नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को मुलाकात की। इस बीच कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष द्वारा आपातकाल पर दिए गए प्रस्ताव पर नाराजगी व्यक्त की है। इस विषय पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि स्पीकर की कुर्सी दलगत राजनीति से ऊपर है। माननीय अध्यक्ष ने बुधवार को राजनीतिक टिप्पणियों के साथ जो कहा, वह संसदीय परंपराओं का उपहास है।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक था और इसे टाला जा सकता था। हालांकि, राहुल गांधी व लोकसभा अध्यक्ष के बीच हुई मुलाकात को लेकर कांग्रेस ने कहा कि यह एक शिष्टाचार भेंट थी। इस मुलाकात के दौरान राहुल गांधी के साथ इंडिया गठबंधन के कई नेता भी शामिल रहे।
केसी वेणुगोपाल ने लिखी लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी
दूसरी ओर लोकसभा में आपातकाल के जिक्र के मुद्दे पर केसी. वेणुगोपाल ने लोकसभा अध्यक्ष को बाकायदा एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, “26 जून 2024 को, लोकसभा अध्यक्ष के रूप में आपके चुनाव पर बधाई देते समय, सदन में सामान्य सौहार्द था। हालांकि, उसके बाद जो हुआ, जो आधी सदी पहले आपातकाल की घोषणा के संबंध में आपके स्वीकृति भाषण के बाद अध्यक्ष द्वारा दिया गया संदर्भ, वह बेहद चौंकाने वाला है।”
केसी वेणुगोपाल ने कहा, “सभापति की ओर से इस तरह का राजनीतिक संदर्भ देना संसद के इतिहास में अभूतपूर्व है। एक नवनिर्वाचित अध्यक्ष के ‘प्रथम कर्तव्यों’ में से एक के रूप में सभापति की ओर से यह आना और भी गंभीर रूप धारण कर लेता है। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से, संसदीय परंपराओं के इस उपहास पर अपनी गहरी चिंता और पीड़ा व्यक्त करते हैं।”
ओम बिरला ने आपातकाल पर क्या कहा था?
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा था कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।
INDI Alliance didn’t honour the Hon’ble Speaker Shri Om Birla’s appeal to observe 2 minutes of silence in the memory of those who lost their lives facing atrocities committed by the Congress government under Indira Gandhi during the Emergency.
By ridiculing martyrs during a… pic.twitter.com/KtnJ5Gn9Yj
— BJP Goa (@BJP4Goa) June 26, 2024
अध्यक्ष ने कहा था कि भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई और बाबा साहब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था। भारत की पहचान पूरी दुनिया में ‘लोकतंत्र की जननी’ के तौर पर है। भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का संवर्धन हुआ, हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा की गई, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई, भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट दिया गया।
(समाचार एजेंसी IANS)