दक्षिणी राज्यों के हाई कोर्ट में जजों के सबसे कम खाली पद...कहां सबसे ज्यादा वैकेंसी?

नवंबर 2024 तक देश के 25 हाई कोर्टों में कुल 352 जजों के पद खाली थे जो उनकी स्वीकृत क्षमता 1114 का 32 फीसदी है।

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Least vacant posts of judges in the High Courts of southern indian states

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले दक्षिणी राज्यों के हाई कोर्ट जैसे केरल, मद्रास, और कर्नाटक ने अपने यहां जजों की खाली पद को कम करने में सफलता हासिल की है।

उदाहरण के तौर पर केरल हाई कोर्ट ने एक नवंबर तक अपने यहां खाली जजों की पदों को चार फीसदी तक कम करने में कामयाबी हासिल की है जो देश के बड़े हाई कोर्टों में सबसे कम है। उसी तरह से मद्रास हाई कोर्ट ने 11 फीसदी और कर्नाटक हाई कोर्ट ने 19 फीसदी तक कम किया है।

यह दावा टाइम्स ऑफ इंडिया की एक विश्लेषण में किया गया है। विश्लेषण के अनुसार, देश के बड़े हाई कोर्ट में से एक इलाहाबाद हाई कोर्ट जिसकी स्वीकृत क्षमता 160 जजों की है, उसमें 49 फीसदी जजों के पद खाली हैं। यह देश के सभी 25 हाई कोर्टों में सबसे अधिक है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की तरह ही देश के अन्य हाई कोर्ट का भी हाल है। उड़ीसा के हाई कोर्ट में 42 फीसदी जजों के पद खाली हैं जबकि कलकत्ता हाई कोर्ट में यह संख्या 40 फीसदी है। पंजाब और हरियाणा, दिल्ली और गुजरात के हाई कोर्टों में यह संख्या 38-38 फीसदी है जबकि बॉम्बे हाई कोर्ट में 27 फीसदी पद खाली है।

हाई कोर्ट में जजों के पद खाली का क्या है मुद्दा

देश के हाई कोर्टों में जजों के खाली पद का मुद्दा काफी पुराना है जिसका काफी लंबे समय से उच्च न्यायपालिका और सरकार सामने करते आ रही है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं लेकिन जो अहम कारण है उसमें सबसे प्रमुख उपयुक्त उम्मीदवारों का न मिलना है।

आमतौर पर ऐसा देखा गया है कि प्रसिद्ध वकील बेंच का हिस्सा होने से मना कर देते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका कहना है कि हाई कोर्ट में जितना वर्कलोड होता है उस हिसाब से मिलने वाली सैलेरी प्रयाप्त नहीं है।

दूसरे कारण में जजों की नियुक्तियों को लेकर समय पर कॉलेजियम द्वारा शिफारिश करना भी शामिल है। इस विश्लेषण से पता चलता है कि कॉलेजियम द्वारा समय पर शिफारिश करने से दक्षिणी राज्यों में हाई कोर्ट के जजों के खाली पदों को कम करने में महत्वपूरण सफलता मिली है।

कैसे होती है देश के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्तियां

देश में हाई कोर्ट के जजों की नियुक्तियों के लिए सबसे पहले संबंधित हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को जजों की खाली पद के लिए कम से कम छह महीने पहले एक प्रस्ताव को शुरू करना होता है।

इसमें किसी वकील या फिर डिस्ट्रिक्ट जज को हाई कोर्ट के जज के रूप में प्रमोट करने की शिफारिश की जाती है। लेकिन अक्सर ऐसा देखा गया है कि इस नियम और समयसीमा को फॉलो नहीं किया जाता है। इस संबंध में कानून मंत्री ने पिछले मानसून सत्र के दौरान संसद में एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही थी।

कानून मंत्री के अनुसार, जुलाई 2024 तक सरकार को केवल 219 शिफारिशें ही मिली थी जबकि 357 जजों के पद खाली थे। इसका मतलब यह हुआ कि 138 पदों के लिए हाई कोर्ट के कॉलेजियम की तरह से कोई शिफारिश नहीं मिली है।

अंतिम नियुक्ति की प्रक्रिया में संबंधित हाई कोर्ट के तीन सबसे सीनियर जजों के कॉलेजियम के तरफ से शिफारिश की जाती है जिसके बाद आईबी की तरफ से स्वतंत्र जांच होती है और फिर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की मंजरी के बाद हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति होती है।

बता दें कि नवंबर 2024 तक देश के 25 हाई कोर्टों में कुल 352 पद खाली थे जो उनकी स्वीकृत क्षमता 1114 का 32 फीसदी है।

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