मिल्कीपुर उपचुनाव: बसपा मैदान में नहीं उतरेगी (फाइल फोटो)
लोकसभा चुनाव-2024 के लिए बिहार में सात चरणों में मतदान होना है। बिहार से लोकसभा की 40 सीटें आती हैं और ऐसे में किसी भी पार्टी या गठबंधन को दिल्ली में सरकार बनाने के लिए यहां से उम्दा प्रदर्शन करना जरूरी हो जाता है। पहले चरण में 19 अप्रैल को बिहार की चार लोकसभा सीटों- औरंगाबाद, गया, जमुई और नवादा में वोटिंग होनी है। इन चारों सीटों पर
38 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला मतदाता करेंगे। इसमें गया से सबसे ज्यादा 14 उम्मीदवार मैदान में हैं।
2019 में एनडीए के खाते में गई थी सभी चार सीटें
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी चार सीटें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास गई थीं। औरंगाबाद में भाजपा, गया में जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) और जमुई तथा नवादा में तत्कालीन संयुक्त लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) ने बाजी मारी थी।
इस बार यानी 2024 के चुनाव में भाजपा ने औरंगाबाद और नवादा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे हैं। इसके अलावा गया (सुरक्षित) सीट से भाजपा की सहयोगी दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा-सेक्युलर (HAM-S) चुनाव लड़ रही है। वहीं जमुई (सुरक्षित) सीट से एनडीए की ही एक अन्य सहयोगी चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (एलजेपी-आरवी) मैदान में है।
इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 अप्रैल को जमुई से बिहार में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद 7 अप्रैल को नवादा में उन्होंने एक रैली को संबोधित किया था। वहीं, 16 अप्रैल को पीएम ने गया में भी एक चुनावी रैली की थी।
लोकसभा चुनाव 2024: औरगंबाद- बिहार का चित्तौड़गढ़
औरंगाबाद से भाजपा उम्मीदवार और तीन बार यहां से सांसद रहे सुशील कुमार सिंह को विपक्ष में महागठबंध के अभय कुशवाहा चुनौती दे रहे हैं। अभय कुशवाहा यहां से राजद के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। कुशवाह 2015 में टिकारी विधानसभा क्षेत्र से जदयू विधायक थे, लेकिन हाल ही में राजद में शामिल हो गए और उन्हें औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिया गया। औरंगाबाद लोकसभा सीट के तहत कुटुंबा, औरंगाबाद, रफीगंज, इमामगंज, गुरुआ, टिकारी विधानसभा सीटें आती हैं। इसमें से चार सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है जबकि इमामगंज और टिकारी सीट पर भाजपा की सहयोगी 'हम' के पास है।
औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ भी कहा जाता है। इसकी वजह यहां राजपूतों का दबदबा होना है। हालांकि, इस लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी, ईबीसी मतदाताओं की भी अच्छी-खासी संख्या है। संभवत: इसलिए राजद ने एक ओबीसी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
आंकड़े बताते हैं कि औरंगाबाद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 18 लाख से अधिक मतदाता हैं। उनमें से 25% सामान्य श्रेणी से हैं, 20% ओबीसी हैं, 23% से अधिक ईबीसी हैं। इसके अलावा 20% अनुसूचित जाति (एससी) और 10% मुस्लिम हैं। जेनरल कैटेगरी में 70 प्रतिशत से अधिक मतदाता राजपूत हैं। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार सुनेश कुमार भी ताल ठोक रहे हैं। उनकी एंट्री ने एनडीए और महागठबंधन दोनों उम्मीदवारों के लिए औरंगाबाद की लड़ाई को कुछ हद तक कठिन बना दिया है।
नवादा में भाजपा और राजद में कड़ी टक्कर
नवादा में भाजपा के विवेक ठाकुर को महागठबंधन के राजद उम्मीदवार श्रवण कुशवाहा और निर्दलीय उम्मीदवार विनोद यादव से कठिन चुनौती मिल रही है। इसके अलावा भोजपुरी गायक गुंजन सिंह भी बतौर निर्दलीय यहां से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। दिलचस्प बात ये भी है कि भाजपा उम्मीदवार विवेक ठाकुर और राजद के श्रवण कुशवाहा दोनों ही पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
कुशवाहा अपने चुनाव प्रचार में बाहरी बनाम लोकल का एंगल भी खूब उछाल रहे हैं। अपनी रैलियों में कुशवाहा लगातार ये कहते हैं कि- 'जो यहां का बेटा होगा...वही यहां का नेता होगा।' हालांकि पटना जिला से आने वाले विवेक ठाकुर इस मुद्दे को सिरे खारिज करते हैं और एनडी के विकास के दावे और पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं।
नवादा से 2014 में भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। हालांकि, 2019 में यह सीट एलजेपी के पास चली गई थी और चंदन सिंह यहां से जीते थे। इस बार सीट शेयरिंग के बाद यह सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में आई है और उसने विवेक ठाकुर को मौका दिया है। नवादा में छह विधानसभा सीटें हैं। इसमें एक भाजपा और एक जदयू के पास है। तीन सीटें महागठबंधन के राजद और एक सीट कांग्रेस के पास है।
गया- मोक्ष और ज्ञान की भूमि....कैसा है यहां चुनावी माहौल?
गया फल्गु नदी के तट पर बसा है। इसे मोक्ष और ज्ञान की भूमि भी कहा जाता है। असल में पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है कि फल्गु में तर्पण-अर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। बोधगया वह भूमि भी है जहां ज्ञान पाकर राजकुमार सिद्धार्थ भगवान बुद्ध बने।
बहरहाल, मौजूदा राजनीति की बात करें तो गया (सुरक्षित) सीट से एनडीए की ओर से हम (एस) के जीतनराम मांझी का मुकाबला महागठबंधन के राजद उम्मीदवार कुमार सर्वजीत से है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री 79 वर्षीय मांझी चौथी बार गया लोकसभा क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं, 49 साल के सर्वजीत बोधगया से राजद के मौजूदा विधायक और पूर्व कृषि एवं पर्यटन राज्य मंत्री हैं। इनके पिता दिवंगत राजेश कुमार 1991 के लोकसभा चुनाव में मांझी को हराने के बाद सांसद बने थे। साल 2005 में अपने पिता की हत्या के बाद सर्वजीत राजनीति में उतरे।
इस सीट से चुनावी मैदान में बसपा की सुषमा कुमारी भी हैं। गया लोकसभा क्षेत्र में 30% से अधिक मतदाता अनुसूचित जाति (एससी) के हैं। गया संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं- बोधगया, गया शहर, शेरघाटी, बाराचट्टी, बेलागंज और वजीरगंज। गया लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध बौद्ध स्थल बोधगया और गया शहर शामिल है जो हिंदुओं और बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए तीर्थयात्रा का केंद्र रहा है।
जमुई: चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती और अर्चना रविदास में मुकाबला
जमुई (सुरक्षित) लोकसभा सीट से एलजेपी-आरवी (LJP-RV) प्रमुख चिराग पासवान ने राजद की महागठबंधन उम्मीदवार अर्चना रविदास के खिलाफ अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है। रविदास स्थानीय राजद नेता मुकेश यादव की पत्नी हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं।
दूसरी ओर, चिराग पासवान 2014 और 2019 में दो बार जमुई से सांसद रहे हैं, लेकिन इस बार वह अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान के गढ़ रहे वैशाली जिले की हाजीपुर (सुरक्षित) सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। बहरहाल, जमुई के एनडीए उम्मीदवार अरुण भारती की बात करें तो वे पहली बार सक्रिय राजनीति में उतरे हैं। हालांकि, इससे पहले वे चिराग पासवान की पार्टी के लिए काम जरूर करते रहे हैं लेकिन आमलोगों में बहुत लोकप्रिय नहीं हैं।
जमुई के चुनावी मैदान में उतरने के बाद से ही उन पर बाहरी होने के आरोप विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे हैं। अरुण कुछ साल ब्रिटेन में भी रहे हैं। बहरहाल, इन सबके बावजूद एनडीए को उम्मीद है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर उन्हें वोट मिलेगा।
जमुई में मतदाताओं की संख्या 17 लाख से अधिक है। जमुई (आरक्षित) सीट पर लगभग 2.5 लाख ईबीसी मतदाता हैं। करीब इतनी ही संख्या में ओबीसी यादव मतदाता, और कोइरी, कुर्मी और धानुक मतदाता भी हैं। मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी करीब 1.5 लाख से ऊपर है। इस लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई आते हैं।