Kishtwar Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में मचैल माता मंदिर के पास बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। इस भयावह आपदा में अब तक दो सीआईएसएफ कर्मियों समेत 56 लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि 250 से ज्यादा लोग अभी भी लापता हैं। इस त्रासदी में 300 से अधिक लोगों को सुरक्षित बचाया गया है, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात कर पीड़ितों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री के समर्थन और केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।
उमर अब्दुल्ला ने लिखा, अभी-अभी मुझे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया। मैंने उन्हें किश्तवाड़ की स्थिति और प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। मेरी सरकार और इस दुखद बादल फटने की घटना से प्रभावित लोग, उनके समर्थन और केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही हर सहायता के लिए आभारी हैं।
I just received a call from Hon PM @narendramodi Sb. I briefed him about the situation in Kishtwar & the steps being taken by the administration. My government & the people hit by this tragic cloudburst are grateful for his support & all the assistance provided by the Union…
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 15, 2025
बचाव अभियान और तबाही का मंजर
गुरुवार सुबह करीब 11:30 बजे किश्तवाड़ के चशोती गाँव में हुए बादल फटने से अचानक आई बाढ़ और मलबे ने सब कुछ तबाह कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के वक्त मचैल यात्रा के अंतिम मोटरेबल पड़ाव चाशोटी में सैकड़ों यात्री मौजूद थे। पानी का तेज बहाव करीब 200 यात्रियों की सेवा कर रही सामुदायिक रसोई को बहा ले गया और पास के सुरक्षा ढांचे भी ढह गए। कई टेंट और अस्थायी आश्रय बह गए।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि आपदा में भारी जनहानि की आशंका है। घटना के बाद प्रशासन ने तुरंत सिविल प्रशासन, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात कर दीं। स्थानीय स्वयंसेवक भी चौबीसों घंटे से बचावकार्य में जुटे हुए हैं।
सेना की व्हाइट नाइट कॉर्प्स के समर्पित जवान खराब मौसम और कठिन इलाकों के बावजूद घायलों को निकालने में लगे हुए हैं। हालांकि, खराब मौसम और क्षतिग्रस्त सड़कों के कारण हवाई अभियानों में बाधा आ रही है, जिससे बचाव दल को ज्यादातर काम जमीन पर ही करना पड़ रहा है। कीचड़ और चट्टानों में फंसे घायलों को बचावकर्मियों ने खोद-खोदकर अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुँचाया, जो एक हृदय विदारक दृश्य था।
घटनास्थल पर हर तरफ तबाही और मौत का मंजर विखरा हुआ है। गांव में हर तरफ मलबा, टूटी पसलियां, गहरे घाव और कीचड़ में लथपथ पीड़ित दिख रहे हैं। अस्पतालों में बिस्तरों की कमी के कारण कई मरीजों का इलाज जमीन पर हो रहा है। कई पीड़ितों के गले और फेफड़ों में मिट्टी और कीचड़ भर गया है, जिससे उनकी हालत नाजुक है। परिवार अपने लापता प्रियजनों को खोजते हुए फूट-फूटकर रो रहे हैं।
स्थानीय बीजेपी विधायक सुनील शर्मा और शुगन परिहार ने भी बचाव कार्य में मदद की और सड़कों पर रखे गए शवों को सफेद कफन से ढँका। कई घायल बच्चों को बेहोशी की हालत में गोद में उठाकर अस्पताल ले जाया गया और मौके पर ही ड्रिप लगाई गई। घायलों को गंभीर चोटें आई हैं, जिनमें टूटी पसलियाँ, गहरे घाव और फेफड़ों तक पहुँचे कीचड़ शामिल हैं। डॉक्टरों के अनुसार, मिट्टी और कीचड़ कई लोगों के गले और फेफड़ों में गहराई तक पहुँच गए हैं।
क्या है चिकित्सीय व्यवस्था
पद्दार के उप-जिला अस्पताल में 13 डॉक्टर और 31 पैरामेडिकल स्टाफ की अतिरिक्त तैनाती की गई है। जिला अस्पताल किश्तवाड़ में जीएमसी डोडा से सर्जन, आर्थोपेडिक और एनेस्थेटिस्ट भेजे गए हैं। जीएमसी जम्मू में 50 डिजास्टर बेड, 20 वेंटिलेटर बेड और 5 ऑपरेशन थिएटर तैयार हैं। 200 से अधिक ब्लड यूनिट्स का स्टॉक भी रखा गया है। PGIMER चंडीगढ़ से विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम भी भेजी गई है। 65 एम्बुलेंस (स्वास्थ्य विभाग, एनएचपीसी, सेना, सीआरपीएफ और 108 सेवा) लगातार घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगी हैं।
मचैल माता यात्रा को अगली सूचना तक स्थगित कर दिया गया है। त्रासदी के कारण जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम सीमित कर दिए गए, सिर्फ ध्वजारोहण और राष्ट्रगान तक। अधिकारियों का मानना है कि मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है, क्योंकि कई इलाके अब भी कटे हुए हैं और बचाव टीमें नदी किनारों पर लगातार खोज अभियान चला रही हैं।