नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर संसद में उठे सियासी घमासान के बीच केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस और सोनिया गांधी पर हमला बोला है। रिजिजू ने सोनिया गांधी का नाम लिए बिना उनके उस बयान की कड़ी आलोचना की जिसमें उन्होंने भाजपा पर यह विधेयक 'बुलडोज' करने का आरोप लगाया था। रिजिजू ने इसे संसदीय प्रक्रिया का अपमान करार दिया और कहा कि विपक्ष की आलोचना गलत है। यह विवाद राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के कुछ घंटों बाद और तेज हो गया, जब रिजिजू ने प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों सदनों में विस्तृत चर्चा के बाद ही यह विधेयक पारित हुआ है। उन्होंने कहा कि पूरा संसदीय कार्यवाही नियमों के तहत हुई और इसे जबरदस्ती पारित कहने का कोई औचित्य नहीं है।

किरेन रिजिजू ने कहा, "हमने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया और सदन सुबह 4 बजे तक चला। उसके बाद आप कहें कि यह विधेयक 'बुलडोज' किया गया? यह सही नहीं है। हमने इतिहास रचा, लेकिन इसके बजाय आप कह रहे हैं कि हम विधेयक जबरन पारित करवा रहे हैं। ये उचित नहीं है।" उन्होंने यह भी दोहराया कि संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाना और जनहित के कानूनों को 'अलोकतांत्रिक' बताना विपक्ष की पुरानी आदत बन गई है। उन्होंने कांग्रेस के रुख पर नाराज़गी जताई।

 सोनिया गांधी ने विधेयक बताया 'संविधान पर खुला हमला'

दरअसल, राज्यसभा सांसद और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस विधेयक को पारित किए जाने को 'संविधान पर खुला हमला' बताया। उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक 'बेशर्मी भरा कदम' है, जो देश को स्थायी ध्रुवीकरण की ओर ले जा रहा है। उन्होंने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह विधेयक समाज में स्थायी विभाजन पैदा करने की कोशिश है और इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।

बजट सत्र 2025 में संसद ने बनाया नया रिकॉर्ड

वहीं, शुक्रवार को किरेन रिजिजू ने बजट सत्र 2025 के समापन की जानकारी दी। उन्होंने इस सत्र को बेहद उत्पादक बताते हुए कहा कि संसद ने नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। रिजिजू ने लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्यों, अध्यक्षों, स्पीकर और राजनीतिक दलों के नेताओं का आभार जताया, जिनके सहयोग से यह संभव हुआ। रिजिजू ने बताया कि इस सत्र में राज्यसभा ने 17 घंटे और 2 मिनट की लंबी चर्चा के साथ इतिहास रचा। संशोधन विधेयक पर यह चर्चा हुई, जिसने 1981 के 15 घंटे 51 मिनट के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। यह बहस 3 अप्रैल को सुबह 11 बजे शुरू हुई और 4 अप्रैल को तड़के 4:02 बजे तक चली। खास बात यह रही कि इस दौरान एक भी व्यवधान नहीं हुआ। रिजिजू ने इसे एक बड़ी उपलब्धि करार देते हुए कहा कि इस रिकॉर्ड को तोड़ना मुश्किल होगा।

लोकसभा में भी सत्र बेहद सफल रहा। यहां 13 घंटे से अधिक समय तक रेलवे, ऊर्जा, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय से जुड़े अनुदानों की मांगों पर चर्चा हुई। वहीं, राज्यसभा में शिक्षा, रेलवे, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और गृह मंत्रालय के कामकाज पर विचार-विमर्श हुआ। रिजिजू ने कहा कि दोनों सदनों में चर्चा के दौरान आलोचना, सुझाव और स्पष्टीकरण का स्वस्थ आदान-प्रदान हुआ, लेकिन कोई स्थगन या व्यवधान नहीं देखा गया। उन्होंने संसदीय टीम के सहयोगियों अर्जुन मेघवान और एल। मोहन, सचिव (संसदीय विभाग) और अन्य अधिकारियों को भी धन्यवाद दिया।

संसद में 17 घंटे से अधिक चली चर्चा : किरेन रिजिजू 

रिजिजू ने कहा, "हमने नियमों, परंपराओं और प्रक्रियाओं का सम्मान करते हुए संसद का संचालन किया। सरकार की ओर से हम प्रधानमंत्री, सभी दलों के नेताओं और फ्लोर लीडर्स के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।" इस सत्र की उत्पादकता की लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति पहले ही सराहना कर चुके हैं। रिजिजू ने इसे दोहराते हुए कहा कि सदस्यों के धैर्य और योगदान से यह संभव हुआ। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवालों के लिए भी समय दिया और कहा कि कोई स्पष्टीकरण चाहिए हो, तो पूछा जा सकता है।

रिजिजू ने इसे लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक बताया और कहा कि सरकार सभी आलोचनाओं को स्वीकार करती है, साथ ही बेहतर कामकाज के लिए सुझावों का भी सम्मान करती है। इस सत्र ने संसदीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।