नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप के एक आबाद द्वीप बित्रा का अधिग्रहण करने का फैसला किया है। रक्षा संबंधी गतिविधियों में इसके इस्तेमाल के लिए इस अधिग्रहण का फैसला लिया गया है।
फर्स्टपोस्ट की खबर के मुताबिक, इस द्वीप पर 105 परिवार रहते हैं और इनमें से अधिकतर ने इस कथित अधिग्रहण का विरोध किया है।
राजस्व विभाग ने जारी की अधिसूचना
द्वीपसमूह के राजस्व विभाग ने बित्रा द्वीप के सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसआईए) के लिए एक अधिसूचना जारी की है। नोटिस में कहा गया है कि इस मूल्यांकन का उद्देश्य पूरे द्वीप को "रणनीतिक स्थिति" और "राष्ट्रीय सुरक्षा प्रासंगिकता" के कारण रक्षा और रणनीतिक एजेंसियों को सौंपना है।
इसमें यह भी कहा गया है कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के प्रावधानों के तहत एसआईए की आवश्यकता है। इसमें राजस्व विभाग को प्रोजेक्ट डेवलपर के रूप में पहचाना गया है और कहा गया है कि इस प्रक्रिया में ग्राम सभा सहित प्रस्तावित क्षेत्र के सभी हितधारकों के साथ परामर्श शामिल होगा।
स्थानीय सांसद ने जताया विरोध
बित्रा द्वीप को एक सैन्य बेस बनाने के कदम को स्थानीय लोगों की तरफ से विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लक्षद्वीप के सांसद हमदुल्ला सईद ने भी इस संबंध में विरोध किया है और स्थानीय लोगों को इस अधिसूचना से परेशान न होने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा "आपके सांसद के रूप में हमने एक कॉन्फ्रेंस की है जिसमें बित्रा और लक्षद्वीप के नेता शामिल थे और विस्तार से चर्चा की है। हमने बित्रा के लोगों के लिए राजनैतिक और कानूनी रूप से लड़ने का फैसला लिया है।"
उन्होंने आगे कहा कि सरकार पहले से ही कई आइसलैंड पर रक्षा के उद्देश्य से जमीन का अधिग्रण कर चुकी है।
वहीं, बीत साल लक्षद्वीप के मिनिकॉय आइसलैंड पर रक्षा मंत्रालय ने एक नया नौसेना बेस, आईएनएस जटायु के चालू होने की घोषणा की थी।
मौजूदा नौसेना टुकड़ी मिनिकॉय जो वर्तमान में नौसेना प्रभारी अधिकारी (लक्षद्वीप) के परिचालन कमान के अधीन है। इसे आईएनएस जटायु के रूप में कमीशन किया जाना है।
जहां नौसेना की टुकड़ी में प्रशासनिक, रसद और चिकित्सा सहायता शामिल होती है। वहीं, आईएनएस जटायु को एक पूर्ण नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया जाएगा। इसमें अतिरिक्त बुनियादी ढांचा जैसे हवाई अड्डा, आवासीय सुविधाएं और विस्तारित कार्मिक क्षमता शामिल होगी। हालांकि इसके लिए आवश्यक पर्यावरणीय और अन्य नियामक मंजूरियां प्राप्त होनी चाहिए।