यूपी के मुस्लिम बहुल कुंदरकी में भाजपा का 31 साल का सूखा खत्म, सपा की जमानत जब्त

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी विधानसभा सीट पर एक अप्रत्याशित नतीजा सामने आया है। हालांकि, इसकी अटकलें तभी से लगाई जाने लगी थी, जब सपा ने फिर से मतदान कराने की मांग चुनाव आयोग के सामने रखी थी।

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Ramveer Singh, BJP candidate from Kundarki seat (Photo-X)

कुंदरकी सीट से भाजपा के उम्मीदवार रामवीर सिंह (फोटो- एक्स)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए चुनाव में भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह ने बड़ी जीत हासिल की है। उन्होंने दूसरे नंबर पर रहे समाजवादी पार्टी के मोहम्मद रिजवान को 144791 वोटों के अंतर से हराया। इस मुस्लिम बहुल सीट पर 12 उम्मीदवारों में रामवीर सिंह एकमात्र हिंदू उम्मीदवार थे।

कुंदरकी के नतीजे इसलिए भी दिलचस्प हैं क्योंकि यहां करीब 60 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इसमें भी 40 प्रतिशत तुर्क मुसलमान हैं। खुद भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह चुनाव में जालीदार टोपी और अरबी रूमाल पहनकर वोट मांगते नजर आए थे और यह बात काफी चर्चा में भी रही थी। रामवीर सिंह की जीत के साथ भाजपा का इस सीट पर 31 साल का सूखा खत्म हो गया है।

कुंदरकी उपचुनाव नतीजे: सपा की जमानत जब्त

भाजपा के रामवीर सिंह को 170371 वोट मिले। दूसरी ओर मोहम्मद रिजवान को 25580 वोट मिले। तीसरे नंबर पर रहे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के चांद बाबू को 14,201 वोट हासिल हुए। इस करारी हार के साथ इस सीट से तीन बार विधायक रहे मोहम्मद रिजवान अपनी जमानत भी नहीं बचा सके।

दरअसल, कुंदरकी सीट पर कुल 2,19,956 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। ऐसे में नियम कहता है कि किसी भी प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाने के लिए कुल वोटिंग का 1/6 मत मिलना चाहिए। इससे कम वोट पाने वाले जमानत जब्त कर ली जाती है। इस लिहाज से देखें तो सपा प्रत्याशी को अपनी जमानत बचाने के लिए 36,660 वोटों की जरूरत थी।

कुंदरकी सीट पर अन्य उम्मीदवारों में मोहम्मद वारिश (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन), रफातुल्ला (बहुजन समाज पार्टी), रिजवान हुसैन (निर्दलीय) शामिल हैं। इसके अलावा अन्य उम्मीवारों में रिजवान अली, शौकीन, मोहम्मद उवैश, मशूर, मोहम्मद उबैश और साजैब शामिल हैं। यह सभी बतौर निर्दलीय मैदान में उतरे थे।

कुंदरकी में जीत राष्ट्रवाद की विजय: योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुंदरकी की जीत को विशेष बताया है। उन्होंने नतीजों के बाद कहा, 'कुंदरकी में राष्ट्रवाद की विजय है। ये विरासत और विकास की विजय है। हर व्यक्ति को अपने जड़ और मूल की याद आती है। मुझे लगता है कि जो भूले भटके रहे होंगे उन सबमें, किसी को अपना गोत्र याद आया होगा किसी को अपनी जाति याद आई होगी। कुंदरकी की विजय बताती है कि आने वाले समय में समाजवादी पार्टी कहां जाने वाली है।'

वहीं, इस जबर्दस्त जीत के बाद भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने कहा कि उन्हें तो 50 हजार वोटों से जीत की उम्मीद थी, लेकिन 80 फीसदी से ज्यादा लोगों ने वोट दिया और वे इस जीत से अभिभूत हैं।

कुंदरकी सीट: 1993 में आखिरी बार जीती थी भाजपा

कुंदरकी चुनाव के नतीजों से पहले से ही सपा यहां फिर से वोटिंग कराने की मांग कर रही है। सपा उम्मीदवार मोहम्मद रिजवान ने दावा किया था कि चुनाव में धांधली हुई है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार कुंदरकी उपचुनाव में 57.72 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यहां मतदान 20 नवंबर को कराए गए थे। कुंदरकी के अलावा यूपी के मीरापुर, गाजियाबाद, खैर, करहल, सीसामऊ, फूलपुर, कटेहरी, मझवां में भी उपचुनाव 20 नवंबर को कराए गए थे।

कुंदरकी सीट पर इससे पहले आखिर बार भाजपा को 1993 में जीत नसीब हुई थी। भाजपा के चंद्रविजय सिंह ने तब जीत दर्ज की थी। इसके बाद से भाजपा को यहां सफलता नहीं मिली है। सपा और बसपा का इस सीट पर बारी-बारी से कब्जा रहा है। 1996 में यहां से बसपा के अकबर हुसैन, 2002 में सपा के मोहम्मद रिजवान, 2007 में बसपा के हाजी अकबर विजयी रहे। इसके बाद 2012 और 2017 में सपा के मोहम्मद रिजवान ने कब्जा जमाया। 2022 में सपा के जियाउर्ररहमान बर्क विजयी रहे थे। जियाउर्ररहमान बर्क तब 43 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।

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