Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत देश के 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार को मतदान संपन्न हुए। इस चरण में कुल 1,600 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे जिसमें महिला उम्मीदवारों की संख्या 134 और पुरुष उम्मीदवार 1,491 थे। इस चरण के मतदान के पूर्ण होने के बाद देश के नौ केंद्रीय मंत्रियों, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों और एक पूर्व राज्यपाल की किस्मत ईवीएम में बंद हो गई।
2019 में इन 102 सीटों पर किस दल के कितने चुने गए सांसद?
अब एक बार इन सीटों पर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों पर गौर करें तो इनमें से भाजपा ने 40, कांग्रेस ने 15 और द्रमुक ने 24 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान हुआ, उनमें से 9 ऐसी सीटें ऐसी थीं, जिन्हें कांग्रेस और भाजपा का किला माना जाता है। इन सीटों पर लगातार तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस या भाजपा ने जीत दर्ज की है।
पहले चरण में तमिलनाडु में 39 सीटों पर मतदान, 2019 में भाजपा का ये था हाल
पहले चरण में 19 अप्रैल को तमिलनाडु की 39 सीटों पर भी मतदान हुआ। भाजपा 2019 में इनमें से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन 102 सीटों में से 40 फीसदी के करीब सीटें भाजपा ने जबकि 15 फीसदी के करीब सीटें कांग्रेस ने अपने पाले में किया था। हालांकि, गठबंधन के लिहाज से इन लोकसभा चुनाव के नतीजों पर तब गौर करें तो एनडीए और इंडिया गठबंधन का शेयर उस चुनाव में कमोबेश बराबर ही था। ऐसे में इन सीटों पर दोनों गठबंधन के सामने या तो अपने 2019 के प्रदर्शन को ना सिर्फ बरकरार रखने, बल्कि सीटों की संख्या में इजाफा करने की भी चुनौती है।
2019 की तुलना में इस बार ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी भाजपा
पहले चरण के 102 सीटों पर 2019 की तुलना में इस बार भाजपा ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी है। भाजपा ने इस बार 102 में से 77 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। जबकि 2019 में उसके सिर्फ 60 उम्मीदवार मैदान में थे। ऐसे ही कांग्रेस ने 2019 में अपने 56 उम्मीदवार उतारे थे जबकि इस साल 102 सीटों पर 65 प्रत्याशी मैदान में थे। बसपा की बात करें तो उसने 102 में से 86 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। इसके अलावा डीएमके ने 22, एआईएडीएमके ने 36, राजद ने 4, सपा ने 7, टीएमसी ने 5 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए थे।
इन 102 सीटों में 53 ऐसी सीटें ऐसी थीं, जिन पर 2019 में जीत-हार का अंतर 20 प्रतिशत से भी कम वोटों का था। जबकि, 8 ऐसी सीटें थी, जिनमें उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर व सहारनपुर सीट, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, नागालैंड, मिजोरम और तमिलनाडु शामिल हैं, जहां जीत-हार का अंतर 2 फीसदी से भी कम था।