नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध में केरल के एक शख्स की मौत के बाद भारत ने बाकी बचे भारतीयों की जल्द रिहाई की मांग दोहराई है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि युद्ध में दक्षिण राज्य का एक अन्य शख्य घायल हो गया है जिसका इलाज मॉस्को में चल रहा है। दोनों शख्स यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना के लिए काम कर रहे थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस मामले को रूसी अधिकारियों के सामने उठाया गया है और “बाकी भारतीय नागरिकों की जल्द से जल्द रिहाई की हमारी मांग पर भी जोर दिया गया है।”
विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, “हमें यह जानकर दुख हुआ है कि केरल का एक भारतीय नागरिक, जिसे रूसी सेना में सेवा के लिए भर्ती किया गया था, की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो गई है। इसी तरह भर्ती किए गए केरल के एक अन्य भारतीय नागरिक घायल हुए हैं और मॉस्को के एक अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।”
मंत्रालय ने घायल व्यक्ति की जल्द रिहाई और बाकी भारतीयों के वापसी की मांग की है
उन्होंने आगे कहा, “हम मृतक के परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हैं। मॉस्को में हमारा दूतावास परिवारों के संपर्क में है और हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। हम मृत शरीर को भारत लाने के लिए रूसी अधिकारियों के साथ काम कर रहे हैं और घायल व्यक्ति की जल्द रिहाई और भारत वापसी की मांग की है।”
मंत्रालय ने पीड़ितों के नामों का खुलासा नहीं किया है हालांकि टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया, 31 साल के इलेक्ट्रीशियन और प्लंबर बिनिल बाबू और 27 साल के ऑटोमोबाइल मैकेनिक जैन कुरियन पिछले साल 4 अप्रैल को एक रिश्तेदार की मदद से रूस गए। उनके एजेंट ने कैंटीन में नौकरी का वादा किया था, लेकिन वह पूरा नहीं हुआ। मजबूरी में उन्हें रूसी नागरिकता लेनी पड़ी और सेना में शामिल होना पड़ा।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2024 में, बाबू और जैन ने परिवारों को बताया था कि उन्हें युद्ध के मैदान पर भेजा जा रहा है और शायद वे वापस न लौटें। इसके बाद उनकी रिहाई के लिए कई प्रयास हुए। ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के प्रमुख बेसिलियोस मार्थोमा मैथ्यूज III ने यह मामला भारत में रूसी राजदूत के सामने उठाया। बाबू की मौत की खबर पिछले बुधवार से आनी शुरू हो गई थी।
यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए लड़ रहे भारतीयों की स्थिति भारत के लिए एक बड़ी चिंता
यूक्रेन युद्ध में रूस के लिए लड़ रहे भारतीय नागरिकों की स्थिति भारत के लिए एक बड़ी चिंता बन गई है। भारत कहता रहा है कि संघर्ष की स्थिति में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती भारत-रूस कूटनीतिक साझेदारी के अनुरूप नहीं है। नई दिल्ली ने ऐसे सभी भारतीय नागरिकों की जल्द छुट्टी देने और वापसी की मांग की है।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मॉस्को की ऐतिहासिक यात्रा के बाद रूस ने यूक्रेन के खिलाफ रूसी सेना के लिए लड़ रहे सभी भारतीयों को छुट्टी देने और उनकी वापसी में मदद करने का फैसला किया था। यह तब हुआ जब प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन द्वारा आयोजित एक प्राइवेट डिनर में इस मामले को उठाया।
अधिकारियों के अनुसार, कई भारतीयों को उच्च वेतन वाली नौकरी का झांसा देकर युद्ध में भेजा गया था। ऐसे एजेंट्स के खिलाफ सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने पिछले महीने संसद को बताया था, “सरकार के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप, रूसी सशस्त्र बलों में शामिल अधिकांश भारतीय नागरिकों को छुट्टी दे दी गई है और कई को भारत वापस भेज दिया गया है।
रूसी सशस्त्र बलों में कितने भारतीय बचे हैं?
उपलब्ध जानकारी के अनुसार, वर्तमान में केवल 19 भारतीय नागरिक रूसी सशस्त्र बलों में बचे हैं। सरकार ने संबंधित रूसी अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे रूसी सशस्त्र बलों में शामिल शेष भारतीय नागरिकों के ठिकानों के बारे में जानकारी प्रदान करें और उनकी सुरक्षा, कल्याण और शीघ्र छुट्टी सुनिश्चित करें।”