कोलकाता रेप-हत्या मामला: कौन हैं मनोज कुमार वर्मा, विनीत गोयल की जगह बनाए गए हैं कोलकाता के नए पुलिस कमिश्नर?

साल 2017 में जब राज्य में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जैसी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने गोरखों के कुछ मुद्दों को लेकर 42 दिनों की हड़ताल की थी। तब राज्य की ममता सरकार ने मनोज कुमार वर्मा को दार्जिलिंग भेजा था और मामले को संभालने का निर्देश दिया था।

एडिट
Kolkata rape-murder case Who is Manoj Kumar Verma who has been appointed as new Kolkata Police Commissioner in place of Vineet Goyal

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी मनोज कुमार वर्मा को कोलकाता पुलिस का नया आयुक्त नियुक्त किया है। वर्मा पूर्व पुलिस कमिश्नर विनीत कुमार गोयल की जगह लेंगे जिन्हें कोलकाता आरजी कर अस्पताल मामले को लेकर उन्हें इस पद से हटाया गया है।

इन पर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की पहले रेप और फिर हत्या के बाद खड़े हुए विवाद को सही से नहीं संभालने का आरोप लगा था। इस हत्याकांड में बंगाल सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे डॉक्टरों द्वारा विनीत गोयल समेत कई और अधिकारियों को उनके पद से हटाने की मांग की गई थी।

डॉक्टरों के भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गोयल को पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया है। उन्हें पश्चिम बंगाल के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) का अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) और आईजीपी बनाया गया है। इस मामले में बंगाल सरकार ने कई और अधिकारियों का भी तबादला किया है।

डॉक्टरों की मांग पर हटाए गए हैं विनीत गोयल

पिछले कई दिनों से भारी विरोध प्रदर्शन कर रहें जूनियर डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुलाकात की थी।

मंगलवार को हुए इस मुलाकात में ममता ने डॉक्टरों की लगभग सभी मांगों को मान ली थी जिसमें कोलकाता पुलिस कमिश्नर समेत कई अन्य अधिकारियों की तबादले की भी मांग की गई थी।

ऐसे में आज शाम चार बजे से पहले बंगाल सरकार ने विनीत गोयल को उनके पद से हटा दिया है। उनकी जगह मनोज कुमार वर्मा को नियुक्त किया गया है।

इन अधिकारियों का भी हुआ ट्रांसफर

इसके साथ कोलकाता पुलिस के डिप्टी कमिश्नर (उत्तर) अभिषेक गुप्ता को भी उनके पद से हटाकर ईएफआर की दूसरी बटालियन में स्थानांतरित कर दिया गया है। अभिषेक गुप्ता के पद पर सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के डिप्टी कमिश्नर (पूर्व) दीपक सरकार को नियुक्त किया गया है।

यही नहीं ममता बनर्जी और डॉक्टरों के बीच हुई बैठक में चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) कौस्तव नायक और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) देबाशीष हलदार को भी उनके पद से हटाने की मांग की गई थी।

ऐसे में नायक को अब स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान का निदेशक और हलदार को सार्वजनिक स्वास्थ्य का ओएसडी नियुक्त किया गया है। हलदार की जगह संयुक्त डीएचएस स्वपन सोरेन को डीएचएस का प्रभार दिया गया है वहीं अभी तक नए डीएमई की घोषणा नहीं की गई है।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की निदेशक सुपर्णा दत्ता को भी उनके पद से हटा दिया गया है। जूनियर डॉक्टरों ने डीसी (सेंट्रल) इंदिरा मुखर्जी का भी तबादला करने की मांग रखी थी लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक उन्हें पद से हटाया नहीं गया है।

कौन हैं मनोज कुमार वर्मा

मनोज कुमार वर्मा मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं। वे साल 1998 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इससे पहले वे एडीजी और आईजीपी कानून और व्यवस्था के पद पर भी काम कर चुके हैं। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी कानपुर से अपनी पढ़ाई की है। इससे पहले मनोज वर्मा कोलकाता पुलिस के डीसी (ट्रैफिक) थे।

बंगाल सरकार के लिए क्यों अहम हैं वर्मा

मनोज कुमार वर्मा कई जगहों पर बंगाल सरकार के लिए एक संकट प्रबंधक के रूप में भी काम किया है। बंगाल सरकार जब जंगल महल में माओवादियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चला रही थी उस समय वे पश्चिम मिदनापुर के पुलिस अधीक्षक थे।

इस दौरान उन्होंने काउंटर इंसर्जेंसी फोर्स (सीआईएफ) के साथ अभियान का नेतृत्व किया था जिसमें माओवादी नेता किशनजी (कोटेश्वर राव) मारा गया था। किशनजी के मारे जाने के बाद राज्य सरकार की माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई की खूब चर्चा भी हुई थी।

हालात संभालने के लिए दार्जिलिंग और बैरकपुर भी भेजे गए थे वर्मा

यही नहीं साल 2017 में जब राज्य में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा जैसी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल ने गोरखों के कुछ मुद्दों को लेकर 42 दिनों की हड़ताल की थी।

तब राज्य की ममता सरकार ने वर्मा को दार्जिलिंग भेजा था और हालात को काबू करने का निर्देश दिया था। यही नहीं पश्चिम बंगाल की बैरकपुर में भी जब अशांति हुआ था तब भी उन्हें वहां भेजा गया था।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article