रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कथित भूमि घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत दे दी। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने जमानत याचिका पर तीन दिनों तक बहस की थी। झामुमो प्रमुख की जमानत याचिका पर 13 जून को अपना फैसला सुरक्षित रखा लिा था।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है, “कोर्ट के समक्ष अब तक जो तथ्य लाए गए हैं, उसमें यह मानने का कोई आधार नहीं है कि सोरेन मनी लॉन्ड्रिंग के दोषी हैं।” हाईकोर्ट का ऑर्डर जारी होने के बाद रांची सिविल कोर्ट में उनके भाई बसंत सोरेन और कुमार सौरव ने 50-50 हजार रुपए के दो निजी मुचलके भरे। इसके बाद उन्हें रिलीज करने का ऑर्डर जेल भेजा गया।
31 जनवरी को गिरफ्तार हुए थे हेमंत सोरेन
हेमंत सोरेन को ईडी ने जमीन घोटाले में 31 जनवरी की रात को गिरफ्तार किया था। 149 दिनों बाद वह शुक्रवार को शाम करीब 4 बजे रांची के बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल से बाहर आए। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने पिता शिबू सोरेन और माता रूपी सोरेन से उनके मोरहाबादी स्थित आवास पर पहुंचकर मुलाकात की।
सोरेन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “षड्यंत्र रचकर और झूठी कहानी गढ़कर मुझे पांच महीने तक जेल में रखा गया। अंततः न्यायालय के आदेश पर राज्य की जनता के बीच हूं। न्यायालय का जो आदेश आया है, वह देखने-समझने लायक है। हमने जिस लड़ाई का संकल्प लिया है, उसे मुकाम तक पहुंचाएंगे।”
सोरेन ने कहा कि न्यायालय के आदेश का पूरा सम्मान है, लेकिन न्याय की प्रक्रिया का लंबा खिंचना चिंता की बात है। आज देश में सरकार के खिलाफ बोलने वाले राजनेताओं, समाजसेवियों, लेखकों, पत्रकारों की आवाज को सुनियोजित तरीके से दबाया जा रहा है।
सुनवाई को दौरान सोरेन के पक्ष में क्या दलीलें दी गई थीं?
जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की ओर से दलीलें पेश करते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा था कि जिस जमीन पर कब्जे के आरोप में ईडी ने हेमंत सोरेन के खिलाफ कार्रवाई की है, वह जमीन छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट के तहत “भुईंहरी” नेचर की है और इसे किसी भी स्थिति में किसी व्यक्ति को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता।
अधिकवक्ताओं ने कहा कि इस जमीन की लीज राजकुमार पाहन के नाम पर है। इस जमीन पर हिलेरियस कच्छप नामक एक व्यक्ति खेती करता था और बिजली का कनेक्शन उसी के नाम पर पर है। इससे हेमंत सोरेन का कोई संबंध नहीं है।
झामुमो प्रमुख के वकीलों ने कहा कि हेमंत सोरेन पर वर्ष 2009-10 में इस जमीन पर जब कब्जा करने का आरोप लगाया गया, लेकिन इसे लेकर कहीं कंप्लेन दर्ज नहीं है। अप्रैल 2023 में ईडी ने इस मामले में कार्यवाही शुरू की और सिर्फ कुछ लोगों के मौखिक बयान के आधार पर बता दिया कि यह जमीन हेमंत सोरेन की है। ईडी के पास इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि हेमंत सोरेन ने इस पर कब, कहां और किस तरह कब्जा किया। यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला है।
ई़डी ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए क्या कहा?
इधर, ईडी ने हेमंत सोरेन की जमानत का विरोध किया। ईजी की तरफ से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि यह इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि बरियातू की 8.86 एकड़ जमीन पर हेमंत सोरेन का अवैध कब्जा है। इस जमीन के कागजात में भले हेमंत सोरेन का नाम दर्ज नहीं है, लेकिन जमीन पर अवैध कब्जा पीएमएलए के तहत अपराध है।
एसवी राजू ने आगे कहा था कि इस जमीन पर बैंक्वेट हॉल बनाने की उनकी योजना थी, जिसका नक्शा उनके करीबी विनोद सिंह ने उनके मोबाइल पर भेजा था। हेमंत सोरेन काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्होंने राज्य तंत्र का दुरुपयोग करते हुए खुद को बचाने के कई प्रयास किए थे। ईडी ने कहा कि अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो वे फिर से जांच को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं।
–आईएएनएस इनपुट के साथ