा है कि कानून के पारित होने के बाद राज्य में 'लव जिहाद' करना एक अपराध माना जाएगा और इसके लिए दोषियों को कड़ी सजा भी दी जाएगी।

सरमा ने कहा है कि कानून के तहत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान होगा। असम सीएम ने यह भी कहा है कि चुनाव के दौरान उन्होंने 'लव जिहाद' के बारे में बात की थी और इससे जुड़े एक कानून लाने की तैयारी हो रही है।

यही नहीं सीएम ने दो अलग-अलग समुदायों के बीच जमीन की बिक्री को लेकर भी बयान दिया है और कहा है कि इस संबंध में भी एक कानून लाया जा रहा है। बता दें कि इससे पहले असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ एक अभियान भी चलाया था जिसमें एक हजार से भी अधिक गिरफ्तारियां हुई थी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम ने क्या कहा है

रविवार को गुवाहाटी में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम सरमा ने कहा कि, "हमने चुनाव के दौरान 'लव जिहाद' के बारे में बात की थी। जल्द ही हम एक कानून लाएंगे, इसमें ऐसे मामलों में आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी।"

नई अधिवास नीति पर बोलते हुए सरमा ने आगे कहा, "जल्द ही एक नई अधिवास नीति पेश की जाएगी। इसके तहत, केवल असम में जन्मे लोग ही राज्य में सरकारी नौकरियों के लिए पात्र होंगे। असम सरकार ने अपने चुनाव पूर्व वादे के अनुसार प्रदान की गई एक लाख सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी है।"

जमीन बिक्री पर सीएम ने क्या कहा

सीएम ने कहा कि असम सरकार ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच जमीन सौदों के संबंध में भी निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के लेनदेन को रोक नहीं सकती, लेकिन इस तरह के सौदों के लिए मुख्यमंत्री की सहमति अनिवार्य होगी।

बता दें कि इस महीने के अंत में असम विधानसभा के मानसून सत्र में इस कानून को पेश किए जाने की उम्मीद है। इससे पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने वादा किया था कि उनकी सरकार असम में समान नागरिक संहिता लागू करेगी।

चार हजार से भी ज्यादा मामले हुए हैं दर्ज

पिछले साल तीन फरवरी से लेकर अब तक असम सरकार द्वारा बाल विवाह से जुड़े 4363 मामले दर्ज किए गए हैं। सरकार का 2026 तक राज्य से बाल विवाह जैसे प्रथा को खत्म करने करने का उद्देश्य है। इसके लिए सरकार ने 'बाल विवाह रोकथाम मिशन' कार्यक्रम के लिए 200 करोड़ रुपए आंविटत भी किए हैं।

सीएम ने और क्या ऐलान किया है

सरकार ने विवाह और तलाक पंजीकरण को सही करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को निरस्त करने की योजना बना रही है।

यही नहीं इन नियमों को असम निरसन विधेयक 2024 से बदलने की भी योजना बनाई जा रही है। राज्य सरकार लोकसभा चुनाव के बाद समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर कानून बनाने पर भी विचार कर रही है।

सीएम सरमा ने कहा है कि यूसीसी में एक खास उम्र से पहले शादी करने की इजाजत नहीं होगी और यह पुरुषों को दो पत्नियां को भी रखने से रोकेगा। यही नहीं सरमा ने यह भी कहा है कि यूसीसी के कारण महिलाओं को उनके माता-पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी का भी अधिकार देगा और इसमें लिव-इन रिलेशनशिप को भी रजिस्टर करना जरूरी हो जाएगा।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ