पीएम मोदी ने वाराणसी से भरा नामांकन, कौन हैं उनके प्रस्तावक और क्यों पड़ती है इनकी जरूरत?

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Prime Minister Narendra Modi filed nomination from Varanasi for the third time

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार किया नामांकन (फोटो- IANS)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए वाराणसी से तीसरी बार मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके प्रस्तावक गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मौजूद रहे। इसके अलावा नामांकन स्थल पर गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ एनडीए के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।

इसके पहले काल भैरव की पूजा-अर्चना कर पीएम मोदी नामांकन स्थल पहुंचे। पीएम मोदी गंगा सप्तमी के अवसर पर दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की पूजा करने के बाद क्रूज पर सवार होकर नमो घाट पहुंचे। वहां से सड़क मार्ग से काल भैरव मंदिर के लिए रवाना हुए। वाराणसी में एक जून को आखिर चरण में मतदान है।

पीएम मोदी के चार प्रस्तावक

पीएम मोदी के नामांकन के लिए चार प्रस्तावक में पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर शामिल हैं। काशी की ज्योतिष परम्परा से आने वाले ब्राह्मण समाज से गनेश्वर शास्त्री द्रविड़ जहां ताल्लुकर रखते हैं, वहीं बैजनाथ पटेल जनसंघ के समय से पार्टी से जुड़े रहे हैं। ओबीसी समाज से ही लालचंद कुशवाहा और दलित समाज से संजय सोनकर आते हैं। पंडित गणेश्वर शास्त्री ने ही अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकाला था।

कौन होते हैं प्रस्तावक, क्यों हैं नामांकन के लिए जरूरी

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

कई बार प्रस्तावकों के कारण चुनाव का रुख ही बदल जाता है। सूरत लोकसभा सीट पर ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।
नियमों के अनुसार, अगर कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को उसकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना आवश्यक होता है।

चुनाव में प्रस्तावक के बिना किसी उम्मीदवार का नामांकन अधूरा माना जाता है। रिटर्निंग ऑफिसर को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होते हैं। अगर एक संक्षिप्त पूछताछ के बाद रिटर्निंग ऑफिसर यह कहता है कि हस्ताक्षर असली नहीं हैं, तो प्रस्तावकों के कारण भी नामांकन पत्र रद्द किया जा सकता है।

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