केरल के एर्नाकुलम जिले में पिछले कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश और बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है, जिसमें पांच जंगली हाथियों की मौत हो गई है। इन मृत हाथियों में एक गर्भवती हथिनी और एक बच्चा भी शामिल है। वन अधिकारियों ने तीन अलग-अलग वन प्रभागों से इन हाथियों के शव बरामद किए हैं।

मलयाट्टूर वन प्रभाग के तहत आने वाले कुट्टमपुझा जंगल रेंज में गुरुवार को दो नर हाथियों के शव मिले। ये दोनों लगभग 15 साल के थे और ऐसा माना जा रहा है कि तेज बहाव के कारण वे पिंडिमेड जलप्रपात से नीचे गिर गए थे। शुरुआती जांच में उनके शरीर पर आंतरिक रक्तस्राव और टूटी हुई पसलियों के निशान मिले हैं।

इसी तरह, इडामलयार बांध से लगभग 20 किमी दूर एक जलप्रपात के पास एक हथिनी और उसके बच्चे का शव भी मिला। अधिकारियों का मानना है कि वे इडामलयार नदी पार करते समय फिसल गए होंगे और जलप्रपात में गिर गए।

एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंगमाली के पास अय्यमपुझा में एक नाले से भी एक गर्भवती हथिनी का शव मिला है, जो अथिरप्पिल्ली वन क्षेत्र में आता है।

फोरेंसिक जांच के लिए हाथियों के विसरा नमूने लिए गए

मलयाट्टूर के मंडल वन अधिकारी पी कार्तिक ने बताया कि भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से इन हाथियों की मौत हुई है। प्रोटोकॉल के अनुसार, सभी शवों का पोस्टमार्टम किया गया है और उन्हें दफना दिया गया है। आगे की फोरेंसिक जांच के लिए सभी पांचों हाथियों के विसरा के नमूने भी लिए गए हैं।

वन विभाग ने प्रभावित तीनों वन प्रभागों में एक संयुक्त जांच शुरू की है। अधिकारियों ने स्थानीय समुदायों से भी अपील की है कि वे सतर्क रहें और नदी के किनारों पर किसी भी और असामान्य गतिविधि की सूचना दें। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब केरल में बाढ़ के दौरान हाथियों की मौत हुई है। 2018 और 2020 में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई थीं।

बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं में हाथियों के मरने की घटनाओं के अलावा पोचिंग से जुड़े मामले भी सामने आते रहे हैं। 2020 में एक आरटीआई रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि पिछले एक दशक में केरल में 849 जंगली हाथियों की मौत हुई है। 2009-10 से 2018-19 के दौरान केरल में कुल 849 जंगली हाथियों की मौत हुई थी। इसमें कई मामले पोचिंग से भी जुड़े रहे।

2015 में केरल के मलयातूर जंगल में पाँच हाथियों के शव बरामद हुए थे जिनके दांत कटे हुए थे। इसी साल बताया गया कि पिछले डेढ़ साल में राज्य में हाथी दांत के लिए लगभग 32 नर हाथियों को मारा गया।