कोलकाता: केंद्र सरकार ने मंगलवार को कोलकाता के आर जी कर मेडिकल कॉलेज में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) कर्मियों की तैनाती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया है।
आवेदन में गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार पर सीआईएसएफ कर्मियों की तैनाती को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं और उनके रवैया पर सवाल उठाया है। 21 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अस्पताल की सुरक्षा को सीआईएसएफ संभाल रही है।
ऐसे में केंद्र ने कोर्ट में आवेदन दाखिल कर कहा है कि सीआईएसएफ के कर्मियों के ठहरने के इंतेजाम सही नहीं है जिससे उन्हें अपनी डयूटी करने में काफी दिक्कतें हो रही है।
बता दें कि यह वही अस्पताल है जहां पर पिछले महीनें एक ट्रेनी महिला डॉक्टर का पहले बलात्कार किया गया था और फिर उसकी हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद राज्य समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे। मामले को तूल पकड़ता देख यह केस कलकत्ता हाईकोर्ट भी पहुंचा था जिसने इसकी जांच को सीबीआई को सौंपी थी।
केंद्र ने कोर्ट में क्या कहा है
गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर यह कहा है कि पश्चिम बंगाल सरकार अस्पताल की ड्यूटी पर तैनात सीआईएसएफ के जवानों को उचित आवास सुविधाएं प्रदान नहीं कर रही है।
केंद्र ने तर्क दिया है राज्य सरकार द्वारा जहां जवानों के ठहरने का इंतेजाम किया गया है वह जगह अस्पताल से काफी दूर है। इस कारण जवानों को हर रोज एक घंटे का सफर तय कर ड्यूटी पर आना पड़ रहा है।
दूरी की वजह से आपात स्थिति में सुरक्षा असंभव-केंद्र
मंत्रालय ने यह भी कहा है कि हॉस्पिटल से दूर जवानों के ठहराने के कारण अस्पताल में आपात स्थिति में किसी किस्म की सुरक्षा मुहैया कराना संभव नहीं हो पाएगा।
कोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि इस कारण आपात स्थिति में अतिरिक्त फोर्स उपलब्ध करवाने में दिक्कत हो सकती है साथ ही इससे सीआईएसएफ अपनी क्षमता के मुताबिक ड्यूटी भी नहीं कर पा रही है।
पर्याप्त सुविधाएं प्रदान नहीं करने पर हो कार्रवाई-केंद्र
गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से सीआईएसएफ के जवानों के ठहरने के लिए सही जगह प्रदान करने की बात कही है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अस्पताल में जवानों की तैनाती कोर्ट के आदेश के बाद की गई है।
ऐसे में जवानों को सही सुविधा नहीं देना अदालत की अवमानना माना जाना सकता है और इसके तहत राज्य सरकार पर कार्रवाई भी हो सकती है। मामले की अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी।
मामले में केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने
एक रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल की सुरक्षा में जिन जवानों को तैनात किया गया है उन में 97 लोग पुरुष हैं और 54 महिलाकर्मी हैं। कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में नौ अगस्त को रेप और फिर हत्या की घटना घटी थी।
घटना को लेकर काफी बवाल भी हुआ था और जिसमें केंद्र और राज्य सरकार आमने सामने भी थे। मामले में आरोपी संजय रॉय की पहली ही गिरफ्तारी हो चुकी है और उसे कोर्ट में भी पेश किया गया था। उसका पॉलीग्राफी टेस्ट भी हो चुका है।
प.बगांल रेप विरोधी बिल हुआ पास
मामले में सोमवार को सीबीआई ने दिन भर पूछताछ के बाद अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को गिरफ्तार किया है। इसमें और लोगों की भी गिरफ्तारी हुई है। घटना तो लेकर ममता बनर्जी ने पहले दोषियों को कठोर सजा मिलने की बात कही थी।
ऐसे में मंगलवार को ममता बनर्जी की सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में रेप विरोधी बिल को पास किया है। इस बिल को ‘अपराजित महिला एवं बाल सुरक्षा कानून 2024’ नाम दिया गया है। इस बिल में बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों को लेकर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।