नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वक्फ बोर्ड के अधिकारों पर अंकुश लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा एक बिल संसद में पेश कर सकती है। इसके तहत वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों किए जा सकते हैं।

इन संशोधनों पर कांग्रेस फिलहाल चुप है, लेकिन उसके सहयोगी दल खुलकर अपना विरोध जता रहे हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) वक्फ बोर्ड के कामों का समर्थन करती है।

उसका कहना है कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान और अनाथालय चलता है। राष्ट्रीय जनता दल भी इस पर अपनी राय रख चुका है। उसका कहना है कि संसद भवन से कोई ऐसा विचार कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो। अब आधिकारिक तौर पर सरकार एक अलग विधेयक संसद में पेश कर सकती है।

वक्फ अधिनियम के 40 से अधिक संशोधनों पर हुई है चर्चा-सूत्र

जानकारी के मुताबिक, बीते शुक्रवार को मंत्रिमंडल ने वक्फ अधिनियम में 40 से अधिक संशोधनों पर चर्चा की है। सूत्रों का कहना है कि इसमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने वाले कई संशोधन हैं।

कई कानूनविद् भी वक्फ को दिए गए अधिकारों को मनमाना मानते हैं। यही कारण है कि अब केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के इस प्रकार के 'असीमित' अधिकारों पर लगाम लगाना चाहती है।

माना जा रहा है कि केंद्र सरकार बोर्ड के ऐसे अधिकारों एवं प्रावधानों को नियंत्रित करना चाहती है। गौरतलब है कि वक्फ बोर्ड के पास देश भर में खरबों रुपये की संपत्ति है।

प्रस्तावित संशोधनों के अंतर्गत किसी संपत्ति को लेकर वक्फ बोर्ड के दावों का वेरिफिकेशन किया जा सकेगा। ऐसी संपत्तियों के लिए अनिवार्य वेरिफिकेशन भी प्रस्तावित हो सकता है जिनके लिए वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत तौर पर अलग-अलग दावे हैं।

पिछले साल पेश होने वाला था विधेयक

दरअसल 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का निजी विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। यह विधेयक उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया था।

राज्यसभा में यह विधेयक पेश करते समय विवाद हुआ था और सदन में विधेयक पेश करने के लिए भी मतदान कराया गया था। तब विधेयक को पेश करने के समर्थन में 53 जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया।

समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है विधेयक-भाजपा

यह विधेयक पेश करने की अनुमति मांगते हुए भाजपा सांसद ने कहा था कि 'वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995' समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है। यह अपनी अकूत ताकत का दुरुपयोग करता है।

समाज की एकता और सद्भाव को विभाजित करता है। अपनी अकूत शक्तियों के आधार पर सरकारी, निजी संपत्तियों तथा मठ, मंदिरों पर मनमाने तरीके से कब्जा करता है।

अदालत तक जाने से रोकता है कानून-भाजपा

इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि यह कानून पीड़ित पक्षों को उनके अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ अदालत जाने से रोकता है जो न्यायपालिका और अदालत की सर्वोच्चता को खंडित करता है।

भाजपा सांसद ने सदन से "देश हित में" वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995 को निरस्त करने के वाले विधेयक को पुरस्थापित करने की इजाजत मांगी थी। राज्यसभा के कई सांसद इस निजी विधेयक के खिलाफ थे। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने मत विभाजन की मांग की थी।

माकपा नेता ने किया था विधेयक का विरोध

माकपा के इलामारम करीम ने इस विधेयक का विरोध किया था। वक्फ बोर्ड का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान और अनाथालय चलता है।

करीम ने कहा कि यह एक काफी संवेदनशील विषय है और यह समाज के विभिन्न संप्रदायों के बीच नफरत और बंटवारा पैदा करेगा, इसलिए इस विधेयक को सदन में पेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि संसद का यह दायित्व है कि संसद भवन से कोई ऐसा विचार कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो।

विधेयक पर चिराग पासवान ने क्या कहा है

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) प्रस्तावित बदलावों का अध्ययन करने के बाद अपना रुख साफ करेगी।

चिराग पासवान ने कहा, “वक्फ बोर्ड के बारे में अभी जानकारी सामने आई है। सरकार किन-किन चीजों में बदलाव करेगी, उनके बारे में पढ़ा जाएगा और फिर हमारी पार्टी इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करेगी।”

मुस्लिम धर्मगुरुओं ने क्या कहा है

केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने के लिए जल्द ही वक्फ अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश कर सकती है। इस पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी प्रतिक्रिया दी है।

मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा, “जहां तक वक्फ का मामला है, हमारे बुजुर्गों ने वक्फ के लिए अपनी प्रॉपर्टी दान की है और इसमें एक इस्लामिक लॉ भी है। जब एक बार वक्फ को जमीन कर दी जाती है तो उसे न बेचा जा सकता है और न ही खरीदा जा सकता है। भारत में 60 फीसदी वक्फ की प्रॉपर्टी में मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान आते हैं।”

मामले में मौलाना खालिद रशीद ने कहा है कि “हमारे देश में वक्फ अधिनियम 1995 हैं, जिसमें 2013 में संशोधन किया गया। इसी के तहत वक्फ प्रॉपर्टी को मैनेज किया जा रहा है। सरकार को वक्फ की प्रॉपर्टी पर मौजूद सरकारी दुकानों पर ध्यान देना चाहिए। इन दुकानों को लेकर हमारी यही मांग रही है कि किराया वक्फ को समय पर मिलना चाहिए। मुझे लगता है कि सरकार एक्ट में जो बदलाव करने जा रही है, उसमें किसी तरह की कोई जरूरत नहीं है। अगर ऐसा किया जा रहा है तो सभी की राय लेनी चाहिए।”

रशीद ने आगे कहा है कि, “हर चीज में पारदर्शिता होनी जरूरी है और वक्फ बोर्ड में कहीं भी पारदर्शिता की कोई कमी नहीं है। इसलिए हमें ऐसा लगता है कि किसी भी नए संशोधन की कोई जरूरत नहीं है। वक्फ की प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड होता है। ये बात मुनासिब नहीं है, पहले से जो कानून बने हैं वो वक्फ के लिए काफी है।"

खालिद रशीद ने वक्फ बोर्ड में महिलाओं की हिस्सेदारी पर भी बात की। उन्होंने कहा, "हमारे यहां महिलाओं की वक्फ बोर्ड में भी नुमाइंदगी है। उत्तर प्रदेश के वक्फ बोर्ड में पहले से दो महिलाएं मौजूद हैं। अगर सरकार एक्ट में संशोधन कर ऐसा करेगी तो ये एक सराहनीय कदम होगा।"

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने क्या कहा है

मामले में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और उन्होंने इसका स्वागत किया है। उन्होंने इसे सराहनीय कदम बताया है।

मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा, “केंद्र सरकार, वक्फ बोर्ड को लेकर एक बिल संसद में लाने वाली है। पूरे हिंदुस्तान की नजरें उस कानून पर टिकी हैं कि इसमें क्या बदलाव किए जा सकते हैं, ये देखना होगा। मेरी सरकार से सिर्फ यही गुजारिश है कि वक्फ में बढ़ते भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कानून बनने चाहिए।”

बरेलवी ने कहा, “भारत में सभी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष, अधिकारी, सदस्य भूमाफियाओं के संग मिलकर वक्फ की संपत्तियों में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। अगर वक्फ बोर्ड सही तरीके से अपना काम करता तो पूरे देश के मुसलमानों में विकास देखने को मिल जाता। पूरे देश में कोई भी मुसलमान भीख मांगता सड़क पर नहीं दिखाई देता। लेकिन, कुछ लोगों ने सिर्फ भ्रष्टाचार करने का काम किया।”

मौलाना ने केंद्र सरकार के इस निर्णय की देरी पर हैरानी जताई और कहा वक्फ बोर्ड में चल रही मनमानी को रोकने के लिए इस तरह के कानून को पहले ही लाना चाहिए था। अगर सरकार इसे पहले लाती तो वक्फ बोर्ड की आड़ में चल रहे भ्रष्टाचार के खेल को रोका जा सकता।”

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1954 में पहली वक्फ अधिनियम हुआ था पारित

वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन की चर्चाओं के बाद इसके पीछे के इतिहास को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। वक्फ बोर्ड का गठन क्यों किया गया और इसमें वक्फ को क्या अधिकार मिलते हैं। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं। दरअसल, देश के आजाद होने के सात साल बाद 1954 में वक्फ अधिनियम पहली बार पारित किया गया था।

उस समय देश के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू थे। उनकी सरकार वक्फ अधिनियम लेकर आई। लेकिन, बाद में इसे निरस्त कर दिया गया। इसके एक साल बाद 1955 में फिर से नया वक्फ अधिनियम लाया गया। इसमें वक्फ बोर्डों को अधिकार दिए गए।

नौ साल बाद 1964 में केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन किया गया, जो अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन था। इसका काम वक्फ बोर्ड से संबंधित कामकाज के बारे में केंद्र सरकार को सलाह देना होता है।

लगभग 30 साल बाद किया गया था पहला संशोधन

वक्फ परिषद के गठन के लगभग 30 साल बाद साल 1995 में पीवी नरसिम्हा राव की नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट में पहली बार बदलाव किया। उन्होंने वक्फ बोर्ड की ताकत को और भी बढ़ा दिया।

उस संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड के पास जमीन अधिग्रहण के असीमित अधिकार आ गए। हालांकि, साल 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-2 सरकार में वक्फ एक्ट में फिर से संशोधन किया गया।

क्या है वक्फ की संपत्ति का इतिहास

वक्फ को लेकर विवाद अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। वक्फ की संपत्ति पर कब्जे का विवाद लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा था। अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ब्रिटेन में जजों की एक पीठ बैठी और उन्होंने इसे अवैध करार दिया था।

लेकिन, ब्रिटिश भारत की सरकार ने इसे नहीं माना और इसे बचाने के लिए 1913 में एक नया एक्ट लाई।

2023 में बिल को राज्यसभा में किया गया था पेश

आठ दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड (एक्ट) अधिनियम 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट मेंबर बिल राज्यसभा में पेश किया गया था। यह बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने पेश किया।

राज्यसभा में इस बिल को लेकर विवाद भी हुआ और उस समय इस बिल के लिए मतदान भी कराया गया। तब बिल को पेश करने के समर्थन में 53 जबकि विरोध में 32 सदस्यों ने मत दिया। उस दौरान भाजपा सांसद ने कहा था कि 'वक्फ बोर्ड अधिनियम 1995' समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है।

वक्फ का क्या मतलब है

वक्फ एक अरबी शब्द है। जिसका अर्थ होता है खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु। वक्फ बोर्ड के अधिकार में चल और अचल संपत्तियां आती हैं। इन संपत्तियों के रखरखाव के लिए राष्ट्रीय से लेकर राज्य स्तर पर वक्फ बोर्ड होता है। वक्फ बोर्ड को जो संपत्ति दान दी जाती है, उससे गरीबों की मदद की जाती है।

वक्फ के पास कितनी है संपत्ति

वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 अचल संपत्तियां हैं। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में इसके बारे में लोकसभा में जानकारी दी थी। हालांकि, सबसे अधिक विवाद वक्फ के अधिकारों को लेकर है। क्योंकि वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में इस बात पर जोर दिया गया है कि बोर्ड के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ