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रायपुरः छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा को बुधवार को बड़ा झटका लगा। ईडी की मांग पर रायपुर कोर्ट ने उन्हें सात दिन की रिमांड पर भेज दिया है। करोड़ों के शराब घोटाला मामले में ईडी ने आज ही उन्हें गिरफ्तार किया गया था और अब ईडी टीम उनसे पूछताछ करेगी। सुकमा जिले के कोन्टा से छह बार विधायक रह चुके लखमा से ईडी पिछले कुछ दिनों में कई बार पूछताछ कर चुकी थी। यह घोटाला पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान होने का आरोप है, जिसमें लखमा मंत्री थे।
कवासी लखमा पर आरोप है कि उन्होंने शराब घोटाले से जुड़ी कई अनियमितताओं में अपनी भूमिका निभाई। ईडी की टीम ने कोर्ट से उनके रिमांड की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर दिया। कोर्ट ने लखमा को 21 तारीख तक पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दिया। इस दौरान ईडी की टीम कवासी लखमा से शराब घोटाले के बारे में पूछताछ करेगी। माना जा रहा है कि पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे हो सकते हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस घोटाले में शराब की तस्करी और बिक्री के माध्यम से सरकारी दुकानों से अवैध कमीशन वसूला गया, जिससे 2,161 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। लखमा ने गिरफ्तारी के बाद खुद को निर्दोष बताते हुए कहा, “मेरे खिलाफ एक भी ठोस सबूत नहीं है। मैं पूरी तरह से सहयोग कर रहा था, फिर भी मुझे गिरफ्तार किया गया। बीजेपी एक गरीब आदिवासी नेता को फंसाने की साजिश कर रही है। लेकिन मैं बस्तर के मुद्दों पर आवाज उठाना जारी रखूंगा।”
मैं अनपझढ़, जो कागजात मिले हस्ताक्षर कर दिएः लखमा
लखमा ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया, “मुझे शराब घोटाले के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मैं अनपढ़ हूं और जो भी कागजात मेरे सामने लाए गए, मैंने उन पर हस्ताक्षर कर दिए। मुझे नहीं पता कि उन्होंने मुझसे किन कागजों पर हस्ताक्षर करवाए।” लखमा ने इसे राजनीति से प्रेरित कार्रवाई बताते हुए कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के नजदीक आने के कारण उन्हें और कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
28 दिसंबर को ईडी ने लखमा से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें रायपुर में उनका सरकारी आवास और सुकमा में उनके बेटे हरीश का घर शामिल है।
ईडी के अधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडे ने मीडिया को बताया कि शराब घोटाले की जांच के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण सबूत हमारे पास आए हैं। इनमें अरविंद सिंह का सेक्शन 50 के तहत लिया गया बयान शामिल है, जिसमें उसने बताया कि शराब कार्टल से कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये का भुगतान किया जाता था। साथ ही अरुण पति त्रिपाठी की गवाही में भी यह पुष्टि हुई कि और भी राशि लगभग 1.5 करोड़ रुपये शराब कार्टल से प्राप्त होती थी। इस जानकारी के आधार पर यह माना गया है कि इस घोटाले की अवधि 36 महीने तक चली और कुल प्राप्त राशि करीब 72 करोड़ रुपये रही।
उन्होंने बताया कि इस मामले में आगे की जांच में एक्साइज अधिकारियों इक़बाल खान और जैन देवांगन ने भी पुष्टि की कि ये लोग पैसे का बंदोबस्त करते थे और कन्हैया लाल कुर्रे के माध्यम से यह पैसा सीधे भेजा जाता था। इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि जब जगन्नाथ साहू और उनके बेटे के यहां छापेमारी की गई, तो कुछ डिजिटल सबूत मिले। इन डिजिटल सबूतों के विश्लेषण से यह खुलासा हुआ कि जो दो करोड़ रुपये का भुगतान किया जा रहा था, वह इन पैसों का इस्तेमाल साहू के बेटे का घर बनाने और कांग्रेस भवन बनाने में किया गया।
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान यह पाया गया कि इन लोगों ने अवैध धन को संपत्ति के रूप में छिपाने की कोशिश की। प्रारंभिक जांच के आधार पर यह मामला धन शोधन के अपराध के तहत आता है। चूंकि जांच के दौरान इन्होंने असहयोग किया और यह संभावना जताई जा रही थी कि वह साक्ष्यों को नष्ट करने की कोशिश कर सकते हैं, इसलिए आज उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। हम 14 दिन की रिमांड की मांग कर रहे थे, लेकिन न्यायालय ने उन्हें 21 जनवरी तक रिमांड पर भेजने का आदेश दिया है। हम आगे भी अपनी जांच जारी रखेंगे और अगर कोई और साक्ष्य प्राप्त होते हैं, तो उन्हें न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
शराब घोटाले का खुलासा कैसे हुआ?
इस घोटाले का पता तब चला जब दिल्ली की तीस हजारी अदालत में 11 मई 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा, उनके बेटे यश टूटेजा और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम की उप सचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ एक याचिका दायर की। याचिका में आरोप लगाया गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वतखोरी और अवैध दलाली के जरिए बेहिसाब धन का खेल चल रहा था।
रायपुर के अन्य बड़े अधिकारियों के साथ मिलकर यह अवैध सिंडिकेट संगठित रूप से कार्य कर रहा था। इस मामले के खुलासे के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 18 नवंबर 2022 को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया। ईडी ने अब तक इस मामले में 2161 करोड़ रुपये के घोटाले की चार्जशीट अदालत में पेश की है।
ईडी की शिकायत पर एंटी करप्शन ब्यूरो ने दर्ज की थी शिकायत
छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने भी इस साल जनवरी में ईडी की शिकायत पर घोटाले की प्राथमिकी दर्ज की थी। इस मामले में 70 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें लखमा, आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा और आईटीएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी शामिल हैं।
ईडी के मुताबिक, रायपुर के महापौर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर इस घोटाले के मुख्य सूत्रधार हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि आबकारी विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब की तस्करी की गई और इससे बड़ी रकम अर्जित की गई।
इस मामले में 205 करोड़ रुपये का कुर्की आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है। अब तक पांच व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और दो पूरक आरोपपत्रों के साथ अभियोजन शिकायत दायर की गई है। रायपुर में विशेष पीएमएलए अदालत ने पहले ही मामले का संज्ञान ले लिया है।
प्राथमिकी में आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं। ईडी ने पहले ही इस मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज की थी, और नए एफआईआर के जरिए लखमा सहित अन्य के नाम भी शामिल किए गए हैं। लखमा को गिरफ्तार करने के बाद अदालत में पेश किया गया, जहां ईडी ने उनकी हिरासत की मांग की। इस मामले में जांच आगे बढ़ने के साथ ही और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ