नई दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोक सभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। विधेयक को पेश करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि इसके बारे में विपक्ष की ओर से काफी झूठ फैलाया जा रहा है। 

रिजिजू ने कहा कि इस विधेयक का किसी मस्जिद या धार्मिक संस्थान से लेना-देना नहीं है और यह पूरी तरह से प्रॉपर्टी के प्रबंधन से जुड़ा मामला है। रिजिजू ने कहा कि वक्फ बिल में धार्मिक कार्यकलापों में हस्तक्षेप का कोई प्रावधान नहीं है। 

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत के पास सबसे अधिक वक्फ प्रॉपर्टी है, इसके बावजूद भारतीय मुसलमान गरीब क्यों हैं...इसका जवाब विपक्ष को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ये विधेयक गरीब मुसलमानों, आम मुसलमानों के लिए है। रिजिजू ने कहा कि आज वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वालों को सदियों तक याद रखा जाएगा।

किरेन रिजिजू ने और क्या कुछ कहा, जानिए बड़ी बातें

1. विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, ऑनलाइन, ज्ञापन, अनुरोध और सुझाव के रूप में कुल 97,27,772 याचिकाएं प्राप्त हुई हैं। 284 डेलिगेशन ने कमेटी के सामने अपनी बात रखी और सुझाव दिए। सरकार ने उन सभी पर ध्यानपूर्वक विचार किया है, चाहे वे जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के माध्यम से हों या सीधे दिए गए ज्ञापन। इतिहास में पहले कभी किसी विधेयक को इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं नहीं मिली हैं। कई लीगल एक्सपर्ट, कम्युनिटी लीडर्स, धार्मिक लीडर्स और अन्य लोगों ने कमेटी के सामने अपने सुझाव रखे। 

2. किरेन रिजिजू ने कहा कि पिछली बार जब हमने बिल पेश किया था, तब भी कई बातें बताई थी। मुझे उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि जो इसका विरोध कर रहे थे, उनके हृदय में बदलाव होगा और वे बिल का समर्थन करेंगे। मैं मन की बात कहना चाहता हूं, किसी की बात को कोई बदगुमां न समझे कि जमीं का दर्द कभी आसमां न समझे।"

3. किरेन रिजिजू ने आगे कहा, 'साल 2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड को ऐसा अधिकार दिया कि वक्फ बोर्ड के आदेश को किसी सिविल अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। अगर यूपीए सरकार सत्ता में होती तो संसद इमारत, एयरपोर्ट समेत पता नहीं कितनी इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता। 

4. रिजिजू ने कहा, 'साल 2013 में मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे जबरन पारित किया गया। 2013 में वक्फ अधिनियम में प्रावधान जोड़े जाने के बाद, दिल्ली में 1977 से एक मामला चल रहा था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन सहित कई संपत्तियां शामिल थीं। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था। मामला अदालत में था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डीनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया। अगर हमने आज यह संशोधन पेश नहीं किया होता, तो हम जिस संसद भवन में बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था।'

5. उन्होंने कहा, 'किसी ने कहा कि ये प्रावधान गैर संवैधानिक हैं। किसी ने कहा कि गैर-कानूनी हैं। यह नया विषय नहीं है। आजादी से पहले पहली बार बिल पास किया गया था। इससे पहले वक्फ को इनवैलिडेट (अवैध करार) किया गया था। 1923 में मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था। ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी का आधार देते हुए एक्ट पारित किया गया था।'

6. रिजिजू ने कहा, "1995 में पहली बार वक्फ ट्रिब्यूनल का प्रावधान किया गया था। इससे वक्फ बोर्ड द्वारा लिए गए किसी भी फैसले से असंतुष्ट व्यक्ति वक्फ ट्रिब्यूनल में उसे चुनौती दे सकता था। यह पहली बार था जब ऐसी व्यवस्था स्थापित की गई थी। उस समय यह भी तय किया गया था कि अगर किसी वक्फ संपत्ति से 5 लाख रुपए से ज्यादा की आय होती है, तो सरकार उसकी निगरानी के लिए एक कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करेगी। यह व्यवस्था भी 1995 में ही शुरू की गई थी। आज यह मुद्दा इतना तूल क्यों पकड़ रहा है?'

7. किरेन रिजिजू ने 2013 में यूपीए सरकार द्वारा वक्फ विधेयक में संसोशन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'तब आचार संहिता लगने ही वाली थी, 5 मार्च 2014 को 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को सरकार ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर कर दिया। इससे वोट नहीं मिलने वाला। देश के लोग समझदार हैं।' 

8. किरेन रिजिजू ने कहा कि 2013 में आपने (यूपीए) बदल दिया कि वक्फ कोई भी क्लियर कर सकता है। हमने पुराना प्रावधान लाते हुए कहा है कि वही क्लियर कर सकता है जिसने कम से कम पांच साल इस्लाम की प्रैक्टिस किया है। इसमें शिया, सुन्नी, महिला, सभी रहेंगे ये हमने किया है। 

9. किरेन रिजिजू ने कहा कि इसमें एक और नया प्रावधान लगाया गया है। इसके अनुसार आप जब वक्फ प्रॉपर्टी क्रिएट करेंगे तो ऐसा नहीं होगा कि आदिवासी क्षेत्र में जाकर क्रिएट कर देंगे। हमने आदिवासियों के अधिकार संरक्षित करने के लिए ये प्रावधान किया है।

10. रिजिजू ने कहा कि वक्फ संपत्ति पर भी लिमिटेशन एक्ट लागू होगा। सेक्शन 40 के तहत वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर देता था। इसे हमने हटा दिया। उन्होंने कहा कि इसे कुछ लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते थे। इस प्रावधान का इतना दुरुपयोग हुआ कि प्रॉपर्टी लाखों तक पहुंच गई और इसकी वजह से कई विवाद सामने आ गए हैं।

विधेयक पेश होते ही विपक्षी दलों का विरोध

इससे पहले विधेयक को सदन में पेश करते ही विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेस ने विधेयक के खिलाफ अपनी आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि उन्हें विधेयक की प्रति देर से प्राप्त हुई, जिसके कारण उन्हें समीक्षा के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला।

कांग्रेस के नेताओं ने चर्चा के दौरान कहा कि सरकार ने इस महत्वपूर्ण विधेयक को जल्दबाजी में पेश किया है और विपक्ष को इस पर चर्चा के लिए उचित अवसर नहीं दिया गया। विधेयक पेश होने के बाद सदन में हंगामे की स्थिति देखी गई, क्योंकि विपक्षी सांसदों ने अपनी नाराजगी जाहिर की।

लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने कांग्रेस पार्टी की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जेपीसी ने आवश्यक विचार-विमर्श नहीं किया। शुरू से ही सरकार का इरादा एक ऐसा कानून पेश करने का रहा है जो असंवैधानिक, अल्पसंख्यक विरोधी और राष्ट्रीय सद्भाव को बाधित करने वाला है।

(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)