दिल्लीः पहले खो-खो विश्व कप में भारत ने इतिहास रच दिया है। खो-खो विश्व कप का आयोजन दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में किया गया था। इस टूर्नामेंट में 23 देशों की 39 टीमों ने हिस्सा लिया था। भारतीय महिला-पुरुष दोनों टीमों ने इस खिताब को जीतकर इतिहास रच दिया है।
फाइनल मुकाबले में दोनों ही टीमों का मुकाबला नेपाल से था। महिला टीम ने इस मुकाबले में नेपाल को 78-40 से मात दी। कप्तान प्रियंका इंग्ले के नेतृत्व में भारतीय टीम ने शानदार जीत दर्ज की। वहीं, पुरुष टीम की कमान प्रतीक किरण वाइकर संभाल रहे थे। पुरुष टीम ने नेपाल को 54-36 के अंतर से हराया। जीत के बाद दोनों टीमों को ट्रॉफी और मेडल दिए गए। दोनों ही टीमें पूरे टूर्नामेंट के दौरान अजेय रहीं।
भारत का पारंपरिक खेल है खो-खो
खो-खो वैसे तो भारत का पारंपरिक खेल माना जाता है लेकिन अब इसे दुनियाभर में ख्याति मिल रही है। खो-खो फेडरेशन के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा कि यह फेडरेशन की कड़ी मेहनत का फल है।
इस टूर्नामेंट का आयोजन 13-19 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। इंडिया के साथ-साथ नेपाल, अर्जेंटीना, केन्या, घाना, इंग्लैंड, जर्मनी, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड की टीमें शामिल थीं। चूंकि यह भारत का खेल है, इसलिए भारत को इस टूर्नामेंट का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था और भारतीय टीमों ने खिताब जीतकर वैश्विक स्तर पर खो-खो का मान बढ़ाया है।
सलमान खान बनाए गए थे ब्रांड एंबेसडर
बॉलीवुड स्टार सलमान खान को इस विश्व कप के लिए ब्रांड एंबेसडर बनाया गया था। खो-खो विश्व कप के आयोजन से इस खेल का मान बढ़ा है। खो-खो फेडरेशन का कहना है कि वैश्विक स्तर पर इसे ख्याति दिलाने में फेडरेशन का बहुत योगदान है। अभी यह खेल 50 से अधिक देशों में खेला जा रहा है और विश्व कप के आयोजन के बाद दुनियाभर के अन्य देशों में भी यह खेल खेला जाएगा।
खो-खो के खेल में 2 टीमें खेलती हैं। दोनों टीमों को 2-2 पारियां मिलती हैं और प्रत्येक पारी 7 मिनट की होती है। पहली और तीसरी पारी के बाद टीमों को 5 मिनट का ब्रेक दिया जाता है। वहीं, दूसरी पारी के बाद 10 मिनट का ब्रेक दिया जाता है।