तिरुवनंतपुरमः केरल के पूर्व मुख्यमंत्री का 101 साल की आयु में निधन हो गया। वह सीपीआई (एम) के संस्थापक पीढ़ी के अंतिम लोगों में से एक थे। उनका पूरा नाम वेलिक्ककथु शंकरन अच्युतानंदन था।
पूर्व कम्युनिस्ट नेता की तबियत बीते कुछ दिनों से गंभीर बनी हुई थी और पार्टी के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री सोमवार को उनको देखने अस्पताल पहुंचे थे।
उनके निधन पर पार्टी के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया है। सीपीआई (एम) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
#CPIM Polit Bureau pays homage to Comrade V S Achuthanandan and dips its red banner in salutehttps://t.co/E9NMxFegYepic.twitter.com/qZ5n6k0uVu
— CPI (M) (@cpimspeak) July 21, 2025
वहीं, तिरुवनंतपुरम से सांसद और कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और एक्स पर पोस्ट किया।
Mourning the passing of former Chief Minister V.S. Achuthanandan (here, releasing my book "The Elephant, the Tiger & the Cellphone" in Kerala, 2008).
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) July 21, 2025
A giant of Kerala's Communist movement, "VS" rose from humble origins to become a hugely popular mass leader and Chief Minister… pic.twitter.com/upehl7vFeQ
सीएम विजयन समेत कई नेता पहुंचे
मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के अलावा वित्त मंत्री के एन बालगोपाल और पार्टी के अन्य नेता उनसे मिलने पहुंचे थे। समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि सोमवार दोपहर को कई नेताओं के अलावा राज्य सचिव भी उनसे मिलने अस्पताल गए थे।
अच्युतानंदन का इलाज तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में बीते महीने से चल रहा था। 23 जून को उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया था, तभी से वह अस्पताल में भर्ती थे।
केरल की राजनीति में अच्युतानंदन एक जाना माना नाम हैं। हालांकि अक्टूबर 2019 में स्ट्रोक के बाद से सार्वजनिक रूप से वह कम ही दिखाई दिए। उनका जन्म 20 अक्टबूर 1923 को अलप्पुझा जिले के पुन्नापरा में हुआ था। साल 2006 से 2011 तक वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे।
उन्होंने सामाजिक न्याय और मजदूर अधिकारों के लिए जीवन भर लड़ाई लड़ी। वह साल 1964 में स्थापित अविभाजित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
7 बार चुने गए विधायक
वह अपने जीवनकाल में सात बार विधायक बने और राजनैतिक जीवन में कुल 10 चुनाव लड़े। इनमें से उन्हें सिर्फ 3 चुनावों में हार मिली। इसके
अलावा वह 1980 से 1992 तक 12 साल तक पार्टी के राज्य सचिव रहे। इस दौरान उन्होंने संगठन की जड़े मजबूत कीं और श्रमिक वर्ग और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए काम किया।
साल 2011 के विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी को 140 में 68 सीटों पर जीत मिली जो कि बहुमत के आंकड़े से सिर्फ 2 अंक दूर थी। यूडीएफ ने ओमान चांडी के नेतृत्व में सफलता हासिल की और सत्ता पर काबिज हुई।
2016 के चुनाव में भी उन्होंने पार्टी का प्रचार किया। तब वह 93 साल के थे। उन्होंने मालापुझा विधानसभा सीट से जीत दर्ज की थी। हालांकि, पार्टी ने उनके स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पिनरई विजयन को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना था।