नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को राजद प्रमुख लालू यादव के खिलाफ एक मामले को चलाने की मंजूरी दी है। राष्ट्रपति ने कथित जमीन के बदले नौकरी से जुडे़ धनशोधन मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है।  

राष्ट्रपति ने आदेश दिया है कि लालू यादव पर आपराधिक दंड संहिता की धारा- 197(1) (बीएनएसएस, 2023 की धारा 218) के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। 

दिल्ली की एक विशेष पीएमएलए अदालत ने इस मामले में लालू यादव और उनके सहयोगियों के खिलाफ दायर आरोपपत्रों पर संज्ञान लिया है। 

क्या है पूरा मामला? 

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने साल 2022 में लालू यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में लालू यादव के बतौर रेलवे मंत्री के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता के आरोप लगाए गए थे। 

लालू यादव पर आरोप है कि 2004-2009 के बीच भारतीय रेलवे में चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों के बदले घूस के रूप में जमीन के टुकड़े हस्तांतरित कराए थे। 

प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत जांच शुरू की थी। इसके बाद अगस्त 2024 में लालू, उनके बेटे तेजस्वी और परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया था। 

वहीं, रबड़ी देवी, बेटी हेमा यादव और परिवार के अन्य लोगों के खिलाफ भी एक अन्य चार्जशीट 2024 में दाखिल की गई थी। इसमें लालू के परिवार के सहयोगी अमित कात्याल के खिलाफ भी शिकायत दर्ज की गई थी। इस मामले में दो कंपनियों एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड और ए बी एक्सपोर्ट्स का भी नाम शामिल किया गया था।

इसी साल मार्च में लालू यादव और परिवार के लोगों को पूछताछ के लिए ईडी ने बुलाया था। इस दौरान घंटों पूछताछ की गई थी।