केरल हाई कोर्ट ने भारत में अमेरिकी कंपनी के 'संदिग्ध सर्वे' पर जताई चिंता, केंद्र सरकार को जांच के निर्देश

केरल हाई कोर्ट ने 2010 में एक अमेरिकी कंपनी द्वारा भारतीय फर्म की मदद से कराए गए सर्वे को लेकर चिंता जताई है। इस सर्वे में मुस्लिमों से संबंधित ऐसे सवाल थे, जिसे लेकर विवाद हुआ। तिरुवनंतपुर में कानून-व्यवस्था तक बिगड़ने की स्थिति बन गई थी, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

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फोटो- IANS

तिरुवनंतपुरम: केरल हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक भारतीय फर्म के सहयोग से अमेरिका स्थित कंपनी द्वारा किए गए एक संदिग्ध सर्वे को लेकर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह सर्वे अमेरिका स्थित प्रिंसटन सर्वे रिसर्च असोसिएट (PSRA) द्वारा भारतीय फर्म टेलर नेल्सन सोफर्स (TNS India) की मदद से कराया गया था। हालांकि, सर्वे को लेकर इसके राष्ट्रीय सुरक्षा और भारत में अंतर-धार्मिक सद्भाव पर इसके प्रभाव पर चिंता जताई गई है। सर्वे में मुस्लिमों से संबंधित कुछ ऐसे सवाल थे, जिसे लेकर विवाद हुआ।

सर्वे के सवालों पर कोर्ट ने जताई चिंता

कोर्ट ने टीएनएस इंडिया की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस सर्वे में विदेशी फर्म की भागीदारी पर हैरानी व्यक्त की, जिसमें कई 'संदिग्ध' प्रश्न शामिल किए गए थे। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे सर्वेक्षणों से देश की सुरक्षा और एकता पर असर पड़ सकता है।

कोर्ट ने अपने फैसले में आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि सर्वे धार्मिक समुदायों से संबंधित प्रश्न विशेष रूप से चिंताजनक हैं और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा, 'यह देखकर आश्चर्य होता है कि एक विदेशी कंपनी हमारे देश में कई संदिग्ध सवालों के साथ एक सर्वे करा रही है। हमारा देश एक संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य है।' कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि किसी विदेशी इकाई को भारत सरकार की अनुमति के बिना देश में सर्वे नहीं करना चाहिए।

सर्वे की विवाद की पूरी कहानी क्या है?

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक यह सर्वे साल 2010 में तिरुवनंतपुरम सहित भारत के 54 जगहों पर कराया गया था। इसके अलावा इसे इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड में भी कराया गया। सर्वे कराने वाली फर्म ने इसे कराने का उद्देश्य कथित तौर पर 'ग्राहकों को देश की परंपराओं, मूल्यों और दृष्टिकोण को समझने में मदद करना' बताया था।

हालांकि, 2 अक्टूबर 2010 को तिरुवनंतपुर में जब चार कर्मचारी सर्वे के लिए फ्रेंड्स कॉलोनी में गए तो वहां कानून-व्यवस्था बिगड़ने की स्थिति बन गई। जानकारी मिलने पर पुलिस पहुंची और कर्मचारियों से सर्वे का बुकलेट जब्त करते हुए स्थिति को संभाला।

इसके बाद केरल पुलिस ने शिकायतों के मिलने पर मामला दर्ज किया। इसमें वैमनस्य को बढ़ावा देने वाले बयान देने या प्रकाशित करने सहित धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे वाले सवाल के आरोप लगाए गए थे।

मामले में केरल पुलिस की जांच में दावा किया गया कि सर्वे का असली उद्देश्य धार्मिक समुदायों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय के बीच भावनात्मक संघर्ष पैदा करना और संभावित रूप से सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करना था।

गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजने के निर्देश

कोर्ट ने कहा कि केवल राज्य पुलिस द्वारा हुई जांच अपर्याप्त है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि रिपोर्ट को एक महीने के भीतर गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय को भेजा जाए। मामले की बारीकी से निगरानी की जा रही है क्योंकि इससे भारत में संवेदनशील सर्वे करने वाली विदेशी कंपनियों की भूमिका पर भी सवाल उठते हैं।

दरअसल, टीएनएस इंडिया ने शुरू में अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने के लिए अदालत का रुख किया था। भारतीय फर्म ने यह तर्क दिया था सर्वेक्षण सामाजिक-राजनीतिक रिसर्च के लिए था। हालांकि, अदालत ने राष्ट्रीय एकता पर पड़ने वाले इसके संभावित प्रभाव को लेकर चिंता जताई।

सर्वे में पूछे गए थे ऐसे सवाल

1. आपके अनुसार इस्लाम आज विश्व को सबसे महत्वपूर्ण योगदान क्या देता है?

2. आपको क्या लगता है कि आप शिया इस्लाम और सुन्नी इस्लाम के बीच अंतर को कितनी अच्छी तरह समझते हैं?

3. आज इस्लाम के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है?

4. आपके लिए शरिया का क्या मतलब है?

5. क्या आप स्वयं को पहले भारत के नागरिक के रूप में, पहले एक जातीय समूह के सदस्य के रूप में या पहले एक मुस्लिम के रूप में देखते हैं?

6. कुछ लोग कहते हैं कि वे ओसामा बिन लादेन जैसे लोगों का समर्थन करते हैं। आपको क्यों लगता है कि उनके जैसे लोगों को समर्थन प्राप्त है?

7. यदि जवाब देने वाली कोई महिला है, तो उससे सवाल थे- क्या वह हिजाब (सिर ढंकना) या नकाब (पूरा शरीर ढंकना) पहनती है?

8. क्या भारत में चीजें आम तौर पर सही दिशा में जा रही हैं, या ग़लत दिशा में जा रही हैं?

9. कृपया मुझे बताएं कि यदि कोई आपसे पूछे कि "आप कौन हैं?" तो आप इनमें से किसके बारे में सबसे पहले सोचेंगे? (विकल्पों में जाति, क्षेत्र, राष्ट्रीयता और धर्म शामिल थे)

10. भारत में विभिन्न प्रकार के राजनीतिक दल हैं जो संसद में सीटों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। निम्नलिखित प्रत्येक प्रकार के राजनीतिक दलों के लिए, कृपया बताएं कि मुसलमानों के लिए इसका समर्थन करना या वोट देना कितना उचित होगा।

11. कुछ लोग कहते हैं कि पश्चिमी आर्थिक और व्यावसायिक प्रथाएं इस्लाम के साथ असंगत हैं - जबकि अन्य कहते हैं कि वे इस्लाम के अनुकूल हैं। कौन सी बात आपकी राय के करीब है?

12. आपके अनुसार भारत के राजनीतिक जीवन में इस्लाम की कितनी भूमिका है?

13. आपके अनुसार भारत के राजनीतिक जीवन में इस्लाम की कितनी भूमिका होनी चाहिए?

14. आपकी राय में, क्या कुछ साल पहले की तुलना में इस्लाम भारत में मुसलमानों के बीच अधिक या कम भूमिका निभा रहा है?

15. निम्नलिखित में से कौन सा सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि इस्लाम इन दिनों भारत में मुसलमानों के बीच एक बड़ी भूमिका निभा रहा है? क्या यह वर्तमान सरकार की नीतियों से असंतोष के कारण या हमारे समाज में अनैतिकता के स्तर के कारण या अन्य मुस्लिम देशों के प्रभाव के कारण है?

16. निम्नलिखित में से कौन सा देश इन दिनों मुस्लिम देश में शासन के लिए अगला सबसे अच्छा मॉडल पेश करता है?

17. आपकी राय में, क्या आज इस्लाम के लिए कोई गंभीर ख़तरा है?

18. निम्नलिखित में से कौन सा कथन राजनीति में धार्मिक नेताओं की भूमिका के बारे में आपके विचार के सबसे करीब आता है?

19. आप किस हद तक सोचते हैं कि शरिया को भारत के आधिकारिक कानूनों के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए?

20. क्या आप किसी महत्वपूर्ण सरकारी पद के लिए किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को वोट देने में बहुत सहज, कुछ हद तक सहज, कुछ हद तक असहज या बहुत असहज महसूस करेंगे?

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