'दूसरों को चोट पहुंचाना नहीं है फ्री स्पीच का अर्थ', हाई कोर्ट ने शर्मिष्ठा को जमानत देने से किया इंकार

कोलकाता हाई कोर्ट ने शर्मिष्ठा पनोली को जमानत देने से इंकार करते हुए कहा है कि फ्री स्पीच की सीमा वहां तक नहीं दी जा सकती जहां किसी दूसरे की भावनाओं को चोट पहुंचे।

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शर्मिष्ठा को नहीं मिली हाई कोर्ट से बेल Photograph: (सोशल मीडिया- एक्स )

कलकत्ताः ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर समुदाय विशेष पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाली शर्मिष्ठा पनोली को कलकत्ता हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को उस सीमा तक नहीं बढ़ाया जा सकता जहां इससे किसी व्यक्ति या समुदाय को ठेस पहुंचे। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ था, इसके बाद शर्मिष्ठा पर एफआईआर दर्ज की गई थी। कोलकाता पुलिस ने 31 मई को शर्मिष्ठा को गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। 

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस पार्थसारथी चटर्जी ने कहा कि हमारे पास अभिव्यक्ति की आजादी है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप दूसरों को चोट पहुंचाएंगे। उन्होंने कहा "हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है, यहां अलग-अलग जाति, धर्म और संप्रदाय के लोग रहते हैं। हमें यह कहते समय सावधान रहना चाहिए। "

वर्ग विशेष के लोगों की भावनाएं हुईं आहत

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस ने कहा कि वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और इससे एक वर्ग के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद शर्मिष्ठा ने वीडियो हटा लिया था। मामला तूल पकड़ने के बाद शर्मिष्ठा ने माफी भी मांग ली थी। 

इससे पहले शनिवार को शर्मिष्ठा को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया था जहां 14 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। कोलकाता पुलिस के मुताबिक, शर्मिष्ठा और उसके परिवार को कई कानूनी नोटिस भेजे गए थे लेकिन ये प्रयास असफल हो गए क्योंकि पनोली और उसका परिवार फरार हो गया था। इसके बाद अदालत ने उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। इसके आधार पर शुक्रवार रात को उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया गया था। 

इस मामले में अदालत के सामने पेश हुए शर्मिष्ठा के वकील ने तर्क दिया कि उसकी गिरफ्तारी गैरकानूनी थी क्योंकि एफआईआर में बताए गए अपराध गैर-संज्ञेय थे। इसके साथ ही शर्मिष्ठा के वकील ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी से पहले उसे कोई नोटिस भी नहीं भेजा गया जो कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) के तहत अनिवार्य है। 

इससे पहले शर्मिष्ठा के वकील ने कहा था कि अलीपुर महिला सुधार गृह में खराब स्वच्छता और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। 

उनके वकील शमीमुद्दीन ने कहा कि हम 13 जून से पहले उसे जेल से बाहर लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम मामले पर आज चर्चा करेंगे। अगले एक या दो दिन में हम तय करेंगे कि क्या करना है? 

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