KIIT में गैरकानूनी गतिविधियों के चलते हुईं आत्महत्याएं, यूजीसी पैनल ने लगाई फटकार

KIIT में इस साल दो छात्राओं की आत्महत्या को लेकर यूजीसी पैनल ने रिपोर्ट सौंपी है जिसमें विश्वविद्यालय की गैरकानूनी गतिविधियों के चलते ऐसी घटना होने का आरोप लगाया गया है।

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यूजीसी ने KIIT में छात्राओं की आत्महत्या के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को ठहराया जिम्मेदार Photograph: (सोशल मीडिया - एक्स)

भुवनेश्वरः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा गठित तथ्य अन्वेषी समिति ने दो छात्राओं की हत्या के लिए केआईआईटी (KIIT) को जिम्मेदार ठहराया है। समिति ने इस साल परिसर में दो छात्राओं की आत्महत्या के लिए विश्वविद्यालय की "अवैध और गैरकानूनी गतिविधियों" को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें कहा गया कि प्रशासन की कार्रवाई "आपराधिक दायित्व के समान है।"

इन निष्कर्षों के साथ-साथ समिति ने विश्वविद्यालय के लिए कुछ कड़े सुझाव भी जारी किए हैं। इनके आधार पर आयोग विश्वविद्यालय के विस्तार पर रोक लगाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है।

यूजीसी रिपोर्ट में क्या कहा गया?

प्रोफेसर नागेश्वर राव की अध्यक्षता में यूजीसी समिति ने 20 मई 2025 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यह रिपोर्ट परिसर में दौरा करके और हितधारकों से बातचीत और विस्तृत विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वविद्यालय यौन उत्पीड़न की शिकायतों को सुलझाने में असफल रहा है। इसके साथ ही हॉस्टल में अपर्याप्त सुविधाओं, छात्रों की अधिक संख्या, छात्रों पर क्रूर बल के प्रयोग के चलते इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा मिलता है। 

समिति की टिप्पणियों और निष्कर्षों में बुनियादी ढांचों और प्रशासन में गंभीर खामियां पाई गईं हैं। इसमें छात्रावास की सुविधाओं को "घटिया" कहा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि तीन छात्रों को एक छोटे से कमरे में रखा गया है। वहीं, अंतर्राष्ट्रीय महिला छात्राओं को सांस्कृतिक पहलुओं को ध्यान दिए बगैर ठहराया गया। 

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि यौन उत्पीड़न की घटनाओं को नजरअंदाज किया गया या फिर अवैध तरीके से दबाया गया। इसमें यह भी कहा गया कि नेपाली छात्रों को प्रशासन ने बिना किसी सहयोग के बाहर कर दिया और सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों के खिलाफ शारीरिक दुर्व्यवहार किया। 

विश्वविद्यालय ने कहा कि उसने "नियमों, देश के कानून और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के ऊपर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दी।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के सदस्य और विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रशासनिक कर्मचारी "कानून के अनुसार आपराधिक दंड के लिए उत्तरदायी हैं।"

रिपोर्ट में कहा गया है कि आईसीसी यौन उत्पीड़न के दर्ज मामलों में कानूनी कार्रवाई करने में विफल रही थी। इसमें कोई पारदर्शिता नहीं थी कि जांच के प्रोटोकॉल का पालन किया गया। 

KIIT में दो छात्राओं ने की आत्महत्या

गौरतलब है कि एक नेपाली छात्रा प्रकृति लम्साल 16 फरवरी को अपने कमरे में मृत पाई गई थी। वह बी.टेक तृतीय वर्ष की छात्रा थी। इस घटना से पहले लड़की ने दो बार प्रशासन से शिकायत की थी। दोनों ही शिकायतों ने प्रशासन ने अवैध समझौता करने को कहा। 

रिपोर्ट में कहा गया कि पहली शिकायत दर्ज होने पर भी विश्वविद्यालय के पास लड़के को दंडित करने का अधिकार है। हालांकि, दोनों ही शिकायतों में उन्होंने अवैध समझौता करने का फैसला लिया। यही आत्महत्या का कारण बना। अगर प्रशासन उचित कार्रवाई करता तो आत्महत्या को टाला जा सकता था। 

इस घटना के बाद परिसर का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था और छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शन के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने नेपाली छात्रों से परिसर छोड़ कर जाने को कहा था जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया था। विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने अपना फैसला वापस लिया था। 

विश्वविद्यालय में 16 फरवरी की घटना के बाद 2 मई को एक और नेपाली छात्रा प्रिशा शाहा ने आत्महत्या कर ली थी। हॉस्टल के कमरे में छात्रा का शव पंखे से लटका मिला था जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई थी।  

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