नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर को कोलकाता स्थित आरजी कर अस्पताल की ट्रेनी डॉक्टर की रेप और हत्या मामले में सुनवाई की। कोर्ट ने फिर से सीबीआई को केस की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। रिपोर्ट पेश करने के लिए शीर्ष अदालत ने सीबीआई को एक हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई इस केस से जुड़े सभी पहलुओं को देखे।
इस दौरान बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों के हड़ताल के दौरान 23 लोगों की मौत हो चुकी है। बंगाल सरकार की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल ने सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे मेंं इसकी रिपोर्ट जमा की। उन्होंने पीठ से कहा, ‘एक स्थिति रिपोर्ट जमा की गई है जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने रिपोर्ट जमा की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण 23 लोगों की मौत हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सख्ती दिखाते हुए हड़ताली डॉक्टरों को तुरंत काम पर लौटने को कहा। कोर्ट ने डॉक्टरों से कहा है कि वह कल शाम 5 बजे तक काम पर वापस लौटें। मरीजों को देखना डॉक्टरों की नैतिक जिम्मेदारी है। कल शाम तक डॉक्टर काम पर लौट आते हैं तो उनपर कार्रवाई नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार को भी अभी डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं करने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि इस मामले को 9 सिंतबर को 1 महीने पूरे हो गए। 9 अगस्त को अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की लाश मिली थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसको लेकर अभी भी प्रदर्शन हो रहे हैं। मामले में कई दावे और आरोप लगाए गए हैं, जिनमें से कई बिना सबूत के हैं, और डॉक्टर की मौत के पीछे साजिशों की बातें की गईं हैं। ट्रेनी डॉक्टर के गैंगरेप की भी बात कही गई, हालांकि सीबीआई ने रिपोर्ट में साफ कर दिया कि पीड़िता का गैंगरेप नहीं हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
ट्रेनी डॉक्टर रेप और हत्या मामलाः सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मुख्य बातें
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की तस्वीरों को सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से तुरंत हटाने का आदेश दिया है। यह आदेश मृतक की गरिमा और गोपनीयता की सुरक्षा के लिए जारी किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने बलात्कार और हत्या के मामले में पोस्ट-मॉर्टम के लिए शरीर के स्थानांतरण से संबंधित दस्तावेजों की अनुपस्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की और कोलकाता सरकार को फटकार लगाई। बेंच ने सीबीआई से इस मामले की जांच करने को कहा है।
सॉलिसिटर जनरल ने एक मेडिकल रिपोर्ट पेश की है जिसमें बलात्कारी प्रवेश का मेडिकल साक्ष्य और मौत का कारण मैनुअल स्ट्रैंगुलेशन बताया गया है। रिपोर्ट ने मौत और यौन उत्पीड़न के साक्ष्य की पुष्टि की है। सीबीआई इस रिपोर्ट को एम्स के लिए पुनः परीक्षण के लिए भेजेगी।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने पश्चिम बंगाल गृह विभाग और सीआईएसएफ के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पास सीआईएसएफ की सभी कंपनियों को आवास प्रदान करें।
वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पीड़िता का मृत्यु प्रमाण पत्र दोपहर 1:47 बजे जारी किया गया, जबकि उसकी मौत को पुलिस स्टेशन में 2:55 बजे अप्राकृतिक के रूप में दर्ज किया गया। सीजेआई ने इन दो समयसीमाओं पर स्पष्टीकरण मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर स्पष्टीकरण मांगा कि क्या रात 8:30 बजे से रात 10:45 बजे तक की गई तलाशी और जब्ती प्रक्रिया की सीसीटीवी फुटेज सीबीआई को सौंपी गई थी। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने जवाब दिया कि फुटेज चार क्लिप में उपलब्ध कराई गई थी, जो कुल 27 मिनट की थी।
एडवोकेट सिब्बल ने स्पष्ट किया कि तकनीकी गड़बड़ी के कारण फुटेज को मूल रूप से दो भागों में संग्रहीत किया गया था, लेकिन अंततः पूरा प्रदान किया गया। एसजी मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जांच एजेंसी ने फोरेंसिक नमूने एम्स भेजने का फैसला किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नई स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के पास अगस्त 9 को RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुए बलात्कार-हत्या मामलों में कुछ सुराग हैं और सीबीआई को 16 सितंबर तक प्रगति की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई 17 सितंबर को होगी।