देहरादून: उत्तराखंड में 21 साल से कम उम्र वाले लिव इन जोड़ो की जानकारी उनके माता-पिता को दी जाएगी। समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड, UCC) के नियमों को तैयार कर रही समिति की रिपोर्ट में यह कहा गया है। यूसीसी को लागू करने संबंधि नियमों, प्रक्रिया और अन्य संबंधित बातों को तय करने के लिए बनाई गई 9 सदस्यों की समिति ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक वेबसाइट पर ये रिपोर्ट रिलीज की।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व मुख्य सचिव और ‘नियम निर्माण एवं कार्यान्वयन समिति’ के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता वाले पैनल ने बताया कि लिव-इन रिलेशनशिप का विकल्प चुनने वाले जोड़ों की निजता कानून के तहत सुनिश्चित की जाएगी। हालांकि, उन लिव-इन जोड़ों के माता-पिता को इस रिश्ते के बारे में सूचना दी जाएगी जिनकी उम्र 18 से 21 साल के बीच की होगी।
सिंह ने कहा, ‘यह एक बहस का मुद्दा है। किसी को भी 18 साल की उम्र में मतदान का अधिकार है, लेकिन पैनल का मानना है कि इस आयु वर्ग के लोग पूरी तरह से परिपक्व नहीं होते हैं। इसलिए उनके परिवारों को सूचित करना जरूरी है। पंजीकरण से सभी जोड़ों को सुरक्षा और संरक्षण मिलेगा।’ सिंह ने साथ ही कहा कि पैनल के फील्ड विजिट के दौरान यह मुद्दा बार-बार उठा था।
Watch: The Uniform Civil Code (UCC) report has been made public
“In a live-in relationship, privacy should not be violated. The purpose of registration is to provide protection” – The Rules Making and Implementation Committee pic.twitter.com/ZUsU95wJD1
— IANS (@ians_india) July 12, 2024
उन्होंने ने कहा, ‘पंजीकरण न केवल सुरक्षा कवर प्रदान करता है बल्कि हमें भविष्य के लिए भी एक डेटाबेस तैयार करने में मदद करता है। अगर कोई किसी मामले को अदालत में चुनौती देता है, तो अदालत उस मुद्दे पर फैसला करेगी।’
यूनिफॉर्म सिविल कोड से ये रहेंगे बाहर
रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड की अनुसूचित जनजाति (एसटी) जिनमें जौनसारी, भोटिया, थारू, राजी और बुक्सा शामिल हैं, ये राज्य की आबादी का 3% हिस्सा हैं। इनके क्षेत्रों को एसटी स्टेटस दिया गया है और ये यूसीसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहेंगे। सिंह ने कहा, ‘आदिवासी समुदायों को अभी यूसीसी के दायरे से बाहर रखा गया है। हम उन्हें यूसीसी में शामिल होने के लिए सहमति देने का विकल्प देंगे।’
नियमों और नियमावली को पूरा करने के संबंध में सिंह ने कहा, ‘मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि यूसीसी अक्टूबर में लागू किया जाएगा और हमारे सभी प्रयास इसी दिशा में हैं। हम प्रक्रियाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं।’
कुछ धार्मिक समूहों द्वारा उठाई गई चिंताओं पर सिंह ने कहा, ‘हमने मुस्लिम और हिंदू दोनों परंपराओं के धार्मिक ग्रंथों की समीक्षा की और विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद यूसीसी मसौदा तैयार किया गया।’
उत्तराखंड में फरवरी में पास हुआ था यूसीसी बिल
यूनिफॉर्म सिविल कोड के 740 पेज का मसौदा 2 फरवरी को पांच सदस्यीय पैनल द्वारा सीएम को प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद 4 फरवरी को इसे कैबिनेट द्वारा पारित किया गया था। बिल 6 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया था और अगले ही दिन मंजूरी भी दे दी गई थी। इसके बाद राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने 28 फरवरी को विधेयक को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 11 मार्च को इस पर हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद यूसीसी अधिनियम को लागू करने संबंधि नियम तैयार करने के लिए नौ सदस्यीय पैनल का गठन किया गया था।
गौरतलब है कि साल 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के दौरान धामी ने दोबारा चुने जाने पर यूसीसी को लागू करने का वादा किया था। राज्य सरकार ने बाद में यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय पैनल का भी गठन किया। पैनल से कई लोगों से इस संबंध में राय ली। बताया गया कि पैनल को 2.3 लाख से अधिक लोगों से इनपुट प्राप्त हुए और मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए 72 बैठकें की गई। उत्तराखंड के यूसीसी एक्ट में सात अनुसूचियां और 392 धाराएं शामिल हैं। इसमें विवाह, तलाक, विरासत और लिव-इन रिलेशनशिप जैसे मुद्दे शामिल हैं।